सायोनारा सायोनारा, चलो सितंबर सायोनारा
अर्थनीति ने राजनीति का विकट नकाब उतारा
सायोनारा सायोनारा, चलो सितंबर सायोनारा…
चढ़ी जा रही प्याज अर्श पर, रुपया गिरता रहा फर्श पर
अर्थशास्त्र के बड़े धुरन्धर जमे रहे डालर विमर्श पर
डीजल और पेट्रोल ने मिलकर सबका पॉकेट मारा
सायोनारा सायोनारा, चलो सितंबर सायोनारा…
अब चुनाव की आहट होली, राजनीति में लगती बोली
कौड़ी में अब अन्न मिलेगा, वादों की खुल गयी झपोली
भ्रष्टतंत्र पर लोकतंत्र के प्रहरी करें प्रहार करारा
सायोनारा सायोनारा, चलो सितंबर सायोनारा…
पी.एम. इन वेटिंग बौराये, नेह निमंत्रण पर ना आये
नमो-नमो का गर्जन-तर्जन, सुनकर मनमोहन घबराये
जनसंघी सक्रियता से सेकुलर मोर्चा का चढ़ता पारा
सायोनारा सायोनारा, चलो सितंबर सायोनारा…
छेड़छाड़ ने पकड़ा तूल, शांति नष्ट हो गयी समूल
ढेर हुए कर्फ़्यू में तीस, नेता रहे निपोरे खींस
हुआ प्रशासन पंगु जिसे सेना ने दौड़ उबारा
सायोनारा सायोनारा, चलो सितंबर सायोनारा…
हिंदी दिवस मनाये बहुधा, फिर ब्लॉगर पहुँचे सब वर्धा
सोशल मीडिया की प्रभुताई, ब्लॉगिंग पर जमने ना पायी
हुई बहस घनघोर जिसे कुलपति ने खूब सँवारा
सायोनारा सायोनारा, चलो सितंबर सायोनारा…
सबसे बड़ी अदालत बोली, बाहर हो अब दागी टोली
पी.एम. अध्यादेश बनाये, महामहिम के पास पठाये
सहजादे की आँख खुल गयी, सेल्फ़-गोल दे मारा
सायोनारा सायोनारा, चलो सितंबर सायोनारा…
करे अदालत और कमाल, बैलट में दी NOTA डाल
अब वोटर कर लें संकल्प, अंतिम वाला चुने विकल्प
जाति-धर्म का खेल चुनावी हमको नहीं गँवारा
सायोनारा सायोनारा, चलो सितंबर सायोनारा…
अंतिम दिवस तुम्हारा आया, उनपर बनकर काली छाया
सत्रह साल न्याय की देर, फिर भी नहीं हुई अंधेर
गोबर बनकर निकल रहा जो छककर खाया चारा
सायोनारा सायोनारा, चलो सितंबर सायोनारा…
(सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी)
तुसी ते सटीक काव्य पंक्तियां दे मारी सितम्बर को कहते हुए सायोनारा
ReplyDeleteअब अक्टूबर को कह दीजिए आयोनारा, ब्लॉगों का बुलंद होगा सितारा।
सितम्बर पुराण हो गया यह तो :)
ReplyDeleteकविता ने वो चित्र उभारा
ReplyDeleteजैसे हो सच्चा हरकारा
वाह! सितम्बर सायोनारा
बहुत अच्छा लगा पढकर.
नमो नमो का बजता ढोल ,
ReplyDeleteजल्द खुलेगी सबकी पोल,
पप्पू,फेंकू नहीं गँवारा।
गया सितम्बर बे-चारा।
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ReplyDeleteकाव्यात्मक समाचार,
ReplyDeleteवाह पढ़कर सब एक बार सामने घूम गया।
कविता भाव और शिल्प दोनों में बेजोड़ है
ReplyDeleteसायोनारा!
अद्भुत ...अद्भुत..अद्भुत....सुन्दर.
ReplyDeleteक्या बात है बढ़िया संजोया आपने
ReplyDeleteबढिया प्रस्तुति !!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
बहुत सुंदर। ''नमो-नमो का गर्जन-तर्जन, सुनकर मनमोहन घबराये
ReplyDeleteजनसंघी सक्रियता से सेकुलर मोर्चा का चढ़ता पारा
सायोनारा सायोनारा, चलो सितंबर सायोनारा…''
सटीक और सामयिक !
ReplyDeleteइंग्लिश प्रयोग पसंद आया , शायद अगली सदी की कविता ऎसी ही होगी...
मैं भी एक लिखता हूँ
बधाई आपको !
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteबेहतरीन!
ReplyDeleteप्रभावी..... काव्य रचना अलग सी अभिव्यक्ति लिए
ReplyDeleteनये चुनावी वर्ष की तैयारी का आलम है , देखें कि क्या क्या होना है।
ReplyDeleteगहन दृष्टि !
बहुत सुन्दर और सामयिक
ReplyDeleteनवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
नई पोस्ट साधू या शैतान