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हे अमरनाथ के बाबा!
तू क्यों बर्फ़ की तरह जम गया है?
तेरे सामने, देखते ही देखते,
धर्म के नाम पर,
मानवता का रास्ता थम गया है।
तुम्ही ब्रह्मा, तुम्ही विष्णु
तुम्ही हो अल्लाह भी;
और तेरी ही है मसीहाई,
तुम्हारी इस बात पर
सबको है भरोसा,
कि यह धरती तुमने ही बनायी।
जंगल, जानवर और वहाँ का कानून
सब तुम्हारी ही करनी है।
तो क्या इस ख़ौफनाक ख़ता की सजा,
हम इन्सानों को भरनी है?
तुमने तो,
इन्सान के भीतर अपना अंश
डाला था!
तेरी किताबें कहती हैं,
इन्सान को
तूने बनाके अपना वंश
पाला था!
हे परम पिता परमेश्वर, तारणहार,
ऐ रसूल अल्लाह, परवरदिग़ार!
तेरी फितरत हम समझ क्यों नहीं पाते?
क्या है तेरा दीन-धरम,
खुलकर क्यों नहीं बताते?
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ये तसद्दुद, ये खूँरेज़ी,
ये रंज़ो-ग़म।
ये ज़मीन की लड़ाई, ये बलवा
क्या यही है धरम?
रोक ले इसे,
सम्हाल ले, अभी-इसी वक्त!
नहीं तो देख ले समय,
निकला जा रहा है कमबख़्त।
डरता हूँ,
कहीँ तेरा दामन,
उसकी पाक़ीज़गी
दागदार न हो जाये।
करने को तुझे सज़दा,
तेरी पूजा, तेरी अर्चना,
कोई
तमीज़दार न रह जाये।
(सिद्धार्थ)
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ये तस्वीरें इण्टरनेट से खोजकर उतारी गयी हैं। यदि इसमें किसी कॉपीराइट का उल्लंघन निहित है तो कृपया सूचित करें, (साभार)
पूरी कविता सुंदर और यथार्थ प्रार्थना है, लेकिन इस का निम्न अंश....
जवाब देंहटाएंतुमने तो,
इन्सान के भीतर अपना अंश
डाला था!
तेरी किताबें कहती हैं,
इन्सान को
तूने बनाके अपना वंश
पाला था!
.... को इस तरह बदल कर
तुमने तो,
इन्सान इंन्सान को
अपने अंश से
अपने लिए ही
बनाया था!
फिर क्यों यह इन्सान
अपने लिए बन गया?
तुमसे
बिलकुल अलग
तुम्हारा प्रतिद्वंदी सा
हो गया।
...अपने लिए अपनाना चाहूँगा।
इस प्रार्थना के लिए आभारी हूँ।
बहुत बढ़िया..सही प्रार्थना हैं. हम सब शामिल हैं आपके साथ.
जवाब देंहटाएं'ये तस्वीरें इण्टरनेट से खोजकर उतारी गयी हैं। यदि इसमें किसी कॉपीराइट का उल्लंघन निहित है तो कृपया सूचित करें, (साभार)'
जवाब देंहटाएंमेरे विचार से केवल इतन लिख देना काफी नहीं है। जहां से आपने इन चित्रों को लिया है वहां से लिंक भी कीजिये। अन्यथा कैसे मालुम चलेगा कि कहां से ली गयी हैं।
@उन्मुक्त जी,
जवाब देंहटाएंसलाह के लिए धन्यवाद। अमल कर लिया गया है। श्रोत का पता तस्वीरों के नीचे डाल दिया है।
जब शोर शुरू हुआ तब सरकार अपनी टोपी बचाने के कवायद में थी ...अब हालात काबू से बाहर है ,अब जम्मू सहनशीलता से बाहर हो गया है ..इस सवेंदीनशील मुद्दे पर न सरकार गंभीर है न कोई राजनातिक दल.....सच कहे तो कश्मीर हाथ से निकल गया है....आतंकवादी सर्वे सर्व है जब मन आता है कहते अब गोली बारी बंद करो.......कल ही मई कही लेख पढ़ रहा था की अमेरिका में एक बम्ब ब्लास्ट होने से वहां की विदेश नीति बदल जाती है ,यहाँ संसद में हमला होने के बाद भी एक कानून सर्वसम्मिति से पास नही होता ..हैरानी नही ..एक दिन अफज़ल कही कश्मीर का मुख्यमंत्री न बन जाये ....मुआफ कीजेये ....आपने संकेतो से अपनी कविता के मध्यम से कुछ कहा है ....मै प्रत्यक्ष कह बैठा
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं पूरे देश और दुनिया को
जवाब देंहटाएंउनको भी इनको भी आपको भी दोस्तों
स्वतन्त्रता दिवस मुबारक हो
kavita bahut achhi hai badhai
सही प्रार्थना हैं.
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई और शुभकामना.
सही प्रार्थना हैं.
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई और शुभकामना.
सही है - जब आपसी समझ की जरूरत है तब आग फैल रही है।
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