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सोमवार, 1 जनवरी 2024

कैसे नववर्ष मनायें

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कैसे नववर्ष मनायें

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सूर्य छिपा कोहरे के पीछे तनमन ठिठुरा जाए

बर्फीली सी सर्द जमीं कैसे नववर्ष मनायें

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चढ़ी रजाई, कंबल दुहरा फिर भी कांपें टांगें

रैन बसेरे भरे हुए लकड़ी अलाव की मांगें

जब गरीब की खोली कच्ची बच्चे भी अधनंगे

बाजारों की चकाचौंध में घूम रहे भिखमंगे

बदली है तारीख मगर कुछ नया नजर ना आए

बर्फीली सी सर्द जमीं कैसे नववर्ष मनायें

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संवत्सर का परिवर्तन मधुमास लिए आता है

पत्ता पत्ता बूटा बूटा हर्षित मुस्काता है

ऋतु वसंत से पुलकित धरती सँवर सँवर जाती है

नवलय नवगति ताल छंद नव गीत मधुर गाती है

सत्य सनातन चैत्र प्रतिपदा को नववर्ष बताए

बर्फीली सी सर्द जमीं कैसे नववर्ष मनायें

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पश्चिम की जो हवा चली सब डूबे उसके रस में

भौतिकता की भेड़चाल ले जाए इन्हें तमस में

केक काटते धुआँ उड़ाते भूले कुमकुम चंदन

माता-पिता और गुरुओं का भूल गए अभिनंदन

मांस और मदिरा की बोतल घर-घर खुलती जाए

बर्फीली सी सर्द जमीं कैसे नववर्ष मनायें

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सत्यार्थमित्र

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