[ख्याति-लब्ध अमेरिकी लेखक इर्विन शॉ की कालजयी अंग्रेजी कहानी का हिन्दी अनुवाद करने की सलाह मेरे मित्र स्कंद शुक्ल ने दी। फिर इसे ‘प्रयाग-पथ’ ने प्रकाशित करने के लिए चयनित कर लिया। जुलाई में जब यह अनूदित कहानी प्रकाशित हो गयी तो इसकी सूचना फेसबुक पर देकर रह गया। सत्यार्थमित्र पर लम्बी निष्क्रियता को तोड़ने और इस रोचक कहानी को आप सबके लिए सहेजने के लिए थोड़े विलम्ब से ही सही यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ।]
मूल अंग्रेजी कथाकार - इर्विन शॉ
हिंदी अनुवाद - सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
जब उन दोनों ने ब्रेवोर्ट से निकलकर वाशिंगटन स्क्वेयर की ओर टहलते हुए जाना प्रारंभ किया उस समय 'फिफ्थ एवेन्यू' सूरज की रोशनी में चमक रहा था। यद्यपि यह नवंबर का महीना था फिर भी धूप में गर्माहट थी, और सब कुछ रविवार की सुबह के मुताबिक ही दिख रहा था - वहाँ की बसें, बढ़िया कपड़ों में जोड़ा बनाकर धीरे-धीरे टहलते हुए लोग और बंद खिड़कियों वाली शांत इमारतें।
माइकल ने फ्रेंसी की बाँह जोर से पकड़ रखी थी। वे दोनों सूर्य के प्रकाश में शहर की ओर जा रहे थे। वे धीरे-धीरे चल रहे थे, प्रायः मुस्कराते हुए क्यों कि वे दोनों रात में देर से सोए थे, सुबह उठकर बढ़िया नाश्ता किया था और आज छुट्टी का दिन था। माइकल ने अपने कोट के बटन खोल दिए और उसके निचले पल्लों को हवा में लहराने के लिए छोड़ दिया था। वे दोनो बिना कुछ बोले चलते जा रहे थे। वे ऐसे नौजवान व मनभावन लोगों के बीच में थे जो कदाचित न्यूयॉर्क शहर के इस हिस्से की पूरी जनसंख्या का आभास देते थे।
"अरे, देख के," जब वे आठवीं गली पार कर रहे थे तो फ्रेंसी ने टोका। "तुम तो अपनी गर्दन ही तोड़ लोगे!"
इसपर माइकल हँस दिया और फ्रेंसी भी उसके साथ हँस पड़ी।
"वैसे भी, वह इतनी सुंदर नहीं है।" फ्रेंसी ने कहा, "मतलब इतनी सुंदर नहीं कि तुम उसको निहारने के चक्कर में अपनी गर्दन ही तोड़ डालो"
माइकल फिर से हँस दिया। इस बार वह ऊँची आवाज में हँसा था लेकिन उतनी मजबूती से नहीं। "अरे वह देखने में इतनी खराब लड़की नहीं थी। उसका रंग ठीक-ठाक था - देसी लड़कियों के रंग की थी। …तुमने कैसे जाना कि मैं उसे देख रहा हूँ?"
फ्रेंसी ने अपना सिर एक ओर घुमा लिया और अपने तिरछे टोप के चोंचदार घेरे के नीचे से अपने मर्द पर मुस्कराने लगी। "माइक, डार्लिंग..." इतना ही कहा उसने।
माइकल हँसा, इस बार बस थोड़ी सी हँसी। "ठीक है," उसने कहा। "सबूत तो सामने है न! मान भी लो, इसमें रंग वाली बात थी। यह वैसा रंग नहीं था जैसा तुम अक्सर न्यूयॉर्क में देखती हो, माफ करना।"
फ्रेंसी ने उसकी बांह पर हल्की सी थपकी दी और उसे अपने साथ खींच कर वाशिंगटन स्क्वायर की ओर थोड़े तेज कदमों से बढ़ चली।
"आज कितनी सुहानी सुबह है।" उसने कहा, "यह तो अद्भुत है। जब मैं तुम्हारे साथ सुबह का नाश्ता करती हूँ तो सारा दिन मुझे बहुत अच्छा महसूस होता है।"
"टॉनिक," माइकल ने कहा। "सुबह का साथ उठना और मेरे साथ रोल्स और कॉफी, फिर तो तुम मस्त हो ही जाती हो, इसकी गारंटी है।"
"यही तो बात है। इतना ही नहीं, मैं सारी रात तुमसे रस्सी की तरह लिपटकर सोई भी रही।"
"शनिवार की रात," उसने जोड़ा। "मैं ऐसी मनमर्जी की छूट तभी देता हूँ जब हफ्ते भर का काम पूरा हो गया होता है।"
"तुम अब मोटे होते जा रहे हो।" उसने चुहल की।
"ये सच है न? मैं तो ओहियो से आया हुआ एक मरियल आदमी था।"
"मुझे ये पसंद है।" वह बोली, "तीन-चार किलो ज्यादा का ख़सम"
"मुझे भी यह पसंद है।" माइकल ने गंभीरता से कहा।
"मेरे मन में एक आईडिया है।" फ्रेंसी ने कहा।
"ओहो, मेरी बीवी के मन में एक आईडिया है! प्यारी बच्ची!"
