माली को गुलाब के पौधों की छटाई करते देखा। कल तक जिन डालियों में गुलाब के फूल खिले हुए थे आज उन्ही को काट कर हटाया जा रहा था।
जड़ द्वारा मिट्टी से खुराक लेकर उन डालियों में पत्तियाँ विकसित हुई थीं। उन हरी पत्तियों ने सूर्य के प्रकाश से भोजन बनाया था। प्रदूषण घटाया था। इन्हीं पत्तियों के बीच डालियों से गुलाब की कलियाँ निकली। कलियों को खिलकर फूल बनने के लिए जो पानी और पोषण चाहिए था वह इन डालियों की धमनियों से होकर ही आया होगा। हवा के साथ झूमकर इन डालियों ने फूल को झूला झुलाया था। हवा के झोकों के झटके को जज्ब करके फूलों को यथासम्भव टूटने और गिरने से बचाया था।
फिर समय बदला, मौसम बदला। डालियाँ पुरानी पड़ गयीं। पत्तियाँ पुरानी पड़ गयीं। अब इन टहनियों से नये फूल निकलने की सम्भावना जाती रही। इनमें जो हरियाली का जीवन बचा था वह किसी काम का नहीं था। इसलिए इन्हें काट कर अलग किया जा रहा था ताकि इनकी जगह नयी टहनियाँ निकल सकें और नये फूल खिल सकें।
गाँव में बूढ़ी गायों और भैसों को कसाई के हाथों बिकते देखा है। दूध और बछड़ा देने की सम्भावना मिटने के बाद उनका जीवन भी यूँ समाप्त कर दिया जाता है। पहले इनकी मृत्यु होने पर जमीन में गाड़ दिया जाता था। लेकिन अब इनके मांस हड्डी और चमड़े की नगद कीमत वसूल कर ली जाती है।
पश्चिम की ओर से आती ‘विकास की हवाएं’ बता रही हैं कि अब वहाँ बुजुर्गों को घर से अलग वृद्धाश्रम में रखने का चलन बढ़ गया है। ये हवाएं हमारे देश में भी बहने लगी हैं।
मनुष्य का अब अगला कदम क्या होगा?
(सिद्धार्थ)
सभ्यता का विकास इसे कहे या दुसरो की नकल, ्दुसरो की नकल करने वाला अकल मन्द नही हो सकता चाहे कितना भी रटा लगा कर पढ ले डिगरिया हासिल कर ले.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद एक सत्य लेख के रुप मे बांटने का.
मनुष्य का अब अगला कदम क्या होगा?
जवाब देंहटाएंइतनी तेजी से कदम लुढक रहे हैं कि अगले कदम के बारे में अनुमान लगा पाना भी मुश्किल है।
वाह, वाह। सुन्दर। और मैं देख रहा हूं कि लाइवराइटर का रचनात्मक प्रयोग हुआ है आपके द्वारा!
जवाब देंहटाएंअगला कदम ? फिलहाल तो इंतजार ही कर सकते हैं। अच्छी पोस्ट।
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