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यज्ञ मण्डप के दूसरी ओर दो बड़े पांडाल बने थे। एक में सैकड़ो आचार्य /पुरोहित रामचरितमानस का अखण्ड पाठ कर रहे थे। दूसरे में व्यास गद्दी से भागवत कथा चल रही थी।
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बताते हैं इस अवसर पर पूरी दुनिया से लाखो श्रद्धालु यहाँ पधारे । अद्भुत संगम था। सनातन भारत का एक छोटा रूप गंगा के किनारे उतर आया था। कदाचित् यह भारतीय वैदिक ऋषि परम्परा को आगे बढ़ाने वाला था। काश इस यज्ञ के प्रभाव से गंगाजी की पवित्रता सभी प्रकार के सन्देहों से परे पुनः लौट आए।
(सिद्धार्थ)
अविस्मरणीय, अद्भुत. मैं सम्मिलित था इसमें .
जवाब देंहटाएंअच्छा संकलन।
जवाब देंहटाएं" wah ygy ka ankhon dekha varnanbhut sukun bhra rhaa..."
जवाब देंहटाएंRegards
जय हो गंगा मैया की... अच्छी प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआपने तो लगभग पूरे दर्शन करा दिए ..जय हो गंगा मैय्या !
जवाब देंहटाएंसुन्दर पोस्ट। मैं यह आशा करता हूं कि इस समारोह/यज्ञ में शामिल होने वाले व्यक्ति गंगाजी के शुद्धिकरण के प्रति कुछ प्रतिबद्ध हो जाते होंगे।
जवाब देंहटाएंबहुत व्यापक जन जागरण की आवश्यकता है।
्बहुत खुब , बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
रोचक पोस्ट। इलाहाबाद में फिर से एक बार घूमने की इच्छा जागृत कर दी आपने इस पोस्ट के जरिये।
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