"चलो आज पूरे दिन किसी और से नहीं मिलते हैं।" फ्रेंसी ने कहा, "ऐसा करते हैं कि आज हम दोनों एक दूसरे के साथ ही रहेंगे। सिर्फ तुम और मैं। हमलोग हमेशा दूसरे लोगों के बीच आकंठ डूबे रहते हैं। कभी उनकी स्कॉच पीते हैं, कभी अपनी पीते हैं। हम एक दूसरे से सिर्फ रात के समय बिस्तर में ही मिलते हैं…"
"मिलने के लिए यह कितना बेहतरीन स्थान है न!" माइकल ने कहा, "बिस्तर पर खूब देर तक पड़े रहो। तब ऐसा होगा कि तुम जितने लोगों को भी जानती हो वे सब वहीं मिलने पहुँच जाएंगे।"
"होशियार आदमी!" फ्रेंसी बोली, "मैं सीरियसली कह रही हूँ।"
"ठीक है, मैं भी गम्भीरता से सुन रहा हूँ।"
"मैं पूरे दिन भर 'अपने पति के साथ' बाहर घूमना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ कि वह केवल मुझसे बात करें और केवल मेरी बात सुने।"
"क्या रोक सकता है हमें?" माइकल ने पूछा। किसकी मंशा है जो मुझे मेरी बीबी के साथ अकेले में पूरा इतवार बिताने से रोकना चाहे? कौन सी पार्टी है?"
"वही स्टीवेंशन वाले। वे चाहते हैं कि हमलोग एक बजे तक वहाँ पहुँच जाएँ और वे हमें देहात की सैर कराएँ।"
"वो बेहूदे स्टीवेंसन्स," माइक ने मुँह बिचकाया, "वे नंगे…। वे सीटी बजा सकते हैं। वे जहाँ जाना चाहें खुद ही घूमने जा सकते हैं। मेरी बीबी को और मुझे यहीं न्यूयॉर्क में रुके रहना है और एक-दूसरे को बोर करना है। झेलना है और झिलाना है…"
"क्या यह एक 'डेट' है?
"हाँ, यह एक 'डेट' है।"
फ्रेंसी उसके ऊपर झुकी और उसके कान के निचले हिस्से पर चूम लिया।
"डार्लिंग," माइकल ने चेताया - "यह फिफ्थ एवेन्यू है!"
"अच्छा मुझे कार्यक्रम बनाने दो..." फ्रेंसी ने उत्साह से भरकर कहा, "एक युवा जोड़े के लिए न्यूयॉर्क में एक सुनियोजित रविवार जिसके पास उड़ाने के लिए खूब पैसे हैं।"
"थोड़ा आराम से…!"
"सबसे पहले चलकर फुटबॉल देखा जाय। एक प्रोफेशनल फुटबॉल गेम।" फ्रेंसी ने कहा क्योंकि उसे पता था कि माइकल को वह देखना बहुत अच्छा लगता था। "आज 'द जायंट्स' खेल रहे हैं। आज सारा दिन बाहर रहना ठीक रहेगा… और उसके बाद जब खूब भूख लग जाएगी तो 'कैवनाघ' वाले के यहाँ चलेंगे और एक बड़ा सा 'स्टेक' लेंगे। इतना बड़ा जितना लोहार का चोंगा होता है…। साथ में वाइन की एक बोतल ली जाएगी…। और उसके बाद... 'फ़िल्मारते' में एक फ्रेंच पिक्चर लगी है जिसके बारे में सब लोग बता रहे हैं कि… बता…अरे, तुम मुझे सुन भी रहे हो?"
