हमारी कोशिश है एक ऐसी दुनिया में रचने बसने की जहाँ सत्य सबका साझा हो; और सभी इसकी अभिव्यक्ति में मित्रवत होकर सकारात्मक संसार की रचना करें।

गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

मुर्दा पीटना बन्द कर कुछ अच्छा सोचें नये साल में…

 

कलम उठाकर लिखते थे हम

शुभकामनाएं नये साल की

लिफाफे को सजाकर कुछ फूलों की डिजायन से

भरते थे उसमें अपना सुलेख

ग्रीटिंग कार्ड तैयार कर लेते थे- सस्ता, सुन्दर और टिकाऊ

अपने गुरुजनों को, सखा और सखियों को,

बस थमा देते थे अपनी शुभकामनाएं।

स्कूल में पहुँचने पर शुरू होता था नया साल

सबकी जुबान पर चढ़ा होता था

हैप्पी न्यू इयर, हैप्पी न्यू इयर, हैप्पी न्यू इयर

बदला जमाना

आ गया मोबाइल और इण्टरनेट

अब यहीं हो रही है मुलाकात और भेंट

अब नया साल रात में ही आ जाता है।

तीनो सूइयाँ एक दूसरे से मिलते ही शोर मच जाता है

नया साल टीवी के पर्दे से होकर निकलता है

लाइनें जाम हो जाती हैं

संदेश देने को फोन नहीं मिलता है।

 

आज अभी

होटलों में मोटी रकम खर्च करके भी

कुछ लोग नये साल को आता देख रहे होंगे।

ब्लॉगवाणी में भी शिड्यूल्ड

कुछ शुभकामनाओं के लेख रहे होंगे।

साल की अगवानी में

हम बहुत कुछ अनोखा कर जाते हैं

कुछ लोग तो इस हो हल्ले में

मानवता से ही धोखा कर जाते हैं

 

लेकिन जो सुविधा विहीन हैं

वे यूँ ही साल को आ जाने देते हैं

जैसे इतने दिन चले गये

आज का एक और दिन चले जाने देते हैं

मैं भी आज जागकर नया साल मना रहा हूँ

जैसे इसके आने में मेरी कोई भूमिका होना जरूरी हो

लिख रहा हूँ यह बोर करती बातें

जैसे कोई मजबूरी हो

 

लेकिन क्या करूँ

आज देखता हूँ कुछ लोग मुर्दा पीटने में व्यस्त हैं

एक अदनी सी बात का बहाना लेकर

अपना शब्द शौर्य दिखाने में व्यस्त हैं

 

अन्दर की भयानक गन्दगी

उबलकर बाहर आ रही है

उनके शब्दों की घटिया बाजीगरी

इस ब्लॉगमंच को मुँह चिढ़ा रही है

 

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का

यह कलुषित हश्र हो गया है

बुद्धि-विवेक, संस्कार, मर्यादा, सभ्यता और भावसौन्दर्य

इन सबका यह सारा कुनबा मुँह ढंककर सो गया है

 

अब इस ब्लॉगजगत में

आती-जाती रचनाओं का जो हाल है

वह सकारत्मक रचना कम

और ज्यादा बवाल है

ऐसे में हम क्या विश करें?

बस भगवान से प्रार्थना है

वे अविलम्ब यह विष हरें

 

नये साल में सबकी मर्यादा पुनरुज्जीवित होकर पुष्पित पल्लवित हो।

हमारा एक सकारात्मक संसार की रचना करने का प्रयास सुफलित हो॥

(शुभकामनाओं सहित)

(सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी)

17 टिप्‍पणियां:

  1. नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।

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  2. आप को ओर आप के परिवार को नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाए

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  3. आपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  4. नव वर्ष की बहुत शुभकामनायें ...!!

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर कविता..नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  6. आज देखता हूँ कुछ लोग मुर्दा पीटने में व्यस्त हैं
    एक अदनी सी बात का बहाना लेकर
    अपना शब्द शौर्य दिखाने में व्यस्त हैं

    अन्दर की भयानक गन्दगी
    उबलकर बाहर आ रही है
    उनके शब्दों की घटिया बाजीगरी
    इस ब्लॉगमंच को मुँह चिढ़ा रही है

    ....हम इतना कर सकते हैं....

    मैं उन साइट्स और ब्लॉग को पढने और उनपर टिप्पणी करने से बचुंगा
    जहाँ सस्ती लोकप्रियता के लिए धर्म-जाति संगत/ धर्म-जाति विरोधी,
    निरर्थक बहस,व्यक्तिगत आक्षेप, अभद्र अश्लील रोषपूर्ण भाषायुक्त विचार
    या वक्तव्य प्रस्तुत किये जाते हैं.
    -------------------------

    नववर्ष की बधाई एवं शुभकामनाओं सहित
    - सुलभ जायसवाल 'सतरंगी'.

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  7. बहुत जहर बुझा मीठा तीर छोड़ा है आपने.. रीड बिटवीन द लाइन्स न करें तो अछूते रह जाते..

    हमें तो दीदी के बारे में सोच कर कष्ट होता है..

    बाकी फिर कभी! नव वर्ष मंगलमय हो.. भैनों को भी, ब्लॉग-पीड़ित द्वय को भी!

    :)

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  8. हमारी भी यही प्रार्थना है..

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  9. आप और आपके परिवार को नववर्ष की सादर बधाई

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  10. तुम्हारी तो हमारी भी यही है मर्ज़ी..... विश यही कि विषधरों का विष उतर जाये :)

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  11. बड़ी ऊंची कविता खैंच दी सिरीमानजी ने। नया साल मुबारक हो जी। मौज से रहिये।

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  12. bahut sundr likha hai aapne,नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

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  13. नये वर्ष की शुभकामनाओं सहित

    आपसे अपेक्षा है कि आप हिन्दी के प्रति अपना मोह नहीं त्यागेंगे और ब्लाग संसार में नित सार्थक लेखन के प्रति सचेत रहेंगे।

    अपने ब्लाग लेखन को विस्तार देने के साथ-साथ नये लोगों को भी ब्लाग लेखन के प्रति जागरूक कर हिन्दी सेवा में अपना योगदान दें।

    आपका लेखन हम सभी को और सार्थकता प्रदान करे, इसी आशा के साथ

    डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर

    जय-जय बुन्देलखण्ड

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  14. हैप्पी न्यू इयर -२०१०

    नये साल में रामजी, इतनी-सी फरियाद,
    बना रहे ये आदमी, बना रहे संवाद।
    नये साल में रामजी, बना रहे ये भाव,
    डूबे ना हरदम, रहे पानी ऊपर नाव ।
    नये साल में रामजी, इतना रखना ख्याल,
    पांव ना काटे रास्ता, गिरे न सिर पर डाल।
    नये साल में रामजी, करना बेड़ा पार,


    क्या-क्या चाहते हैं, क्या-क्या सोचते हैं, क्या फरियाद है हमारी हमारे राम से - कवि ’कैलाश गौतम’ की रचना http://ramyantar.blogspot.com/2010/01/blog-post.html

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  15. internet halanki sari duniya badal di hai lekin such kahu to gritings aur chithi padhne ka aanand yaha kaha hai

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आपकी टिप्पणी हमारे लिए लेखकीय ऊर्जा का स्रोत है। कृपया सार्थक संवाद कायम रखें... सादर!(सिद्धार्थ)