भई ये बात कुछ लोगों के लिये बहुत आसान है आँख, कान और मुँह बंद रखना। जैसे कि जब कोई बम फटा तो दिखाई नहीं दिया, कपडे बदल दिया....तब तक बम की आवाज भी आ गई पर वो भी सुनाई न पडी और फिर कपडे बदल दिये....ईतने में पत्रकार पहुँचे पूछने तो भी मुँह बंद रख रटा रटाया कहा - सख्ती से निपटेंगे...और फिर एक कपडा बदल लिया.......और जनाब अब भी गृहमंत्री बने हैं ....आँख बंद, कान बंद, और जबान .....वो तो कब से बंद है। अच्छी पोस्ट रही । वैसे आप की बात में दम है कि- आसान नहीं है आँख, कान, मुह बंद रखना।
Aaj Gandhiji faile hue hain aam aadmi ke chote-chote prayason mein; aap jaison ke blogs mein! Kya yeh desh hamare karndharon (chahe wo kisi bhi dal ke hon!) ke bal par chal raha hai? yahi praman kafi nahi is baat ka ki 'Urja ka kabhi vinash nahi hota, wah sirf apna roop badal leti hai'.
माँ-बाप के दिए संस्कारों के साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में परास्नातक की शिक्षा पूरी होते-होते सरकारी नौकरी मिल गयी। ईश्वर की कृपा और बुजुर्गों के आशीर्वाद से जीवन में ‘कठिन संघर्ष’ जैसा कुछ महसूस नहीं हुआ। बस ईमानदारी और अनुशासन से अपना काम करते रहने की आदत से मन संतुष्ट रहता है। लेकिन कभी-कभी यह शेर हॉन्ट करता है -
“जिन्दगी में ज़ौक क्या कारे-नुमाया कर गये
बीए किया नौकर हुए पेंशन मिली और मर गये”
शिक्षक दिवस पर दो शिक्षकों की यादें और मेरे पिताजी
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Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी
9वीं से 12वीं तक प्रयागराज में केपी कॉलेज में मेरी पढ़ाई हुई। काली प्रसाद
इंटरमीडिएट कॉलेज, इलाहाबाद की सबसे स...
झूल गये हैं कड़े प्रसाद
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डाक्टरों के चक्कर लगाने के बाद भी कड़े प्रसाद इतना कड़ा अनुशासन मानने वाले
जीव नहीं थे। पर असल में दिल के दौरे के दौरान उन्हें यमराज का भैंसा जरूर दिख
गया हो...
अफवाहों से रहें सचेत
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*इष्ट देव सांकृत्यायन *
पिछले दिनों जब मैंने मंगल ग्रह के राशि परिवर्तन संबंधी पोस्ट की थी और उसके
साथ ही मिडिल ईस्ट के संबंध में खास तौर से चेताया था, त...
किताब मिली - शुक्रिया - 15
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लगभग तीन-चार साल पुरानी बात होगी, शाम का समय था जब अमेरिका से श्री अनूप
भार्गव जी का फोन आया। अनूप जी बिट्स पिलानी से केमिकल इंजीनियरिंग और आईआईटी
दिल्ली स...
हम न करेंगे वैसा जैसा करते आए नाना
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नए जमाने में न चलेगा कोई चलन पुराना
हम न करेंगे वैसा जैसा करते आए नाना
हम ऊर्जा की बचत करेंगे उच्च दक्षता लाकर
चाहे कठिन लगे लेकिन हम लक्ष्य रहेंगे पाक...
बाग में टपके आम बीनने का मजा
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मेरे मित्र प्रोफेसर Sandeep Gupta पिछले दिनों अपने बाग के आम लेकर आए थे।
उनके साथ मैं पहले बाग देखकर आया था लेकिन तब आम कच्चे थे। बरौली से 2
किलोमीटर पहल...
परीक्षा-काल
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एक जमाना बीत गया स्कूल कॉलेज छूटे हुए परन्तु जब भी यह मौसम आता है, अचानक
अपने इम्तिहान के दिनों की याद आने लगती है। मानों अब भी किसी परीक्षा की
आधी-अधूर...
रेडियो भूली बिसरी स्मृतियां
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ये आकाशवाणी है..........।
रेडियो पर ये उद्घोषणा सुनते ही एक अजब अनुभूति का आभास होता है। जैसे आकाश
से वाणी सुनाई दे रही हो। आकाशवाणी से ये शब्द सुनत...
डॉल्बी विजन देखा क्या?
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इससे पहले, अपने पिछले आलेख में मैंने आपसे पूछा था – डॉल्बी एटमॉस सुना क्या?
यदि आपने नहीं सुना, तो जरूर सुनें.
अब इससे आगे की बात –
डॉल्बी विजन देखा क...