"पक्का," वह बोला। उसने बिना हैट वाली उस लड़की पर से अपनी नजरें हटा लीं जिसके काले बाल एक हेलमेट की तरह डांसर-स्टाइल में कटे हुए थे, जो उसके बगल से गुजर रही थी और जिसकी चाल में नर्तकियों वाली स्व-चेतन शक्ति और गरिमा थी। उसने कोट नहीं पहना था, और वह बेहद दृढ़ और मजबूत दिख रही थी, और उसका पेट उसकी स्कर्ट के अंदर बिल्कुल सपाट था, जैसे लड़कों का होता है, और उसके नितम्ब बेधड़क डोल रहे थे क्योंकि वह एक डांसर थी और इसलिए भी कि उसे पता था कि माइकल उसकी ओर देख रहा है। जब वह बगल से गुजर रही थी तो अपने आप पर थोड़ा मुस्कराई थी और माइकल इन सब चीज़ों पर उस क्षण तक ध्यान लगाए हुए था जब उसने अपनी पत्नी की ओर पीछे मुड़कर देखा था। "पक्का," उसने कहा। "हमलोग 'द जायंट्स' को देखने जा रहे हैं, और हमलोग स्टेक खाने जा रहे हैं और हम लोग एक फ्रेंच पिक्चर देखने जा रहे हैं। तुम्हें यह कैसा लग रहा है?
"बस ठीक है!" फ्रेंसी ने तपाक से कहा। "आज दिनभर का यही कार्यक्रम है। या हो सकता है कि तुम फिफ्थ एवेन्यू में ही दिनभर केवल मटरगश्ती करते रहो।"
"नहीं जी," माइकल ने सावधानी से कहा। "कत्तई नहीं!"
"तुम हमेशा दूसरी औरतों को ताड़ते रहते हो," फ्रेंसी बोली। "न्यूयॉर्क शहर की हर ऐरी-गैरी औरत को…"
"ओह, छोड़ो भी," माइकल ने मजाकिया अंदाज में कहा। "केवल जो हसीन होती हैं उन्हें। और वैसे भी, न्यूयॉर्क में हसीन औरतें हैं ही कितनी? सत्रह?"
"इससे ज्यादा…। कम से कम जैसी तुम्हारी सोच लगती है। जहाँ कहीं भी जाते हो…"
"ये सच नहीं है। कभी-कभार, हो सकता है, जब कोई महिला बगल से गुजरती हो तो देख लेता होऊँ। गली के भीतर। मैं मान रहा हूँ कि शायद गली के अंदर मैं किसी महिला को थोड़ी देर के लिए कभी-कभी देख लेता होऊँ…।
"सब जगह," फ्रेंसी ने कहा। "चाहे जो जगह हो, जहाँ भी हम जाते हैं- रेस्तराँ, सब-वे, थिएटर, लेक्चर्स, कॉन्सर्ट्स…"
"अच्छा अब सुनो, डार्लिंग!" माइकल कहने लगा, "मैं सबकुछ देखता हूँ। भगवान ने मुझे आँखें दी हैं और मैं महिलाओं और पुरुषों को देखता हूँ… और यहाँ खोदी जा रही सड़क भी देखता हूँ, वो घूमते हुए चित्र भी देखता हूँ और खेतों में खिले हुए छोटे-छोटे फूलों को भी देखता हूँ, मैं ऐंवेई बिना मतलब पूरे ब्रह्मांड का निरीक्षण करता रहता हूँ।"
"तब तुम्हें अपनी आँखों के भीतर भी देखना चाहिए कि वे कैसी दिखती हैं," फ्रेंसी ने व्यंग्य किया। "जब तुम ऐंवेई बिना मतलब फिफ्थ एवेन्यू पर ब्रह्मांड का निरीक्षण करते हो…"
"मैं एक खुशहाल शादीशुदा मर्द हूँ।" माइकल ने उसकी कोहनी को हल्के से दबाया, यह जानते हुए कि वह क्या कर रहा है। "पूरी बीसवीं सदी के लिए एक उदाहरण - मिस्टर एंड मिसेज माइक लूमिस"
"क्या तुम सच में ऐसा मानते हो?"
"फ्रेंसी, बेबी…"
"क्या वाकई तुम शादी करके खुश हो?"
"बिल्कुल," माइकल ने कहा, उसे महसूस हुआ कि रविवार की सारी सुबह पिघले हुए शीशे की तरह उसके भीतर डूबती जा रही है। "अब इस तरह से बात करने का क्या बेहूदा मतलब है?
