भई ये बात कुछ लोगों के लिये बहुत आसान है आँख, कान और मुँह बंद रखना। जैसे कि जब कोई बम फटा तो दिखाई नहीं दिया, कपडे बदल दिया....तब तक बम की आवाज भी आ गई पर वो भी सुनाई न पडी और फिर कपडे बदल दिये....ईतने में पत्रकार पहुँचे पूछने तो भी मुँह बंद रख रटा रटाया कहा - सख्ती से निपटेंगे...और फिर एक कपडा बदल लिया.......और जनाब अब भी गृहमंत्री बने हैं ....आँख बंद, कान बंद, और जबान .....वो तो कब से बंद है। अच्छी पोस्ट रही । वैसे आप की बात में दम है कि- आसान नहीं है आँख, कान, मुह बंद रखना।
Aaj Gandhiji faile hue hain aam aadmi ke chote-chote prayason mein; aap jaison ke blogs mein! Kya yeh desh hamare karndharon (chahe wo kisi bhi dal ke hon!) ke bal par chal raha hai? yahi praman kafi nahi is baat ka ki 'Urja ka kabhi vinash nahi hota, wah sirf apna roop badal leti hai'.
माँ-बाप के दिए संस्कारों के साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में परास्नातक की शिक्षा पूरी होते-होते सरकारी नौकरी मिल गयी। ईश्वर की कृपा और बुजुर्गों के आशीर्वाद से जीवन में ‘कठिन संघर्ष’ जैसा कुछ महसूस नहीं हुआ। बस ईमानदारी और अनुशासन से अपना काम करते रहने की आदत से मन संतुष्ट रहता है। लेकिन कभी-कभी यह शेर हॉन्ट करता है -
जिन्दगी में ज़ौक क्या कारे-नुमाया कर गये
बीए किया नौकर हुए पेंशन मिली और मर गये
किताबों की दुनिया - 223
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बात सन 1991 की गर्मियों की है जब भोपाल में रात के तीन बजे मुशायरे के नाज़िम
ज़नाब अनवर जलालपुरी साहब ने माइक पर कहा कि 'हज़रात, आइये ज़िन्दगी के जो
फ़ीके तीखे र...
Upanishad5 उपनिषद सन्देश 5
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एक बार बहुत पहले द्वैत और अद्वैत पर कुछ लिखा था। उसी श्रंखला में आगे
.... हिन्दू चिंतकों के बहुत से पथ रहे हैं, ईश्वरवादी, अनीश्वरवादी,
मूर्तिपूजक ,और भी ...
पांच सौ रोज कमाने का रोजगार मॉडल
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अच्छी भली स्वस्थ काया। देखने में मेधा भी कुंद नहीं लगती। पर कुछ सार्थक
उद्यम की बजाय मंदिर की "प्रेरणा" से भिखमंगत्व को अपना कर पिछले पांच छ साल
से जीवन या...
मास्क - एक कविता
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*मास्क*
मास्क अच्छे हैं।
छुपा लेते हैं
सफ़ेद होती मूंछों को
होठों के ऊपर
उभर रही झुर्रियों को;
मास्क अच्छे हैं।
छुपा लेते हैं
बेमन दी जाने वा...
कहीं सचमुच का शाहीन बाग़ न बन जाए किसान आंदोलन
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कहीं सचमुच का शाहीन बाग़ न बन जाए किसान आंदोलन
गत नौ दिनों से दिल्ली की धमनियां जिस तरह से अवरुद्ध की जा रहीं हैं कथित
किसानों द्वारा, 'जो दीसे सो माया'क्य...
...ये भी कोई तरीका है!
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*इष्टदेव सांकृत्यायन*
ऐसा लग रहा है जैसे अभी कल की ही तो बात है और आज एकदम से सन्न कर देने वाली
यह सूचना मिली - मनोज जी (प्रो. मनोज कुमार सिंह) नहीं रहे...
शेफाली
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पहली किरणों के सम्मोहन से उबर किशोर ने झोला गले में लटकाया और द्वार की
साँकल पर पाँव रख ऊपर चढ़ गया। काठ के तीरों से वस्त्र बचाते भीतर कूद पड़ा,
भद्द!...
रचे
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सूर्य लिखे कुछ चंद्र गढ़े,
कुछ उल्का के नवछंद रचे ।
निज पाँवोंं पर खड़े खड़े,
हम पीड़ा के सौगन्ध रचे ॥
साँझ घिरी चन्दन चंदन,
भोग चंद्रिका वंदन वंदन,
नगरसि...
