वर्धा से लौटकर अपनी नौकरी के दायित्वों को सम्हाल चुका हूँ; लेकिन ध्यान उन पोस्टों पर लगा हुआ है जो हमारे प्रतिभागियों ने वर्धा से लौटकर लिखी हैं या लिखने वाले हैं। यदि आप किसी कारणवश वर्धा नहीं आ सके तो आपके मन में वहाँ जो कुछ हुआ उसे जानने की जिज्ञासा होगी। मैं तो वहाँ गया था और जो कुछ हुआ उसका साक्षी भी था; लेकिन अंतर्जाल पर इस सेमिनार के बारे में जो कुछ लिखा जा रहा है उसे शब्द-शब्द पढ़ने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूँ। जिन नये लोगों से परिचय हुआ उन्हें भी हम बहुत नहीं जान पाये। अपने मतलब की बात की, संयोजकीय दायित्वों की परिधि में पड़ने वाले अनिवार्य प्रश्नों से आगे कहाँ बढ़ पाये हम। समय ही कहाँ था उस दौरान। इसलिए अब उन्हे थोड़ा और जानने का मन है। इसका माध्यम तो यह पन्ना ही है।
आप जब वहाँ से लौटे होंगे तो कम से कम एक ब्लॉग पोस्ट भर का चिन्तन तो कर ही चुके होंगे। उसे यदि अभी तक पोस्ट नहीं कर पाये हैं तो तत्काल कर दीजिए। कुछ आदरणीय लिख्खाड़ ब्लॉगर्स ने तो शृंखला ही चला रखी है। अहा…!
एक और बात उन सभी प्रतिभागियों से कहना है कि इस विचारगोष्ठी में यथासंभव सबको अपनी बात कहने का अवसर देने का प्रयास किया गया था; लेकिन संभव है कि आप अपनी पूरी बात वहाँ न कह पाये हों। मन में एक कसक रह गयी हो कि फलाँ प्वाइंट तो रह ही गया। जो कुछ कहा भी, हो सकता है जनता ने उसपर उतना ध्यान न दिया हो, या बहसबाजी के शोर में कहीं खो गया हो। ऐसी सभी बातें मैं ऑन-रिकार्ड लाना चाहता हूँ। यह बहुत ही आसानी से हो सकता है। आप थोड़ा सा समय निकालकर अपनी बात को व्यवस्थित करके अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर दीजिए। ध्यान रहे यह सामग्री वर्धा प्रवास के आपके ‘संस्मरण’ से अलग होगी। वर्धा संगोष्ठी में आपने जो विचार प्रस्तुत किये, या पर्याप्त समय मिलने पर आप जो प्रस्तुत करते उसे अलग पोस्ट बनाकर डालिए। मुझे विश्वास है कि यह एक शानदार संकलन होगा।
मुझे अनिल जी की एक मजेदार बात याद है। उन्होंने बताया कि जब एक बालक गाय पर निबन्ध तैयार करके गया था और उसे पेड़ पर निबन्ध लिखने को कह दिया गया तो उसने लिखा- एक पेड़ था जिसके नीचे एक गाय बँधी थी। वह गाय…आदि-आदि। अनिल जी के अलावा वर्धा संगोष्ठी में कुछ अन्य लोगों के साथ भी ऐसा मजाक हुआ होगा। दरअसल सबने विषय अपनी पसन्द से तैयार किया था लेकिन सत्र विभाजन में उनकी भूमिका मैंने तय की थी। सभी सत्रों में बराबर लोग हो सकें इसके लिए मैंने उनकी पसन्द को पीछे करके उनकी क्षमता पर ज्यादा भरोसा किया। मुझे विश्वास था कि अनिल जी जैसे लोग किसी भी मुद्दे पर बोल सकते हैं। यद्यपि उन्होंने समय से मुझे अपना शानदार आलेख भेज दिया था लेकिन मैंने उन्हें किसी अन्य सत्र में मंचासीन कर दिया। अब अनिल जी मेरे अनुरोध के अनुसार अपना पसन्दीदा आलेख पोस्ट कर दें तो आनंद आ जाय।