"मैं जानना चाहती हूँ।" फ्रेंसी अब तेज कदमों से चलने लगी, बिल्कुल सामने की ओर देखती हुई, उसके चेहरे से कुछ पता नहीं चल सकता था। जब उसे कुछ बुरा लगता या जब कोई नोंक-झोंक होती तो वह ऐसा ही मुँह बना लेती थी।
"मैं शादी करके अद्भुत रूप से खुशहाल हूँ।" माइकल ने धीरज धरते हुए कहा। "पूरे न्यूयॉर्क राज्य के 15 से 60 वर्ष की उम्र वाले मर्दों की ईर्ष्या का विषय हूँ मैं।
"ये बचपना बन्द करो," फ्रेंसी ने टोका।
"मेरे पास एक अच्छा सा घर है।" माइकल ने कहा। "मेरे पास अच्छी किताबें हैं, एक अच्छा फोनोग्राफ है और मेरे पास अच्छे दोस्त हैं। मैं अपने पसंदीदा शहर में जैसे चाहता हूँ वैसे रहता हूँ, अपनी पसंद का काम करता हूँ, और जिस औरत को प्यार करता हूँ उसके साथ रहता हूँ। जब भी कुछ अच्छा होता है तो क्या मैं दौड़कर तुम्हारे पास नहीं आता हूँ? जब कुछ बुरा होता है तो क्या मैं तुम्हारे कंधे पर सिर रखकर नहीं रोता हूँ?"
"हाँ…" फ्रेंसी ने कहा "जो भी औरत आसपास से गुजरती है तुम उसे निहारते हो।"
"यह तो अतिशयोक्ति है...!"
"हर एक औरत को।" फ्रेंसी ने अपना हाथ माइकल की बाँह से अलग छुड़ा लिया। "अगर वो हसीन नहीं होती है तो तुम थोड़ा जल्दी मुँह फेर लेते हो। अगर थोड़ी भी सुंदर है तो तुम उसे सात कदमों तक निहारते रहते हो…"
"हे भगवान…! फ्रेंसी…!"
"अगर कोई वाकई खूबसूरत होती है तो तुम सही में अपनी गर्दन तोड़ लेते हो...।"
"ऐ ! चलो कुछ पी लेते है।" माइकल ने उसे रोकते हुए कहा।
"हमने अभी-अभी तो नाश्ता लिया था।"
"अच्छा, अब सुनो डार्लिंग!" माइकल ने ध्यान से अपने शब्दों को चुनते हुए कहा। "आज का दिन सुहाना है और हम दोनों अच्छा महसूस कर रहे हैं और कोई वजह नहीं है कि हमारे बीच कोई खटपट हो जाय। चलो एक खुशनुमा इतवार का आनंद लेते हैं।"
"मैं एक अच्छे से इतवार का मजा ले पाती जो तुम उन सबको इस तरह नहीं घूरते जैसे कि फिफ्थ एवेन्यू पर हरेक स्कर्ट के पीछे दौड़ पड़ने के लिए मरे जा रहे हो।
"अच्छा चलो, ड्रिंक लेते हैं।" माइकल ने फिर कहा।
"मैं पीना नहीं चाहती।"
"तुम चाहती क्या हो, लड़ना?"
"नहीं," फ्रेंसी ने यह इतना बिगड़कर कहा कि माइकल को उसके लिए बेहद तकलीफ महसूस होने लगी। "में लड़ना नहीं चाहती। मुझे नहीं पता मैंने यह क्यों शुरू किया। अच्छा ठीक है, चलो छोड़ो इसे। अब कुछ अच्छा समय गुजारा जाय।
उन दोनों ने जानते-समझते हुए एक-दूसरे के हाथों में हाथ डाल लिया और वाशिंगटन चौक के उस पार्क में चुपचाप टहलने लगे जिसमें बच्चे घुमाने वाली गाड़ियाँ थी, अपने रविवासरीय कपड़ों में घूमते इतालवी बुजुर्ग थे और स्कॉटियों के साथ घूमती कमसिन लड़कियाँ थीं।
"मुझे उम्मीद है कि आज का खेल बढ़िया होगा।" थोड़ी देर बाद फ्रेंसी ने कहा। उसका स्वर ठीक वैसा ही मधुर था जैसा उसने सुबह के नाश्ते के समय और उसके बाद टहलने की शुरुआत के समय प्रयोग किया था। "मैं पेशेवर फुटबाल का खेल पसंद करती हूँ। वे एक दूसरे को ऐसे ठोंकते हैं जैसे वे ईंट-पत्थर के बने हों, जब वे एक दूसरे के साथ जूझते हैं।" उसने माइकल को हँसाने की कोशिश करते हुए कहा। "वे मैदान की घास ही खोद डालते हैं। यह बहुत उत्तेजक होता है।"
"मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।" माइकल ने बहुत गम्भीर होकर कहा। "मैंने किसी दूसरी औरत को छुआ तक नहीं है। एक बार भी नहीं। पूरे पाँच साल में।"
"चलो सब ठीक है," फ्रेंसी ने कहा
"तुम इसपर विश्वास करती हो न?"
"हाँ ठीक है।"
"वे इस नगर-उद्यान के खुरदरे पेड़ों के नीचे बैठने के लिए बनी भीड़भाड़ से भरी बेंचो के बीच टहलते रहे।
"मुझे कोशिश करनी चाहिए कि इस बात पर ध्यान न दूँ।" फ्रेंसी ने यह ऐसे कहा जैसे वह खुद से ही बात कर रही हो। "मुझे ऐसा विश्वास करने की कोशिश करनी चाहिए कि इससे कुछ नहीं होता। कुछ मर्द ऐसे होते ही हैं, मुझे खुद को बताना है कि वे वह सबकुछ देखेंगे ही जो वे नहीं पा सकते।"
"कुछ महिलाएं भी उस तरह की होती हैं।" माइकल ने कहा। "अपने जमाने में मैंने ऐसी दो-चार औरतों को देखा है।"
"मैंने तो किसी दूसरे मर्द की ओर देखा तक नहीं है।" फ्रेंसी ने सीधा सामने की ओर चलते हुए कहा। "तबसे जब मैं तुम्हारे साथ दूसरी बार बाहर निकली थी।
"ऐसा कोई कानून नहीं है।" माइकल बोला।
मैं अपने भीतर एक सड़ांध महसूस करती हूँ, अपने पेट में, जब हम दोनों किसी महिला के बगल से गुजरते हैं और तुम उसे घूरते हो और मैं तुम्हारी आँखों में वह ताड़ने का अंदाज देखती रहती हूँ। यह वही अंदाज है जिस तरह तुमने मुझको पहली बार एलिस मैक्सवेल के घर देखा था। उनके लिविंग रूम में… रेडियो के पास खड़े होकर… हरे रंग की हैट लगाए हुए... और उन सारे लोगों के साथ।
"मुझे वो हैट याद है।" माइकल ने कहा।
"देखने का बिल्कुल वही अंदाज," फ्रेंसी ने कहा। "इससे मुझे बहुत खराब लगता है। यह मुझे भयावह महसूस होता है।"
"शांत हो जाओ, प्लीज, डार्लिंग शांत……"
"सोच रही हूँ कि अब मुझे एक ड्रिंक अच्छा लगेगा।" फ्रेंसी ने कहा।
इसके बाद बिना कोई बात किए वे दोनों आठवीं स्ट्रीट की एक मधुशाला में चले गये। माइकल ने यंत्रवत होकर उसे घुमावदार पत्थरों से बचाते हुए आती-जाती गाड़ियों के बीच से पार करने में मदद की। जब वे दोनो मधुशाला की ओर कदम बढ़ा रहे थे तो उसने अपनी कोट के बटन बन्द किए और अपने भारी-भरकम ब्राउन कलर के चमकदार जूतों की ओर विचारशील दृष्टि से देखा। वे शराबखाने के भीतर एक खिड़की के पास बैठ गए। सूरज की चमकीली किरणें भीतर आ रही थीं और यथास्थान थोड़ी सी उल्लसित आग लहक रही थी। एक छोटा सा जापानी वेटर आ गया और उसने मेज पर कुछ प्रेटजेल्स रख दिए और उनपर एक खुशनुमा मुस्कान बिखेर दी।
"सुबह का नाश्ता कर लेने के बाद तुम क्या लेना चाहोगी?" माइकल ने पूछा।
"ब्रैंडी, मेरे हिसाब से," फ्रेंसी ने कहा।
"क़ुर्व्यासीए" माइकल ने वेटर से कहा। "दो क़ुर्व्यासीए ला दो"
"वेटर गिलासें लेकर आ गया और उन दोनों ने सूरज की रोशनी में बैठकर ब्रैंडी पी। जब माइकल ने अपना आधा गिलास पी लिया तो उसने थोड़ा सा पानी पिया।
"मैं औरतें ताड़ता हूँ," उसने कहा। "सच है। मैं यह नहीं कह रहा कि यह उचित है या अनुचित है। पर मैं उनकी ओर देखता हूँ। अगर मैं कहूँ कि सड़क पर उनके बगल से गुजरता हूँ और मैं उनकी ओर नहीं देखता हूँ तो मैं तुम्हें बेवकूफ बना रहा हूँ… मैं खुद को बेवकूफ बना रहा हूँ…।"
"तुम उन्हें ऐसे देखते हो जैसे उन्हें पाना चाहते हो।" फ्रेंसी ने अपनी ब्रैंडी की गिलास के साथ खेलते हुए कहा। "उनमें से हर एक को..."
