पिछले कुछ समय से जब राह चलते स्कूल-कॉलेज के बच्चे किसी पार्टी या बारात में उछलते-कूदते लड़के-लड़कियाँ किसी रिश्तेदार या मित्र के घर कालबेल बजाने पर दरवाजा खोलते किशोर-किशोरियाँ मेरा अभिवादन करते तो मैं सतर्क हो जाता
… ‘अंकल जी’ सुनकर चिहुँक जाता मेरा युवा मन मचल उठता यह बताने को कि मैं उनका दोस्त सरीखा हूँ अभी इतना बड़ा नहीं कि पिछली पीढ़ी का कहलाऊँ भैया या सर कहलाना अच्छा लगता चाचा नहीं
... लेकिन अब समय की पटरी पर वह चिह्न आ ही गया जब स्वीकार लूँ मेरे नीचे एक नयी पीढ़ी आ चुकी है चालीस बसंत जो देख लिए
... सोचता हूँ अब तो बड़ा बनके रहना पड़ेगा बहुत कठिन है यह सब जिम्मेदारी का काम है अनुशासन और मर्यादा की चिंता जो पहले भी थी लेकिन एक शृंगार की तरह अब तो जवाबदेही होगी नयी पीढ़ी के प्रति
... तथापि मन तो युवा रहेगा ही हमेशा |
(सिद्धार्थ)
आपकी यह सहज भोगे यथार्थ की कविता अपने में कितने ही अग्रजों और पूर्वजों की पीड़ा समेटे हुए है ....
जवाब देंहटाएंयहाँ फागुनी प्रभाव भी स्पष्ट है -टीस तो उठती ही है कोई चाचा कोई बाबा आखिर कहे भी क्यों?
नर प्रजाति कभी बूढ़ी नहीं होती केवल अनुभव और वह भी प्रजाति के भले के लिए ही बढ़ता जाता है आपकी २२ किसी की ४२ और किसी की ५२ ..सो आन सो फोर्थ ....
लोगों को अक्ल भी नहीं है ..मेरी ऊपर की कमसिन पड़ोसन पत्नी को आंटी जी कहती हैं जाहिर हैं उन्हें बुरा लगता है सो हम लोगों ने उनका ही नामकरण आंटी जी रख छोड़ा है .....और अब धीरे धीरे वे आंटी जी के रूप में पूरे मोहल्ले में प्रसिद्धि पा रही हैं ...यह है फागुनी प्रतिशोध...
मुझे याद है मेरी नयी नयी नौकरी लगी ही थी जब मुझे निशातगंज लखनऊ में एक लड़के ने जो मुझसे कोई ८ -९ वर्ष
ही छोटा रहा होगा -अंकल कहा था -मैं उस दिन देर तक राजा दशरथ की तरह कोई सफ़ेद बाल आईने में खोजता रहा था ..नहीं मिला था ...२४ वर्ष का था अपने प्राईम यूथ में ....तब से समझ गया था कि अक्ल के मारे कितने ऐसे होते ही हैं उनके संबोधनों पर क्यूं दुखी हुआ जाय .....लोग भाई साहब ,भाभीजी जीवन पर्यंत बुला सकते हैं -कोई तो समझाए अक्ल के दुश्मनों को .....आप हलकान मत होईये पूरी हमदर्दी आपके साथ है ... :)
आपको जन्मदिन पर बहुत सारी शुभकामनायें और बधाईयाँ .
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की शुभकामनायें।
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जवाब देंहटाएंअरे जनम दिन का बधैया तो भूलै गया - बहुत बहुत बधायी और शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंअंकल शब्द विकल कर जाता है, उपहास सा लगता है। हमने भी कुछ दिन पहले 37 पर विराम लगा दिया है।
जवाब देंहटाएंहाँ, जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई हो।
जवाब देंहटाएंजन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंजब ओबामा राष्ट्रपति हुए तो सबने कहा युवा राष्ट्रपति..उम्र पूछी तो पता चला 40 वर्ष।
मेरा तो मानना है कि 40 वर्ष के पश्चात तो साहित्यकारों के उम्र की गणना शुरू की जानी चाहिए। 41 एक... 42 दो....