‘नाबाद’ के बहाने ‘बाद’ की बातें
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[image: Sachin-Tendulkar[5]]
रो जमर्रा की भाषा में ऐसे अनेक शब्दों का समावेश रहता है जिनका अक्सर अन्य
भाषाओं में अलग तरीके से इस्तेमाल होता है। ऐसे शब्दों ...
Measuring Astronomical distances in Space
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क्या आप जानते हैं कि दूरी कैसे मापी जाती है? बिल्कुल!!! हम सब जानते हैं, है
ना?मान लीजिए कि मैं एक नोटबुक को मापना चाहती हूं, मैं एक पैमाना/रूलर लूंगी,
एक ...
सज्जन-मन
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सब सहसा एकान्त लग रहा,
ठहरा रुद्ध नितान्त लग रहा,
बने हुये आकार ढह रहे,
सिमटा सब कुछ शान्त लग रहा।
मन का चिन्तन नहीं व्यग्रवत,
शुष्क हुआ सब, अग्नि त...
युद्ध कब शांति का विकल्प रहे हैं
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रात युक्रेन के लिए बेहद डरावनी बीतेगी यही समाचार सुनते-सुनते सो गई थी,
मुझसे वहाँ के नागरिकों के आँसू देखे नहीं जा रहे थे, न सुबह समाचार देखने का
ही मन...
thinking of my father ऐसे ही
-
नागेन्द्र हाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय नमश्शिवाय
...
पिताजी स्नान करते हुये जिन स्तोत्रों को गाते थे, ज्ञात नहीं कि ऐसा करना
शास्त्रसम्मत है भी या न...
कोई दीप
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कोई दीप जलाओ, बहुत अँधेरा है।
चलते रहे जिन वीथियों पर
भटकती पहुँचीं उन संगीतियों पर
न अर्थ जिनका, न कोई डेरा है।
सहेजते रहे ताड़पत्र गठरियाँ भर
कि रचें...
व्यतीत
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नीता ,जो व्यतीत है , दोहराई जा रही है रात और दिन में । श्यामल उसके लिये एक
सीमा है जिसके बाद सब गैर और अनैतिक है । दक्षिणेश्वर , बेलूर , काली माँ का
मंदिर...
तुम्हारा दिसंबर खुदा !
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मुझे तुम्हारी सोहबत पसंद थी ,तुम्हारी आँखे ,तुम्हारा काजल तुम्हारे माथे पर
बिंदी,और तुम्हारी उजली हंसी। हम अक्सर वक़्त साथ गुजारते ,अक्सर इसलिए के, हम
दोनो...
'गारगोटी' की अद्भुत दुनिया !
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सूई सी नुकीली संरचना
“I try to sprinkle a little gems and jewels in the music that people
could use in their own life.”
– Nipsey Hussle
कभी ...
परिचय की गाँठ
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अब प्रेम पराग, अनुराग राग का उन्माद ठहर चुका है... बचे हैं कुछ दुस्साहसी
लम्हों की आहट, मुकर जाने को तत्पर वैरागी होता मन, और आस पास कनखजूरे सी
रेंगती ख़ाम...
तीन तलाक गैर कानूनी हैं।
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तीन तलाक गैर कानूनी हैं। संसद के दोनों में बी जे पी सरकार ने इसको
पास करवा लिया हैं। तारीफ़ हैं उन मुस्लिम महिला की जिन्होंने अपने हक़ की
लड़ाई को ल...
साहिर लुधियानवी ....... एक मुलाकात
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तेरी तड़प से न तड़पा था मेरा दिल,लेकिन
तेरे सुकून से बेचैन हो गया हूँ मैं
ये जान कर तुझे जाने कितना ग़म पहुचें
कि आज तेरे ख़यालों में खो गया हूँ मैं
किसी की ...
Demonetization and Mobile Banking
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*स्मार्टफोन के बिना भी मोबाईल बैंकिंग संभव...*
प्रधानमंत्री मोदीजी ने अपनी मन की बात में युवाओं से आग्रह किया है कि हमें
कैशलेस सोसायटी की तरफ बढ़ना है औ...
कहानी संग्रह अधूरे अफसाने-लावण्या दीपक शाह
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अभी अभी लावण्या शाह (लावण्या दीपक शाह ) के कहानी संग्रह अधूरे अफसाने को
पूरा किया है। चार बाल कहानियों को समेटे कुल ग्यारह कहानियों के इस गुलदस्ते
को लावण...
माँ
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लेती नही दवाई माँ,
जोडे पाई पाई माँ।
दुःख थे पर्वत राई माँ
हारी नही लडाई माँ।
इस दुनिया में सब मैले हैं
किस दुनिया से आई माँ।
दुनिया के सब रिश्ते ठंडे
गरमा...
मछली का नाम मार्गरेटा..!!
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मछली का नाम मार्गरेटा..
यूँ तो मछली का नाम गुडिया पिंकी विमली शब्बो कुछ भी हो सकता था लेकिन मालकिन
को मार्गरेटा नाम बहुत पसंद था.. मालकिन मुझे अलबत्ता झल...
ब्लागिँग सेमिनार की शुरुआत रवि-युनुस जुगलबंदी से
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और ये उद्घटान हो गया। उद्घटान नहीँ भाई उद्घाटन हो गया-ब्लागिँग सेमिनार का।
वर्धा विश्वविद्यालय के हबीबा तनवीर सभागार मेँ वर्धा विश्वविद्यालत द्वारा
आय...
PARYAAWARAN
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पर्यावरण - मुसीबत के बोल ?पिछले दिनों रिज़र्वेशन नहीं मिला. अतः वीडियो
कोच बस से लम्बी यात्रा करनी पड़ी . इंदौर से मुंबई की यात्रा के दौरान एक
फिल्म देखने का...
अदम जी मुझे लौकी नाथ कहते थे
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जयपुर में अदम जी मंच संचालन कर रहे थे। मुझे कविता पढ़ने बुलाने के पहले एक
किस्सा सुनाया। किसी नगर में एक बड़े ज्ञानी महात्मा थे। उनका एक शिष्य था नाम
था...
काव्य संग्रह- केदार सम्मान के कवि
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हिंदुस्तानी एकेडेमी की अनुपम भेंट
*‘केदार शोध पीठ न्यास’* द्वारा प्रतिवर्ष समकालीन हिंदी कवियों में से ऐसे
कवि को चयनित कर केदार सम्मान प्रदान किया जाता ह...
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BHOPAL TRAGEDY
The main issue in revived Bhopal Tragedy is somewhat muffled. Arjun singh
was made scape goat as everybody knew that he will not let down ...
मानव सभ्यता को भारत का योगदान: कुछ रोचक तथ्य
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भारत से सम्बन्धित कुछ रोचक तथ्य एक जर्मन पत्रिका में प्रकाशित हुए थे
जिन्हें अंग्रेजी साप्ताहिक ‘ऑर्गनाइजर’ ने मई २००७ में रिपोर्ट किया था। हाल
ही में...
मेरी पहली पोस्ट: वरिष्ठ चिठेरों के नाम...
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मेरे मन में हमेशा कुछ अनूठा करने की चाह रही है। *ताजा हवाएँ* की नीव ही डाली
थी मैने कुछ ताजगी पैदा करने के लिए। लेकिन राह आसान नहीं थी। अयोध्यावासी
जमुना...
उद्देशिका
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जीवन को देखकर अबतक जो समझा है उसे लिपिबद्ध करने का एक माध्यम प्राप्त हुआ
है। विचारों की सर्वसमीक्षा के उपरान्त प्राप्त निष्कर्ष प्रायः सत्य के करीब
होते है...
बापू को नमन।
जवाब देंहटाएंइस वैचारिक-नैतिक प्रदूषण से कौन उबारेगा?
पर इन तीनों का इस्तेमाल भी
जवाब देंहटाएंसब कहाँ कर पा रहे हैं ?
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आभार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
बापू की याद में श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं.
जवाब देंहटाएंबुरा न देखने सुनने बोलने के प्रतीकों के लिए बंदरों का ही चुनाव क्यों किया गया था? क्या इसके पीछे भी कोई कथा है?
बापू को प्रणाम
जवाब देंहटाएंभई ये बात कुछ लोगों के लिये बहुत आसान है आँख, कान और मुँह बंद रखना। जैसे कि जब कोई बम फटा तो दिखाई नहीं दिया, कपडे बदल दिया....तब तक बम की आवाज भी आ गई पर वो भी सुनाई न पडी और फिर कपडे बदल दिये....ईतने में पत्रकार पहुँचे पूछने तो भी मुँह बंद रख रटा रटाया कहा - सख्ती से निपटेंगे...और फिर एक कपडा बदल लिया.......और जनाब अब भी गृहमंत्री बने हैं ....आँख बंद, कान बंद, और जबान .....वो तो कब से बंद है।
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट रही । वैसे आप की बात में दम है कि- आसान नहीं है आँख, कान, मुह बंद रखना।
होते तो ख़ुद कांग्रेस ही सुपारी दे देती !
जवाब देंहटाएंगांधी जी होते ही क्यों ?
जवाब देंहटाएंप्रभावी!!
जवाब देंहटाएंगाँधी जयंति की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
Aaj Gandhiji faile hue hain aam aadmi ke chote-chote prayason mein; aap jaison ke blogs mein! Kya yeh desh hamare karndharon (chahe wo kisi bhi dal ke hon!) ke bal par chal raha hai? yahi praman kafi nahi is baat ka ki 'Urja ka kabhi vinash nahi hota, wah sirf apna roop badal leti hai'.
जवाब देंहटाएं