"एक प्रकार से…" माइकल कोमलता से बोल रहा था, लेकिन अपनी पत्नी से नहीं। "एक प्रकार से यह बात सही है। मैं इस संबंध में कुछ भी करता नहीं हूँ, लेकिन यह बात सही है।"
"मैं जान रही हूँ। तभी मुझे बुरा महसूस होता है।"
"एक-एक ब्रैंडी और," माइकल ने पुकारा। "वेटर! दो ब्रैंडी और ले आना।"
"तुम मुझे चोट क्यों पहुँचाते हो?" फ्रेंसी ने पूछा। "तुम ये कर क्या रहे हो?"
माइकल ने लम्बी साँस छोड़ी और अपनी आँखें बंद कर लीं। अपनी अंगुलियों से हौले-हौले आँखों को सहलाने लगा। "औरतें जैसी दिखती हैं वह मुझे पसंद है। न्यूयॉर्क की एक चीज जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद है वह है औरतों की फौज। जब मैं ओहियो से पहली बार न्यूयॉर्क आया तो यही चीज है जिसपर सबसे पहले मेरा ध्यान गया। पूरे शहर में लाखों की संख्या में अद्भुत औरतें। मैं चारो ओर घूमता रहता था और डर के मारे मेरा कलेजा मुँह को आ जाता था।
"बच्चा..." फ्रेंसी ने कहा, "यह तो बच्चों जैसी फीलिंग है।"
"फिर सोचो," माइकल ने कहा। "फिर सोचो। मैं अब बड़ा हो गया हूँ। मैं अब अपनी आधी उम्र में पहुँच गया हूँ, देह पर थोड़ी चर्बी भी आ गयी है और मैं अभी भी तीन बजे फिफ्थ एवेन्यू की ओर सड़क के पूर्वी हिस्से में इक्यावनवीं और सत्तावनवीं गली के बीच टहलना पसंद करता हूँ।
वे सब की सब उधर ही बाहर मिल जाती हैं। एक तरह से वे विश्वास दिलाती हैं कि वे सब विचित्र किस्मों के हैट लगाए हुए अपने फर के परिधानों में खरीदारी कर रही हैं। मानो पूरी दुनिया का सबकुछ जैसे उन्हीं आठ ब्लॉक्स में सिमट आया हो, सबसे बेहतरीन फर, सबसे अच्छे कपड़े, सर्वाधिक मनभावन औरतें, जो खूब पैसा खर्च करने के लिए निकल आयी हैं और ऐसा करके अच्छा महसूस कर रही हैं। वे आपकी ओर ऐसी ठंडी निगाह डालती हैं जैसे जतलाना चाहती हैं कि जब आप गुजर रहे हैं तो वे आपको देखती तक नहीं हैं।"
जापानी वेटर ने मेज पर दोनों ड्रिंक्स लाकर रख दिया और अत्यंत प्रसन्नता से मुस्करा दिया।
"सब ठीक है न?" उसने पूछा।
हाँ, सबकुछ बहुत बढ़िया है," माइकल ने उत्तर दिया।
"अगर इसका मतलब सिर्फ दो-चार फर वाले कोट हैं…" फ्रेंसी ने कहा, "और वो पैंतालीस डॉलर वाले हैट हैं तो…!"