जन्मदिन पर बहुत सारी शुभकामनायें और बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंस्त्रियाँ नाहक ही बदनाम है उम्र छिपाने में , यहाँ पुरुष ज्यादा दुखी नजर आ रहे हैं ...
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की बहुत शुभकामनायें!
सिद्धार्थ जी,
जवाब देंहटाएंचालीसा छूने पर चिंतित न होइए...हम भी हैं राहों में. बस तीन उन साल का फर्क है :)
जन्मदिन की शुभकामनाएं.
अब तो जवाबदेही होगी
जवाब देंहटाएंनयी पीढ़ी के प्रति
तथापि
मन तो युवा रहेगा ही
चालीस भी भला बूढे होने की उम्र है हम तो 62 मे भी जवान समझते हैं खुद को। 40 की तो बेटी हो चली है। जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें।
आपको जन्मदिन पर बहुत सारी शुभकामनायें और बधाईयाँ .
जवाब देंहटाएंबधाईयां…
जवाब देंहटाएंइस पड़ाव से हम काफ़ी पहले गुज़र चुके… आपका भी स्वागत है… :)
आप अंकल बनने से हिचक रहे, हम उससे एक कदम आगे बढ़कर फेसबुक के सौजन्य से अपने सभी रिश्तों को फ्रेन्ड में घोल चुके हैं.
जवाब देंहटाएंचालीस तक सिद्धार्थ रहे; अब बुद्ध बनें.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
इस मामले में अँगरेज़ अच्छे लगते हैं .अंकल आंटी का झंझट ही नहीं :)
जवाब देंहटाएंजन्म दिन की ढेरों बधाई.
जन्मदिन की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंहैप्पी बड्डे अंकलजी :)
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की अनंत,असीम शुभकामनायें. लोग क्या कहेंगे हम तो तबतक युवा हैं जबतक मन युवा है. सुन्दर शब्द संयोजन और अभिव्यक्ति.......
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाइयां!
जवाब देंहटाएंइसके बाद हमारी एक भाभीजी के मुंह से सुनी बात आपके लिये सूचनार्थ- मेन बिकम नॉटी आफ़्टर फ़ॉट्टी। इस सूत्र की डोर थामकर आप ताजिन्दगी अपना नटखटपन बरकरार रख सकते हैं।
अंग्रेजी की कहावत से काम न चले तो परसाईजी की शरण में आ जाइये। वे आपको अंकल-आंटी, बाबा-ताऊ सब उमर में युवा बने रहने का सूत्र बताते हैं। वे कहते हैं:
यौवन नवीन भाव, नवीन विचार ग्रहण करने की तत्परता का नाम है; यौवन साहस, उत्साह, निर्भयता और खतरे-भरी जिन्दगी का नाम हैं,; यौवन लीक से बच निकलने की इच्छा का नाम है। और सबसे ऊपर, बेहिचक बेवकूफ़ी करने का नाम यौवन है।
बस फ़िर क्या बेहिचक बेवकूफ़ियां कीजिये, ताजिन्दगी युवा बने रहिये। :)
जन्मदिन की बधाई - नाटी अंकलजी :) :)
जवाब देंहटाएंबच्चो के अंकल जी....जन्मदिन की शुभकामनायें!!
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की शुभकामनाएं, एक दिन बाद सही.
जवाब देंहटाएंsatyarth mitra ko pustak ke rup men padhakar kuch bhawnayen vyakt karana chah raha tha tab tak`uncle ji ne rok liya`..AAPNE TO 40+ Walon ko jine ka sahara de diya.Iska dard wahi samajh sakata hai jise uski umra se 2-3 sal chota uncle ji kah baite.Ishwar aise nasamajho ko akla de.Main bhi ek aisi hi salsegirl ke uncle ji kahane par pasand kiya hua saman bina liye chod aaya,jiske liye mujhe patni ki dant bhi khani padi.Par yah us dard se kam hi tha.
जवाब देंहटाएंChalo is par main apna link bhi daal deta hoon isi vishai par likhe/chhape article ka-http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2012-01-30/edit-page/30676283_1_reading-glasses-reminder-thoughts
जवाब देंहटाएंmain bhi is vishai par apne likhe/chhape article ka link de raha hoon-http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2012-01-30/edit-page/30676283_1_reading-glasses-reminder-thoughts
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