पढ़िए एक व्यंग्य
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दोस्तों, बहुत समय बाद पुरूषों के चटोरेपन पर एक व्यंग्य लिखा है, पढ़िए भारत
भास्कर में और आनंद लीजिए।
मूल पाठ
यह मुंह और उनकी प्रयोगशाला
आप सोच रहे होंगे...
व्यतीत
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नीता ,जो व्यतीत है , दोहराई जा रही है रात और दिन में । श्यामल उसके लिये एक
सीमा है जिसके बाद सब गैर और अनैतिक है । दक्षिणेश्वर , बेलूर , काली माँ का
मंदिर...
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
'गारगोटी' की अद्भुत दुनिया !
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सूई सी नुकीली संरचना
“I try to sprinkle a little gems and jewels in the music that people
could use in their own life.”
– Nipsey Hussle
कभी ...
परिचय की गाँठ
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अब प्रेम पराग, अनुराग राग का उन्माद ठहर चुका है... बचे हैं कुछ दुस्साहसी
लम्हों की आहट, मुकर जाने को तत्पर वैरागी होता मन, और आस पास कनखजूरे सी
रेंगती ख़ाम...
तीन तलाक गैर कानूनी हैं।
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तीन तलाक गैर कानूनी हैं। संसद के दोनों में बी जे पी सरकार ने इसको
पास करवा लिया हैं। तारीफ़ हैं उन मुस्लिम महिला की जिन्होंने अपने हक़ की
लड़ाई को ल...
साहिर लुधियानवी ....... एक मुलाकात
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तेरी तड़प से न तड़पा था मेरा दिल,लेकिन
तेरे सुकून से बेचैन हो गया हूँ मैं
ये जान कर तुझे जाने कितना ग़म पहुचें
कि आज तेरे ख़यालों में खो गया हूँ मैं
किसी की ...
इंतज़ामअली और इंतज़ामुद्दीन
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हि न्दी में इन दिनों ये दो नए मुहावरे भी चल पड़े हैं। अगर अभी आप तक नहीं
पहुँचे हैं तो जल्दी ही पहुँच जाएँगे। चीज़ों को संवारने, तरतीब देने,
नियमानुसार क...
शक्ति बिना उत्सव सब फीके
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रस की चाह प्रबल, घट रीते,
शक्ति बिना उत्सव सब फीके।
सबने चाहा, एक व्यवस्था, सुदृढ़ अवस्था, संस्थापित हो,
सबने चाहा, स्वार्थ मुक्त जन, संवेदित मन, अनुनादित ह...
Demonetization and Mobile Banking
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*स्मार्टफोन के बिना भी मोबाईल बैंकिंग संभव...*
प्रधानमंत्री मोदीजी ने अपनी मन की बात में युवाओं से आग्रह किया है कि हमें
कैशलेस सोसायटी की तरफ बढ़ना है औ...
कहानी संग्रह अधूरे अफसाने-लावण्या दीपक शाह
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अभी अभी लावण्या शाह (लावण्या दीपक शाह ) के कहानी संग्रह अधूरे अफसाने को
पूरा किया है। चार बाल कहानियों को समेटे कुल ग्यारह कहानियों के इस गुलदस्ते
को लावण...
माँ
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लेती नही दवाई माँ,
जोडे पाई पाई माँ।
दुःख थे पर्वत राई माँ
हारी नही लडाई माँ।
इस दुनिया में सब मैले हैं
किस दुनिया से आई माँ।
दुनिया के सब रिश्ते ठंडे
गरमा-...
मछली का नाम मार्गरेटा..!!
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मछली का नाम मार्गरेटा..
यूँ तो मछली का नाम गुडिया पिंकी विमली शब्बो कुछ भी हो सकता था लेकिन मालकिन
को मार्गरेटा नाम बहुत पसंद था.. मालकिन मुझे अलबत्ता झल...
ब्लागिँग सेमिनार की शुरुआत रवि-युनुस जुगलबंदी से
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और ये उद्घटान हो गया। उद्घटान नहीँ भाई उद्घाटन हो गया-ब्लागिँग सेमिनार का।
वर्धा विश्वविद्यालय के हबीबा तनवीर सभागार मेँ वर्धा विश्वविद्यालत द्वारा
आयो...
