कलकत्ते वाले रतीराम जी के एक रिश्तेदार हैं मतीरामजी। इनकी भी यहाँ इलाहाबाद के कटरा में चाय की दुकान है। यूनिवर्सिटी से लगा होने के कारण यहाँ विद्यार्थियों का जमावड़ा लगा रहता है। यह बात-चीत इसी दुकान पर दो प्रतियोगी छात्रों के बीच सुनने को मिली जो हाल ही में शहर आये हुए लगते थे -
-मुम्बई हमलों के बाद संसद में जो बहस हुई उसे सुनकर मन प्रसन्न हो गया।
-क्यों भला?
-सभी सांसदों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर एकता का परिचय दिया और आतंकवाद को करारा जवाब देने के लिए सबने सामूहिक प्रयास का संकल्प लिया।
-तो क्या अब आतंकवाद के दिन पूरे होने वाले हैं?
-देश की दोनो प्रमुख पार्टियाँ मिलकर इससे लड़ने जा रही हैं। विश्वास कीजिए अब वह दिन दूर नहीं।
-अच्छा! यानि बीजेपी ने कांग्रेस से फिर हाथ मिला लिया?
-हाँ भाई! इस मुद्दे पर तो मिला ही लिया, लेकिन क्या पहले भी कभी कमल ने ‘हाथ’ से हाथ मिलाया है?
-हाँ-हाँ, अभी तो हाल ही में अविश्वास प्रस्ताव के समय मिलाया था।
-नहीं भाई, तब तो भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में वोट डालने के लिए अपना चाबुक (whip) फटकारा था।
-यहीं तो धोखा खा गये आप…।
-धोखा? …वो कैसे? …यह तो हम सभी जानते हैं। सारे अखबार और मीडिया में भरा पड़ा था।
-यह राजनीति की बातें तो केवल पब्लिक के मनोरंजन के लिए थी। देशहित में सभी एक हो जाते हैं।
-तो क्या भाजपा सांसदों को कुछ और समझाया गया था?
-जी हाँ।
-वो क्या?
-मुझे पूरी बात तो नहीं मालूम लेकिन सरकार को इन भाजपा सांसदों ने ही बचाया था।
-इससे क्या? वह तो दो-चार सांसदों की करोड़ों की लालच का नतीजा था।
-आप यह कैसे कह सकते हैं? कोई सबूत…
-सबूत मेरे पास नहीं है। लेकिन आप जो कह रहे हैं उसके क्या सबूत है?
-हैं ना!
-अच्छा! तो क्या आपके पास इस बात का सबूत है कि भाजपा इस सरकार को बचाना चाहती थी?
-जी हाँ! सोमा भाई पटेल को नहीं सुना क्या?
-ये कौन महाशय हैं?
-ये गुजरात के वृन्दनगर से तीसरी बार चुने गये भाजपा के माननीय सांसद हैं। इनकी मदद से सरकार बची थी।
-क्या इन्होंने पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया था?
-नहीं, पार्टी ने इनसे सरकार के पक्ष में वोट डालने को कहा था।
-झूठ बोल रहे होंगे ये।
-नहीं भाई, सच में। ये आज पत्रकारों को बता रहे थे कि मुझे पार्टी से ऐसा कोई संदेश नहीं मिला कि मुझे सरकार के विरुद्ध वोट डालना है।
-क्या जो व्हिप जारी हुई थी वो फर्जी थी?
-वो एस.एम.एस. तो अंग्रेजी में था। बता रहे थे कि अंग्रेजी इन्हें नहीं आती।
-हिन्दी रूपान्तर भी तो रहा होगा?
-कह रहे थे कि हिन्दी भी केवल बोलना सीख पाये हैं। हिन्दी लिखना पढ़ना नहीं आता। केवल मैट्रिक पास हैं।
-पार्टी मीटिंग में किसी ने नहीं बताया?
-नहीं जी, इसका कोई सबूत नहीं है।
-मीडिया से तो पता चला होगा?
-मीडिया की बात का क्या भरोसा? बहुत सी अफवाहें फैलाती रहती है। वैसे भी यहाँ केवल हिन्दी-अंग्रेजी का ही बोल-बाला है जो भाषा इन्हें नहीं आती।
-आप इनकी बातों पर यकीन कर गये?
-मैने ही नहीं भाई साहब, घूसकाण्ड की जाँच कर रही संसदीय समिति ने यकीन करके इनको ‘क्लीन चिट’ दे दी है।
-वाह! क्या यह संसदीय समिति बहुत ऊँची चीज है?
-जी हाँ, इसका बड़ा सम्मान होता है। सोमा भाई पटेल भी विदेश मामलों की एक समिति के सम्मानित सदस्य हैं…
(सिद्धार्थ)
शिक्षक दिवस पर दो शिक्षकों की यादें और मेरे पिताजी
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Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी
9वीं से 12वीं तक प्रयागराज में केपी कॉलेज में मेरी पढ़ाई हुई। काली प्रसाद
इंटरमीडिएट कॉलेज, इलाहाबाद की सबसे स...
4 दिन पहले
रोचक सूचनाएँ रोचक तरीके से।
जवाब देंहटाएंWAH ! KYA KAHANE JANAB. NARAYAN NARAYAN
जवाब देंहटाएंइन सज्जन की समझ हम सब से ज्यादा है। भाषा न जानना इनकी कमजोरी नहीं हथियार है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा संवाद रहा..
जवाब देंहटाएं"विदेश मामलों की एक समिति के सम्मानित सदस्य" अरे क्यों नहीं होंगे अंग्रेजी भी नहीं आती होगी तभी तो निष्पक्ष जांच करा पायेंगे !
जवाब देंहटाएंमौसेरे भाई लगते है एक दूसरे के.......लगता है..
जवाब देंहटाएंBahut kuch kah gaye thode mein!
जवाब देंहटाएंरोचक। अच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंसब साले चोर उच्चके, मवाली........
जवाब देंहटाएंइन्हे भी जुत्ते पडने चाहिये, जहां भी दिखे...
धन्यवाद