रायबरेली में #साइकिल_से_सैर
करते हुए मुझे एक गाँव जगदीशपुर के बाहर एक छोटी सी चाय की दुकान के सामने एक
विचित्र शक्ल -सूरत का पेड़ मिला। विचित्र इसलिए कि यह खूब घना और हरा था लेकिन
इसमें एक भी पत्ती नहीं थी। यह बिजली के तारों के मकड़जाल जैसी आकृति लिए बहुत सी
लताओं का पुंज था। हरी,
मुलायम और सफेद दूध से भरी लताएं।
मैंने चाय बना रहे आदमी से
पूछा तो पता चला कि इसे स्थानीय स्तर पर 'थूहर' कहा जाता है। यह त्वचा पर सफेद दाग का बेहतरीन इलाज़ है। उसने बताया कि इसका
दूध लगाने पर एक-दो हफ्ते में दाग गायब हो जाते हैं। यदि कोई इस औषधीय वृक्ष के
बारे में वैज्ञानिक जानकारी साझा कर सके तो मुझे खुशी होगी।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (31-07-2017) को "इंसान की सच्चाई" (चर्चा अंक 2682) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वह जानकारी भी एक उपलब्धि होगी .
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी
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