राजकीय मेडिकल कॉलेज परिसर में आवास मिलने के बाद इसे हरा-भरा बनाने की कोशिश कर रहा हूँ। साग-सब्जी और फूल-पत्ती उगाने के उपक्रम प्रारम्भ हो चुके हैं जो निराई-गुड़ाई की निरंतरता मांगते हैं। मेरे सहयोगी मोहनलाल इसे बखूबी कर रहे हैं।
इसके साथ ही अहाते में कुछ स्थायी करने की इच्छा व्यक्त करने पर मेरे सहकर्मी सोहन बाबू आज मुझे अम्बाला रोड पर स्थित 'बगिया नर्सरी' नामक पौधशाला में लेकर गये। हमने परिसर में उपलब्ध स्थान को देखते हुए दो आम्रपाली, दो आंवले, एक नीबू और एक अमरूद का पेड़ खरीदा। घर लाकर उसे तत्काल गढ्ढा खोदकर रोप दिया। इस कार्य मे सहयोग स्वरूप बॉबी माली व वाहन चालक जावेद ने भी श्रमदान किया।
अब से चार-पाँच साल बाद जो इनका फल चखेगा वो जरूर हमें याद रखेगा। पौधे लगाकर उनका पालन-पोषण करना बहुत सुकून देता है। विश्वास न हो तो आजमा कर देखिए।
(सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी)
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सराहनीय पहल।
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