माघ की पूर्णिमा का स्नान सम्पन्न होने के बाद प्रयाग का माघ मेला अपने अवसान पर पहुँच गया है। कल्पवासी भी संगम क्षेत्र का प्रवास पूरा करके अपने घर की राह पकड़ रहे हैं। साइबेरिया से आने वाले प्रवासी पक्षी भी ठंडक समाप्त होने के बाद अपने देश को लौटने वाले हैं।
वसन्त का आगमन हो ही चुका है। इस सुहाने मौसम में संगम क्षेत्र की छटा निराली हो जाती है। हल्की गुनगुनी धूप में खुली नाव में बैठकर यमुना के गहरे हरे पानी पर अठखेलियाँ करते प्रवासी पक्षियों के बीच सैर करना अद्भुत आनन्द देने वाला है। गत दिनों सपरिवार इस सुख का लाभ उठाने का अवसर मिला।
आप जानते ही हैं कि इलाहाबाद में यमुना नदी गंगा जी में मिलकर परम पवित्र संगम बनाती है। संगम पर मिलने से ठीक पहले यमुना पर जो आखिरी पुल बना है वह अभी बिलकुल नया (सन् २००४ ई.) है तथा आधुनिक अभियान्त्रिकी का सुन्दर नमूना भी है। दो विशालकाय खम्भों से बँधे तारों ले लटकता हुआ (Cable-stayed bridge) यह ६१० मीटर लम्बा पुल संगम क्षेत्र में आने वाले लोगों के लिए एक अतिरिक्त आकर्षण का केन्द्र बन गया है।
Structure: | Allahabad Yamuna River Bridge | ||
Location: | Allahabad, Uttar Pradesh, India | ||
Structural Type: |
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Function / usage: | | ||
Next to: | Allahabad Yamuna River Bridge (1911) | ||
main span | 260 metre | ||
total length | 610 metre | ||
girder depth | 1.4 metre | ||
deck width | 26 metre | ||
deck slab thickness | 250 millimetre |
मोटर चालित नौका पर बैठकर जब हम संगम से यमुना जी की ओर धारा की विपरीत दिशा में इस पुल की दिशा में बढ़े तो मेरे मोबाइल का कैमरा आदतन सक्रिय हो उठा:
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नाव से हम संगम के निकट बने घाट पर उतरे। यमुना का गहरा हरा और साफ पानी गंगाजी के मटमैले किन्तु ‘पवित्र’ जल से मिलता हुआ एक अद्भुत कण्ट्रॉस्ट बना रहा था।
बदलता रंग: संगम पर गंगाजी से मिलती हुई यमुनाजी
कुछ तस्वीरें बाल-गोपाल की इच्छा पर यहाँ देना जरूरी है:
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![]() अभी क्यों उतार दिया नाव से? |
अनावश्यक सूचना:)
अगले सप्ताह से (१५ से २१ फरवरी तक) त्रिवेणी महोत्सव शुरू हो रहा है। लगातार सात शामें यमुना तट पर गुजरेंगी। उस दौरान अपनी ब्लॉगरी को विराम लगना तय है।:)
(सिद्धार्थ)
बहुत उम्दा जानकारी/ बेहतरीन चित्र.
जवाब देंहटाएंप्रवासी पक्षी भी ठंडक समाप्त होने के बाद अपने देश को लौटने वाले हैं जी, कनाडा से आये वाले भी इसी तैयारी में हैं अब.
आगे त्रिवेणी महोत्सव की रपट का इन्तजार रहेगा.
हमेशा की तरह सजीली पोस्ट। शानदार चित्र। परिजनों से भी मिल लिए हम।
जवाब देंहटाएंपुल के सभी कोणों से चित्र देखे। इलाहाबाद का किला घाट मेरे लिए नया अनुभव रहा। इसके न तो पहले कभी चित्र देखे, न ही जिक्र सुना।
शुक्रिया...
इलाहाबाद का नाम सुनकर ही मन मे एक खुशी उमड़ पड़ती है और उस पर इतनी बढ़िया फोटो देखकर मन अति प्रसन्न हो गया ।
जवाब देंहटाएंहम जब भी इलाहाबाद जाते है तो एक चक्कर यहाँ पर जरुर काटते है ।
सुंदर पोस्ट....सुंदर चित्र....सुंदर परिवार.....सब कुछ अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएं"नौका-विहार सपरिवार बेहद रोमाचक रही.....यमुना अपने पुरे वेग पर लगती है....चित्र तो इतने सजीव हैं की की यमुना की लहरें जैसे सामने से ही गुजर रही हैं...."
जवाब देंहटाएंRegards
आनंद आ गया !
जवाब देंहटाएंयाद हो आयीं पुरानी स्मृतियाँ ! नयनाभिराम ! शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंसभी फोटो मस्त है......सन स्क्रीन लगाना मत भूलना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चित्र, एक बात समझ मै नही आती इतना पानी है हमारी नदियो मे , फ़िर भी भारत मे पानी की कमी?क्या कोई सिस्टम नही बन सकता कि इन नदियो का पानी हम सब के काम आये??
जवाब देंहटाएंगंगा मैया को हमारा प्रणाम कहे.
धन्यवाद
सुन्दर। मेले की रिपोर्टिंग बाद में करें।
जवाब देंहटाएंपानी की ड्रॉपलेट्स से बनते इन्द्रधनुष बहुत मोहक और तिलस्मी लगते हैं। आपके चित्र बहुत सुन्दर हैं। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंहम भी यही कह रहे है... अभी क्यों उतार दिया नाव से?
जवाब देंहटाएंविराम लेकर जल्दी लौटिए..
माँ-बेटा मोहक हैं। मोह लिया।
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