अतः मैं अबतक ज्ञात उन पोस्टों का लिंक यहाँ लगा रहा हूँ जो इस सेमिनार के बारे में लिखी गयी हैं। जो छूट गयी हैं या आगे आने वाली हैं उनका लिंक टिप्पणियों के माध्यम से दीजिए। क्रमशः उन्हें जोड़ता जाऊँगा और भविष्य के पाठकों के लिए सारा मसाला एक ही स्थान पर उपलब्ध हो जाएगा:
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(सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी)
गर ध्यान दिया होता तो संभवत: एक या दो पोस्टें नुक्कड़ पर भी आपको इस बाबत दिखलाई दे जातीं। वे उतनी स्तरीय तो नहीं होंगी, पर उनके होने का जिक्र करना तो बनता है। वैसे भी भीड़ में एक दो निम्नस्तरीय पोस्टें भी ठेली जा सकती हैं।
जवाब देंहटाएंमाफ कीजिएगा अविनाश जी, ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया है। ऊपर जितने भी लिंक हैं उनका पता मुझे अपने फ़ेसबुक पेज या ई-मेल से ही मिला था। संयोग से आपका लिंक नहीं मिला। काश यह उलाहना देने के बजाय आपने उन पोस्टों का लिंक यहाँ दे दिया होता। मैंने यह अनुरोध तो सबसे किया है।
हटाएंएक लिंक मिला जिसे तुरन्त लगा दिया है।
हटाएंऔर बताइए...!
यह अन्ना बाबा हैं , ब्लॉग जगत के मुन्ना भाई :)
हटाएंआप इन्ह्ने नज़रन्दाज़ नहीं कर सकते ! :)
जय हो बाबा की !!
बढ़िया संकलन।
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लागिंग पर हुए वर्धा कार्यक्रम से संबंधित लिंक को यहाँ दे कर आप ने पाठकों को सुविधा दे दी है। छूटे हुए लिंक भी इसी पोस्ट पर जोड़ते रहें।
जवाब देंहटाएंhttp://www.nukkadh.com/2013/09/15-2013.html संभव हो तो इस पोस्ट को भी शामिल कर लीजिएगा।
जवाब देंहटाएंशामिल कर लिया।
हटाएंhttp://lalitdotcom.blogspot.in/2013/09/blog-post.html इसे भी शामिल कर लीजिएगा सिद्धार्थ भाई। आभारी हूं।
हटाएंसम्मलेन से सम्बंधित सभी आलेखों का संकलन एक स्थान पर पाठकों के लिए अत्यधिक सुविधानाजनक है। इससे संयोजक के तौर पर आपकी भूमिका भी प्रमाणित और उल्लेखनीय होती है।
जवाब देंहटाएंआभार !
वाह! यह सुविधाजनक रहा। अब पढ़ते हैं बारी बारी।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंअब हम जैसे लोगों के लिए सबकुछ जानना सुविधाजनक हो गया ....
जवाब देंहटाएंbadhiya 'sanyojan'.........
जवाब देंहटाएंabhar
pranam.
vardha' pe post ....... lalit.com pe hua hai.....
जवाब देंहटाएंlinkit kar den......
pranam.
उल्लेखनीय कार्य।
जवाब देंहटाएंदेर से रिपोर्ट भेजने के अपने लाभ भी हैं और हानि भी, हम सदा ही हानि उठाते आये हैं।
जवाब देंहटाएंअभी बिल्कुल देर नहीं हुई है। बल्कि आप एक लाभ में यों रहेंगे कि इन रिपोर्टों को एक साथ पढ़ने में लोग शायद जल्दबजी दिखाये। इनके निपट जाने के बाद आपकी पोस्ट आयेगी तो सभी ध्यान से पढ़ेंगे। आप बिन्दास लिखिए। लिंक तो हम लागाएंगे ही।
हटाएंit would be a better option to make one blog for the meeting and put all links on that blog this way it will keep coming up in all search engines
जवाब देंहटाएंये अच्छा रहा ... धन्यवाद
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