अच्छा जी, जाओ !
बड़ी राहत मिलेगी शायद
तुमने एक साल तक हमें परेशान रखा
कितने करोड़
नहीं, कितने अरब
या उससे भी कहीं ज्यादा
चोर उड़ा ले गये
चोर नहीं, डकैत कहना चाहिए
सबकी आँखों के सामने ही तो लूट होती रही
मीडिया जानती थी
टीवी पर रोज डिबेट होती थी
पत्रकार रपट देते थे
सी.ए.जी. की ऑडिट बताती थी
बाबा भी चिल्लाते रहे
अन्ना भी अनशन करते रहे
लेकिन तुमने सब हो जाने दिया
नामाकूल !
संसद की दीवारों के भीतर
लोकतंत्र को कैद करने की कोशिश
फिलहाल सफल हो जाने दी तुमने
रामलीला मैदान और जंतर मंतर की हुंकार
बन गयी
नक्कारखाने में तूती की आवाज
भ्रष्टतंत्र को तुमने जीत जाने दिया
तुमने थका दिया इतना कि
लोकतंत्र को बुखार आ गया
थोड़ी सहानुभूति के शब्द सुनाकर तुम भी चलते बने
कुछ लोगों के साथ
मामूल के मुताबिक
तुम्हारी विदाई पर जश्न का माहौल है
लेकिन किसी खुशफहमी में मत रहना
दरअसल यह तुम्हारे उत्तराधिकारी के आगमन का जश्न है
तुम्हारे जाने से हम भावुक होकर दुखी हो जाएंगे
ऐसा नहीं है
तुम्हारा तो जल्दी से जल्दी चला जाना ही अच्छा है
बुरा मत मानना
लेकिन यह बता देना जरूरी है
तुमने बहुत दुखी किया
बस एक खुशी मिली थी
जब अठ्ठाइस साल बाद एक वर्डकप दिलाया था तुमने
लेकिन इस खेल की एक किंवदन्ती को नहीं दिला सके
एक अदद शतक जो हो सकता था महाशतक
पाजी कहीं के !
तुमसे निजात पाकर
हम नये सिरे से आशा कर सकते हैं
शायद इस बार बिल पास हो जाय
उस कानून का जन्म हो जाय
जिसके लिए एक फकीर ने देश को जगाने का प्रयास किया
शायद उसे इस बार सफलता मिल जाय
लेकिन डर भी है
कौन जाने
तुम्हारे पीछे तुमसे भी ज्यादा
धुर्त और पाज़ी आ रहा हो
इसी लिए हम प्रार्थना कर रहे हैं
अब जो आये वह अच्छा ही आये
नया साल शुभ हो
!!! हार्दिक शुभकामनाएँ !!!
(चित्रांकन : http://weheartit.com/entry/20302771 से साभार)