PARYAAWARAN
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पर्यावरण - मुसीबत के बोल ?पिछले दिनों रिज़र्वेशन नहीं मिला. अतः वीडियो
कोच बस से लम्बी यात्रा करनी पड़ी . इंदौर से मुंबई की यात्रा के दौरान एक
फिल्म देखने का...
दैवीय आपदा.......
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देवताओं के दाढ़ी और मूँछें नहीं होती थीं ।
वे हमसे ताकतवर थे ।
उनको युद्ध में हराना मुश्किल था लेकिन असंभव नहीं । रावण के डर से वे थरथर
काँपते थे ।
... ...
अदम जी मुझे लौकी नाथ कहते थे
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जयपुर में अदम जी मंच संचालन कर रहे थे। मुझे कविता पढ़ने बुलाने के पहले एक
किस्सा सुनाया। किसी नगर में एक बड़े ज्ञानी महात्मा थे। उनका एक शिष्य था नाम
था...
काव्य संग्रह- केदार सम्मान के कवि
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हिंदुस्तानी एकेडेमी की अनुपम भेंट
*‘केदार शोध पीठ न्यास’* द्वारा प्रतिवर्ष समकालीन हिंदी कवियों में से ऐसे
कवि को चयनित कर केदार सम्मान प्रदान किया जाता ह...
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BHOPAL TRAGEDY
The main issue in revived Bhopal Tragedy is somewhat muffled. Arjun singh
was made scape goat as everybody knew that he will not let down ...
मानव सभ्यता को भारत का योगदान: कुछ रोचक तथ्य
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भारत से सम्बन्धित कुछ रोचक तथ्य एक जर्मन पत्रिका में प्रकाशित हुए थे
जिन्हें अंग्रेजी साप्ताहिक ‘ऑर्गनाइजर’ ने मई २००७ में रिपोर्ट किया था। हाल
ही में...
मेरी पहली पोस्ट: वरिष्ठ चिठेरों के नाम...
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मेरे मन में हमेशा कुछ अनूठा करने की चाह रही है। *ताजा हवाएँ* की नीव ही डाली
थी मैने कुछ ताजगी पैदा करने के लिए। लेकिन राह आसान नहीं थी। अयोध्यावासी
जमुना...
उद्देशिका
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जीवन को देखकर अबतक जो समझा है उसे लिपिबद्ध करने का एक माध्यम प्राप्त हुआ
है। विचारों की सर्वसमीक्षा के उपरान्त प्राप्त निष्कर्ष प्रायः सत्य के करीब
होते है...
बापू को नमन।
ReplyDeleteइस वैचारिक-नैतिक प्रदूषण से कौन उबारेगा?
पर इन तीनों का इस्तेमाल भी
ReplyDeleteसब कहाँ कर पा रहे हैं ?
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आभार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
बापू की याद में श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं.
ReplyDeleteबुरा न देखने सुनने बोलने के प्रतीकों के लिए बंदरों का ही चुनाव क्यों किया गया था? क्या इसके पीछे भी कोई कथा है?
बापू को प्रणाम
ReplyDeleteभई ये बात कुछ लोगों के लिये बहुत आसान है आँख, कान और मुँह बंद रखना। जैसे कि जब कोई बम फटा तो दिखाई नहीं दिया, कपडे बदल दिया....तब तक बम की आवाज भी आ गई पर वो भी सुनाई न पडी और फिर कपडे बदल दिये....ईतने में पत्रकार पहुँचे पूछने तो भी मुँह बंद रख रटा रटाया कहा - सख्ती से निपटेंगे...और फिर एक कपडा बदल लिया.......और जनाब अब भी गृहमंत्री बने हैं ....आँख बंद, कान बंद, और जबान .....वो तो कब से बंद है।
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट रही । वैसे आप की बात में दम है कि- आसान नहीं है आँख, कान, मुह बंद रखना।
होते तो ख़ुद कांग्रेस ही सुपारी दे देती !
ReplyDeleteगांधी जी होते ही क्यों ?
ReplyDeleteप्रभावी!!
ReplyDeleteगाँधी जयंति की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
Aaj Gandhiji faile hue hain aam aadmi ke chote-chote prayason mein; aap jaison ke blogs mein! Kya yeh desh hamare karndharon (chahe wo kisi bhi dal ke hon!) ke bal par chal raha hai? yahi praman kafi nahi is baat ka ki 'Urja ka kabhi vinash nahi hota, wah sirf apna roop badal leti hai'.
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