"नहीं, ये फर-कोट की बात है ही नहीं, न तो हैट्स की है। यह तो बस उस खास किस्म की औरतों के लिए बनने वाले दृश्य की बात है। समझो तो सही," उसने कहा, "तुम्हें तो इसके बारे में कुछ सुनना ही नहीं है।"
"मैं सुनना चाहती हूँ।"
"मैं दफ्तरों में काम करने वाली लड़कियों को पसंद करता हूँ। साफ-सुथरी, आँखों पर चश्मा लगाए, स्मार्ट और जागरूक, हर चीज के बारे में जानने वाली जो हर समय अपना ख्याल रखती हैं।" वह लगातार खिड़की से बाहर पैदल-पथ पर मंथर गति से आते-जाते लोगों पर दृष्टि टिकाए हुए था। "मुझे भोजनावकाश के समय चौवालीसवीं गली वाली लड़कियाँ अच्छी लगती हैं, ये अभिनेत्रियाँ बिना किसी वजह के भी सजी-सँवरी रहती हैं और सुदर्शन लड़कों से बातें करती रहती हैं, ये कमसिन और चपल लड़कियां 'सारडीज' के बाहर खड़ी होकर फ़िल्म निर्माताओं की कृपादृष्टि पाने के इंतजार में खुद को बेजार कर लेती हैं। मैं 'मैसीज' की सेल्सगर्ल्स को पसंद करता हूँ जो आप पर सबसे पहले ध्यान देती हैं क्योंकि आप पुरुष हैं। वे महिला ग्राहकों को प्रतीक्षा करने के लिए छोड़ देती हैं। वे आपके साथ मोजे, किताबें या फोनोग्राफ की सुई के बहाने फ्लर्ट करती रहती हैं। मैं यह सब बातें अपने भीतर जमा करता रहा हूँ क्योंकि मैं करीब दस सालों से इन सबके बारे में सोचता रहा हूँ। आज तुमने पूछ लिया तो लो, यही सब है जान लो।
"और आगे बताओ...!" फ्रेंसी ने कहा।
"जब मैं न्यूयॉर्क शहर के बारे में सोचता हूँ तो सभी तरह की लड़कियों के बारे में सोचता हूँ; यहूदी लड़कियाँ, इतालवी लड़कियाँ, आयरिश लड़कियाँ, पोलैक, चीनी, जर्मन, नीग्रो, स्पेनिश, और रूसी लड़कियाँ, सब की सब शहर में चहलकदमी करती हुई। मुझे नहीं मालूम कि ऐसा केवल मेरे साथ है कि जितने भी पुरुष इस शहर में घूमते हैं उन सभी के भीतर ऐसी ही अनुभूति होती है, लेकिन मैं ऐसा महसूस करता हूँ मानो मैं इस शहर में कोई पिकनिक मना रहा हूँ। मैं थिएटर में औरतों के निकट बैठना पसंद करता हूँ, उन मशहूर सुंदरियों को जिन्होंने तैयार होने में छः घंटे लगाए होते हैं उन्हें निहारना अच्छा लगता है मुझे। और फुटबाल के खेल के समय दिखने वाली वो लाल-लाल गालों वाली किशोरियाँ, और जब गर्माहट वाला मौसम आता है तब ग्रीष्मकालीन परिधानों वाली लड़कियाँ…!" उसने अपना ड्रिंक ख़त्म कर लिया। "तो ये है कहानी। याद रखना, तुमने इसके बारे में जानना चाहा था। मैं खुद को उन्हें निहारने से रोक नहीं सकता। मैं उन्हें पाना चाहता रहूंगा। मैं इसे भी नहीं रोक सकता।
"तुम उन्हें पाना चाहते हो," फ्रेंसी ने भावहीन ढंग से दुहराया। "तुमने यह कहा।"
"बिल्कुल सही," अब माइकल ने निष्ठुर और बेपरवाह होकर कहा क्योंकि उसने उसे खुद को पूरी तरह अनावृत करने को मजबूर कर दिया था। "तुमने इस विषय को विचार-विमर्श के लिए खींचा है, तो हम इसपर पूरी तरह से सोच-विचार करेंगे।"
फ्रेंसी ने भी अपना ड्रिंक समाप्त किया और उसके बाद दो-तीन बार अलग से घूँट भरती रही।
"तुम तो कहते हो कि मुझे प्यार करते हो?"
