अबसे पाँच साल पहले जब मेरी तैनाती इलाहाबाद कोषागार में हुई तो पहली बार मैंने अपने लिए निजी कम्प्यूटर खरीदा। कम्प्यूटर आया तो इन्टरनेट लगा और उसके बाद ब्लॉग से परिचय हुआ। हर्षवर्धन त्रिपाठी ने ब्लॉग खोलने की एबीसीडी बतायी और ज्ञानजी ने गुरू बनकर कुछ बारीक गुर बताये। उसके बाद तो जो हुआ उसे कहने वाले इतिहास की उपमा देते हैं। कोषागार में सरकारी काम करते हुए मुझे ब्लॉग पर लिखने-पढ़ने का ऐसा मौका मिल जाता था कि क्या कहने…! अब खुद ही विश्वास नहीं कर पा रहा हूँ कि कैसे वह जुनून सवार हुआ था मेरे ऊपर।
अब फिर एक बार कोषागार में तैनाती हुई है। इस बार जिम्मेदारी कुछ बड़ी है। रायबरेली आकर मैंने सोचा था कि अब एक बार फिर से अपनी ब्लॉगरी और सोसलगीरी परवान चढ़ेगी; लेकिन देखते-देखते दूसरा महीना निकलने वाला है। आधारभूत सुविधाओं का जुगाड़ करने में समय कुछ ज्यादा ही लग गया। अब जाकर मुझे एक नेट की सुविधा वाला कम्प्यूटर मिल पाया है। आज माह की आखिरी तारीख है। इस पूरे माह में मैं चार-पाँच पोस्टॆं दे सकता था। सामग्री भी मोबाइल से इकठ्ठा करता रहा था लेकिन पोस्ट नहीं कर सका। आज आपको इसकी झलक दिखाता हूँ इस चित्रावली के माध्यम से। आगे शायद कुछ रोचक लिख सकूँ।
रायबरेली का इन्दिरागान्धी उद्यान जहाँ टहलने वालों को बड़ा सुकून मिलता है | |
सैनिकों को पेंशन भुगतान करने की ट्रेनिंग के लिए सीडीए(पी.) इलाहाबाद गये तो महाकुम्भ स्नान का पुण्यलाभ भी अर्जित हुआ। | |
सोनिया जी के चुनावी क्षेत्र होने का लाभ यहाँ के स्टेडियम को मिला तो जरूर लेकिन अंतर्राष्ट्री स्तर के एस्ट्रोटर्फ़ हाकी ग्राउंड की स्थानीय जनता के हाथों होती दुर्गति देखकर मन दुखी हो गया। | |
एक गोलपोस्ट की जाली चोर काट ले गये। बताते है कि झूला बनाएंगे | |
दूसरी ओर का वेल्वेट कुत्ते नोच ले गये। अब पेन्ट लगेगा। | |
उम्मीद है कि सत्यार्थमित्र पर अब फिर से हलचल बढ़ेगी।
(सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी)