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बुधवार, 12 दिसंबर 2012

वालमार्ट जी आइए… स्वागत गीत


वालमार्ट जी आइए

वालमार्ट जी आइए, वालमार्ट जी आइए
देश हमारा व्याकुल बैठा, पूँजी से सहलाइए

घपलों और घोटालों की तस्वीर यहाँ की झूठी है
बिना विदेशी पूँजी के तकदीर देश की रूठी है
रंक बने राजा ऐसी मनमोहन नीति अनूठी है
बिछी लाल कालीन आइए दो का बीस बनाइए
वालमार्ट जी आइए

तथाकथित विद्वान देश के आपके आगे बौने हैं
बड़े-बड़े मन्त्री भी देखो कैसे भले खिलौने हैं
संसद की लॉबी में भी सब बिकते औने-पौने हैं
यहाँ निलामी सस्ती है अब खुलकर दाँव लगाइए
वालमार्ट जी आइए

बहुत हुई आजादी की सूखी बातें अब ऊब रहे
आम आदमी के सपने केजरीवाल संग डूब रहे
अर्थनीति पर राजनीति के कन्फ़्यूजन भी खूब रहे
भटक रहे सन्‌ सैतालिस से पटरी पर लौटाइए
वालमार्ट जी आइए

-सत्यार्थमित्र (12.12.12)

16 टिप्‍पणियां:

  1. वॉलमार्ट जी आइए, हमारे एक रुपय्ये से आप सौ बनाइए
    हमारे रुपय्ये की कीमत चवन्नी से बदतर कर जाइए
    बिछ गया है कालीन हमारे खून से इसे लाल बनाइए

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  2. करार व्यंग ... वाल मार्ट जी आइये ...
    नेता गण स्वागत में कब से आँख बिछाए बैठे हैं ... अब तो आ ही जाइए ...
    बहुत ही जबरदस्त ...

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  3. बड़ा गजब स्वागत गीत है जी। सोचते हैं अपने वालमार्ट वाली पोस्ट में सटा लें। :)

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    1. जरूर सटा लें। मुझे भी पाठक मिल जाएंगे।
      आजकल भाई लोग मुझे बिसरा दिए हैं शायद। :)

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  4. ...इस गीत ने बाबा नागार्जुन की याद दिला दी !
    "आओ रानी ढोएँगे हम पालकी "

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  5. स्वागत गीत है या घातक गीत! दुःख की बात यह है कि कोई आहत नहीं होगा। ढाई इंच की मुस्कान बिखेर कर अच्छा है..अच्छा है कहेंगे और चल देंगे। अब शालीन ढंग से कितनो करारा व्यंग्य लिखा जाय, चिकने घड़े के ऊपर से पानी की तरह फिसल जाता हैं। बाबा नागार्जुन की पालकी अब वालमार्ट के हवाले..

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  6. bass bhaiji.....poonji to beshak aa rahi hai..... lekin jis gaddi pe aati hai ..... uska drivar hi le bhag jata hai........publicva khali-ka-khali rah jata hai........

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  7. क्षणिक समय के लिए भूले जरूर है, लेकिन कभी बिसराए नहीं हैं। --
    वालमार्ट का स्वागत गीत, हमारे वर्तमान का एक अत्यंत कष्टप्रद स्थिति है।
    मुझे एक साथ बहुत कुछ याद आ रहा है # मुंबई के कोई जैन साहब ने लिखा था "अंग्रेजों भारत वापिस आओ "....

    किसी न किसी का आन्दोलन सफल हो रहा है। कभी हमारा भी होगा, इन्ही आशाओं के साथ हम सब रचनाकार एक जुट में रहें।

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  8. जिन्‍हें विदेशी वस्‍तुओं का शौक है, वे पूरा कर लेंगे।

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  9. आईये हम भी पलके बिछाएं बैठे हैं.

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  10. इस गीत की चर्चा यहाँ भी है..

    http://merecomment.blogspot.in/2012/12/blog-post.html

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