अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को याद करते हुए आज एक मेला लगा है, मुंशीगंज- रायबरेली में। वर्ष 1921 के मुंशीगंज गोलीकांड को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ‘दूसरे जालियाँवाला बाग’ का ऐतिहासिक महत्व प्राप्त है। इन शहीदों के अमर बलिदान के सम्मान में यहाँ सई नदी के तट पर एक भव्य शहीद स्मारक स्थापित है। एक गैर सरकारी संस्था के संयोजन में स्थानीय लोगों द्वारा प्रतिवर्ष २३ मार्च से तीन दिनों का शहीद स्मृति मेला लगता है। शहीदों को पुष्पांजलि, और गणमान्य अतिथियों के उद्बोधन के साथ-साथ इस दौरान अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल-कूद प्रतियोगिताएँ, किसान मेला, प्रदर्शनी, स्वास्थ्य शिविर इत्यादि आयोजित होते हैं। रायबरेली में तैनाती के फलस्वरूप इस वर्ष मुझे भी यहाँ आयोजित कवि-सम्मेलन का रसास्वादन करने का अवसर मिला है।
आज सुबह इसकी तैयारी करते-करते मन में जो कुछ घूम रहा था उसे शब्दों में जोड़ने का अवसर लखनऊ से रायबरेली की यात्रा के दौरान मिल गया (मार्च महीने में कोषागार में कार्याधिक्य की व्यस्तता के कारण ऐसा ही समय ब्लॉगरी और फेसबुक के लिए मिल पाता है)। इस गीत को वहाँ मंच पर सुनाने का मौका मिलेगा ही लेकिन यहाँ अपने ब्लॉग पर इसे और प्रतीक्षा नहीं करा सकता-
कुछ अच्छा सा कर जाएँ हम |
रोज़ शिकायत इनकी-उनकी अस्त-व्यस्त से जन-जीवन की देख पराये काले धन की पीड़ा सहलाते निज मन की इन सब से बाहर आएँ हम कुछ अच्छा सा कर जाएँ हम।1। हमने नेक समाज बनाया इसमें है हम सब की छाया अंग-अंग जब स्वस्थ रहेगा तभी निरोग रहेगी काया अपने हिस्से काम मिला जो पूरा करें, सँवर जाएँ हम कुछ अच्छा सा कर जाएँ हम।2। बेटा हँसता, बिटिया रोती वह पढ़ता वो घर को ढोती अधिकारों में भेदभाव क्यों क्षमता में तो समता होती पढ़ें बेटियां, बढ़ें बेटियां कर दें सिद्ध सुधर जाएँ हम कुछ अच्छा सा कर जाएँ हम।3। देशप्रेम से बड़ा प्रेम क्या राष्ट्रधर्म से बड़ा धर्म क्या निर्मल स्वच्छ बनायें भारत इससे सुन्दर और कर्म क्या नहीं हाथ पर हाथ धरेंगे कस के कमर उतर जाएँ हम कुछ अच्छा सा कर जाएँ हम।4। अपने संविधान को जानें अधिकारों को हम पहचानें लोकतंत्र में शक्ति तभी है जब हम कर्तव्यों को मानें धर्म-जाति की छुआ-छूत को तजकर अपने घर जाएँ हम कुछ अच्छा सा कर जाएँ हम।5। |
बेहद उम्दा ....वाह
जवाब देंहटाएंवाकई , कुछ अच्छा सा कर जाएँ हम
नवरात्रों की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (25-03-2015) को "ज्ञान हारा प्रेम से " (चर्चा - 1928) पर भी होगी!
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Very beautiful and inspiring!
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