मित्रों,
अब से करीब ढाई साल पहले जो यात्रा मैंने अन्तर्जाल की दुनिया पर शुरू की थी वह मुझे ऐसे विलक्षण अवसर उपलब्ध कराएगी यह मैने सपने में भी सोचा न था। लेकिन आज जब मैं इलाहाबाद छोड़कर जा रहा हूँ तो मन में अद्भुत उपलब्धि का भाव हिलोरें ले रहा है। इसे प्रयाग की पुण्य भूमि की उपलब्धि मानूँ, अपने सरकारी ओहदे की कामयाबी मानूँ या साहित्य के नाम पर सृजित अपनी अनगढ़ ब्लॉग पोस्टों की सफलता मानूँ, यह तय करना मुश्किल है। शायद यह इन सबका मिला-जुला प्रतिफलन हो। मैं तो मानता हूँ कि यह मेरे इष्ट-मित्रों की शुभकामनाओं, वरिष्ठ ब्लॉग लेखकों के मार्गदर्शन, परिवारीजन के सहयोग और समर्थन, बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद और ईश्वर की कृपा के बिना कत्तई सम्भव नहीं था।
यूँ तो नौकरी में स्थानान्तरण कोई असामान्य घटना नहीं है, लेकिन जिस रूप में यह इसबार मुझे मिला है वह सरकारी कायदे के जानकारों को भी अचम्भित करने वाला है। उत्तर प्रदेश सरकार की कोषागार सेवा (राज्य वित्त एवं लेखा सेवा, उ.प्र.) का एक अधिकारी किसी केन्द्रीय विश्वविद्यालय में अपनी सेवाएं देने का अवसर प्राप्त करे तो यह उसके लिए गौरव की बात है। दुर्लभ तो है ही।
मैं आन्तरिक सम्परीक्षा अधिकारी (Internal Audit Officer) के पद पर अपनी सेवाएं देने के लिए महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा(महाराष्ट्र) में तीन वर्ष के लिए जा रहा हूँ। अपने मूल प्रोफ़ेशन से मेल खाता यह कार्य मुझे अच्छा तो लगेगा ही, लेकिन असली आकर्षण इस बात में है कि यहाँ हिन्दी भाषा को एक कामकाजी भाषा बनाने व विविध विषयों के ज्ञान भण्डार को हिन्दी में उपलब्ध कराने के जिस अनुष्ठान में यह विश्वविद्यालय लगा हुआ है उसमें कुछ विशेष योगदान करने का अवसर मुझे भी मिलेगा। हिन्दी ब्लॉग जगत के असंख्य मित्रों से भेंट-मुलाकात और विचार गोष्ठियों में प्रतिभाग के अवसर भी मिलेंगे। विश्वविद्यालय में चिट्ठाकारी पर राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन तो प्रतिवर्ष होगा ही।
इलाहाबाद से मुझे पढ़ाई के दिनों से ही बहुत कुछ मिलता रहा है। नौकरी पाने की जद्दोजहद यहीं से शुरू हुई थी और पिछली बार जब मैने इस शहर से विदा ली थी तो उस समय भी नई नौकरी ज्वाइन करने के लिए ही जाना हुआ था। इस बार भी मैं पुनः एक नयी नौकरी शुरू करने जा रहा हूँ। प्रयाग की धरती को शत्-शत् नमन।
मैं अपना घरेलू सामान ट्रक के हवाले करने के बाद अपनी कार से ही सपरिवार वर्धा की यात्रा करने का कार्यक्रम बना चुका हूँ। बाइस जून की सुबह हम चल पड़ेंगे वर्धा की ओर। शाम को जबलपुर पहुँचकर रात्रि विश्राम करने से पहले वहाँ के चिठ्ठाकार मित्रों के साथ भेंट-मुलाकात का कार्यक्रम भी होगा। National Research Centre for Weed science, Mahrajpur Adhartal Jabalpur के अतिथिगृह में हमें पहुँचना है। मुझे समीर जी ‘उड़न तश्तरी’ की नगरी में अपने दोस्तों से मुलाकात की बेसब्री प्रतीक्षा है।
अभी फिलहाल इतना ही। शेष बातें वर्धा पहुँचने के बाद होंगी। इलाहाबाद से कदाचित् यह मेरी आखिरी पोस्ट होगी। अब वर्धा में स्थापित होने के बाद जल्द ही इसके आगे के अनुभव आप सबकी सेवा में प्रस्तुत करूंगा।
कल रात को इस पोस्ट को पढ़ रहा था..
जवाब देंहटाएंसमझ ही नहीं पा रहा था....फिर वह गायब हो गया..आज सुबह उत्सुकता बनी रही, देखूं मामला क्या है..!
ओह ...तो यह बात है..!
लेकिन यह कैसे संभव हुआ..? क्या प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए आपने आवेदन पत्र दिया था..?या विश्विद्यालय के चांसलर महोदय ने आपकी साहित्यिक प्रतिभा को देख कर स्वयं रूचि ले कर आपको बुला लिया ..अभी भी तिलस्म का ताला नहीं खुला.
आपके लिए और हम सब के लिए तो यह बेहद खुशी की बात है आप अच्छा लिख सकेंगे और हम अच्छा पढ़ सकेंगे मगर क्या बच्चों की पढ़ाई में कोई विघ्न-बाधा नहीं है..?
फिर-फिर आपना पड़ेगा इस ब्लॉग में.
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जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई सिद्धार्थजी। बदलाव अच्छा ही होता है और मनपसंद बदलाव के तो क्या कहने। आपकी प्रसन्न मुद्रा ही सब बयां कर रही है।
जवाब देंहटाएंवर्धा में ही मिलते हैं इस बार। तीन साल पड़े हैं अभी।
नई और मनपसंद जिम्मेदारीयों के मिलने पर खुशी होना लाजिमी है, मेरी शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंबहुत सारी शुभकामनाएँ.....आप बहुत अच्छा करेंगे....आपकी सदा जै जै हो....
जवाब देंहटाएंहमारी तरफ़ से आप को ढेरो शुभकामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंयात्रा सुखद और मंगलमय हो !
जवाब देंहटाएंशुभाकांक्षाएं
जवाब देंहटाएंनये दायित्व के लिये बधाईयाँ । कार्य और हिन्दी सेवा साथ साथ चलें, हम सबका सौभाग्य है ।
जवाब देंहटाएंजारी रहे सफ़र यूँ ही .. यात्रा मंगलमय हो ..
जवाब देंहटाएंसही है। यात्रा-वात्रा मंगलमय हो। वर्धा में राष्ट्रीय स्तर की गालियां खाने के लिये मन और मूड बनाकर ब्लॉगरों को बुलाओ। जो एक काम इलाहाबाद में छोड़ा था चुनिंन्दा ब्लॉग पोस्टों को प्रकाशित करने का वह पूरा करने पर विचार करो।
जवाब देंहटाएंमंगलकामनायें। तीन साल सुख, उपलब्धि भरे हों। लबालाब, दबादब।
वाह, बढ़िया जगह जा रहे हैं आप तो।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
बधाई हो आपको नये कार्य और कार्यकाल के लिये, कम से कम आपको अपने कार्य का काल तो पता है। यात्रा की शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई सिद्धार्थजी।
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभकामनायें ! हम भी पैकिंग कर रहे हैं कहीं जाने का डिटेल बाद में बताते हैं :)
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसुनकर अच्छा लगा की आप अपने स्थानांतरण से खुश है.
जवाब देंहटाएंयात्रा और ब्लॉगर मिलन दोनों ही सुखद और सुगम हों, ऐसी शुभकामनायें
जल्दी से settle हो जाईये फिर से लिखिए, आपकी लेखनी में एक गुणवत्ता है, उसी की वजह से मैं बारबार आता हूँ.
take care of family and yourself !!
बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं....
जवाब देंहटाएंहिन्दी सेवा का आपका मार्ग सदैव प्रसस्त रहे यही मंगलकामना है...
भइया मुझे खल रहा है, आपसे फोन पर बात हुई थी, तो आपने बताया था कि आपका स्थानान्तरण हो चुका है किन्तु ये नही बताया था कि आप अभी भी इलाहाबाद है, अगर आपको 20 तारीख को शिफ्ट करना था तो हम इलाहाबाद के ब्लागर भी आपसे मिल सकते थे।
जवाब देंहटाएंप्रमोशन की बधाई स्वीकार करें किन्तु हमें इससे दूर रखा सदा मलाल रहेगा।
बधाई सिद्धार्थजी, आप इसी तरह नये आसमाव छूते रहें. इस बार आप का ब्लाग ब्लागचिंतन में शामिल कर रहा हूं. धन्यवाद्.
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ।
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क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
हमको किसके सहारे छोड़ कर जा रहे हो सिद्धार्थ जी । खैर ।
जवाब देंहटाएंयात्रा मंगलमय हो और तीन साल बाद लौटना जरूर । इलाहाबाद याद बहुत आयेगा । बताये देते हैं ।
Tripathiji
जवाब देंहटाएंAll the best for your new responsibilities and new place .Vardha is becoming a new hub for Hindi language and literature in Central India. I have a few references in the M.G. University with literary attitude and helping nature. If you need , I may give the contact numbers.(Contact me on hsrarhi@gmail.com )
I have gone through your comments on my post 'okare kirua pari' and now planning for a new post in the same context as you have reminded me about Manoj Tiwari Mridul. Please visit iyatta.blogspot in a few days for the same.
नई जगह, नये ढेर सारे मित्र, इलाहाबाद से वर्धा तक का सुहाना कार से और वह भी अपने सबसे अजीजों के साथ। निश्चित रूप से बहुत कुछ संजोया होगा मन के अन्तःपटल पर आपने। नयी पोस्ट की उत्सुक्ता और बेसब्री से प्रतीक्षा है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
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