"मैं तुम्हें प्यार करता हूँ, लेकिन उन्हें पाना भी चाहता हूँ। ठीक है।"
"मैं हसीन भी हूँ," फ्रेंसी ने कहा। "इतनी हसीन जितनी उनमें से कोई भी हो।"
"तुम सुंदर हो," माइकल ने पूरी सच्चाई से कहा।
"मैं तुम्हारे लिए अच्छी हूँ," फ्रेंसी ने मनुहार करते हुए कहा। "मैं एक अच्छी पत्नी बनकर रहती हूँ, कुशल गृहिणी हूँ, बढ़िया दोस्त हूँ। मैं तुम्हारे लिए कुछ भी, वाहियात चीज भी कर सकती हूँ।"
"मुझे पता है," माइकल ने कहा। उसने अपना हाथ बाहर निकाला और उसके हाथों को जकड़ लिया।
"तुम चाहोगे कि तुम्हें इसकी आजादी हो कि तुम…" फ्रेंसी ने कहा।
"श्शश"
"सच बात बोलो!" उसने अपना हाथ उसकी जकड़ से बाहर खींच लिया।
माइकल ने गिलास की कोर पर अपनी अंगुली झटककर बजाया। "ठीक बात है," उसने सरलता से कहा। "कभी-कभार मुझे ऐसा महसूस होता है कि मैं आजादी पाना चाहता हूँ।"
"ठीक है," फ्रेंसी ने विद्रोही अंदाज में मेज पर घूसा मारते हुए कहा, "कभी भी जब तुम कहो…!"
"बेवकूफ मत बनो।" माइकल ने अपनी कुर्सी खींचकर उसके पास कर लिया और उसकी जांघों पर थपकी दी।
वह रोने लगी - बिना आवाज किए, अपने रुमाल में, बस इतना झुककर कि उस शराबखाने में मौजूद कोई दूसरा व्यक्ति जान न जाय। "किसी दिन…" उसने सुबकते हुए कहा, "तुम एक चाल चलने वाले हो…"
माइकल ने कुछ भी नहीं कहा। वह चुपचाप बैठकर साकी को धीरे-धीरे एक नीबू छीलते हुए देखता रहा।
"चलने वाले हो न चाल?" फ्रेंसी ने कटुता से पूछा। "सामने आओ, मुझे बताओ। बात करो। ऐसा करने वाले हो न?"
"हो सकता है," माइकल ने कहा। उसने अपनी कुर्सी फिर से पीछे कर ली। "अब इस बकवास के बारे में मैं कैसे जान सकता हूँ?"
"तुम जानते हो," फ्रेंसी अड़ गयी। "क्या तुम नहीं जानते?"
"हाँ…" थोड़ी देर बाद माइकल ने कहा। "मैं जानता हूँ।"
तब फ्रेंसी ने रोना बन्द कर दिया। रुमाल में दो या तीन बार नाक छिनक कर उसने उसे परे हटा दिया और तब उसके चेहरे से किसी को कुछ भी पता नहीं चल सकता था। "कम से कम मेरे ऊपर एक उपकार कर दो।" उसने कहा।
"जरूर।"
"ऐसी बातें करना बंद कर दो कि यह या वह औरत कितनी हसीन है, कजरारी आंखे, आकर्षक उरोज, सुडौल देहयष्टि, सुरीली आवाज," उसने उसके बोलने के ढंग की नकल करते हुए कहा। "यहसब अपने तक ही रखो। मुझे इसमें कोई रुचि नहीं है।"
"एक्सक्यूज़ मी," माइकल ने वेटर को हाथ हिलाकर इशारा किया। "मैं इसे अपने तक ही सीमित रखूंगा।"
फ्रेंसी ने अपनी आँखों के कोने झपकाए। "एक और ब्रैंडी," उसने वेटर से कहा।
"दो लाना," माइकल ने कहा।
"जी, मा'म, जी, सर," वेटर ने पीछे हटकर जाते हुए कहा।
फ्रेंसी ने मेज के उस पार से उसे शांति पूर्वक सम्मान दिया। "क्या तुम मुझसे चाहते हो कि मैं 'स्टीवेंशन्स' को कॉल कर लूँ? उसने पूछा। "देहात के इलाके में माहौल अच्छा होगा।"
"जरूर," माइकल ने कहा। "उन्हें बुला लो।"
वह मेज से उठ खड़ी हुई और कमरे के दूसरी ओर रखे टेलीफोन की ओर बढ़ने लगी। माइकल उसे चलते हुए देखकर सोच रहा था, क्या हसीन लड़की है, क्या सुडौल टांगें हैं।
[इति]
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (04-11-2020) को "चाँद ! तुम सो रहे हो ? " (चर्चा अंक- 3875) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
-- सुहागिनों के पर्व करवाचौथ की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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THIS IS AMAZING POSTT I REALLY LIKE IT KEEP IT UPMOBILE SE PAISE KAISE KAMAYE
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