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शनिवार, 5 अगस्त 2023

गृहस्थ, आश्रम और तीर्थ (भाग-1)

पिछले सप्ताहांत में दो दिन की छुट्टी थी- शनिवार को मोहर्रम फिर रविवार। सावन का महीना और एकादशी तिथि। मेरी धर्मपत्नी ने इसबार काशी विश्वनाथ के दर्शन का मन बनाया और हम दोनों प्राणी निकल पड़े एक छोटी मनभावन तीर्थयात्रा पर। वाहन-चालक का काम भी मैंने खुद ही सम्हाला। यह अनुभव इतना शानदार रहा कि पूछिए मत। जीवन संगिनी के साथ यात्रा किसी तीसरे व्यक्ति की उपस्थिति के बिना करने का आनंद ही कुछ और है।

बनारस पहुँचने से पहले हमारा पहला पड़ाव था- मेघदूत। बड़े भाई सा स्नेह देने वाले DrArvind Mishra का पैतृक आवास जो तेली-तारा राजस्व ग्राम में है। यह लखनऊ-वाराणसी हाईवे पर जौनपुर से कुछ पहले ही चुरावनपुर उर्फ चूड़ामणि पुर ग्राम पंचायत का अंग है। विज्ञान विषयों पर विशद लेखन करने और प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहने वाले, अनेक पुस्तकों के लेखक, और ब्लॉग व फेसबुक पर भी वैज्ञानिक चेतना की अलख जगाने वाले डॉ. मिश्र ने सेवानिवृत्ति के बाद अपने लिए ग्रामीण जीवन चुना है। यह बहुत प्रेरित करता है। प्राकृतिक हरियाली के बीच प्रचुर मात्रा में ऑक्सिजन और अपने खेत की साग-सब्जी, अनाज और फल-फूल का उपभोग करने का आनंद और कहाँ मिल सकता है। आदरणीया भाभी जी के साथ भाई साहब सपरिवार इतनी आत्मीयता से मिलते हैं कि वहाँ बार-बार जाने का मन करता है। छोटे भाई DrManoj Mishra को तो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की नौकरी भी मेघदूत से आ-जाकर कर पाने का सौभाग्य प्राप्त है। उनकी बेटी स्वस्तिका ने हम लोगों की तस्वीरें जिस दक्षता से क्लिक किया वह यादगार बन गया।

हमने यहाँ लगभग दो घंटे बिताए। किचन गार्डन के उत्पादों का आनंद लिया, पेड़ से आम, अमरूद और फूल तोड़े। विशालकाय कटहल का स्पर्श किया (क्यों कि उदरस्थ करने की क्षमता नहीं थी)। हरे-भरे आकर्षक चबूतरे मेघ-मंडपम् के साथ फोटो-शूट किया गया। Rachana ने स्वस्तिका की फरमाइश पर मुझे जूड़े में फूल लगाने का अवसर दिया। नई नई शादी के समय जो छूटा रह गया था वह इस सुरम्य आश्रम में घटित हो गया।

(...जारी)

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