tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post9213671874651970976..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: भ्रष्टाचारी का आत्मविश्वास तगड़ा हैसिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-86336694574383686062012-07-02T06:08:02.475+05:302012-07-02T06:08:02.475+05:30.
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सिद्धार्थ जी,
भ्रष्टाचारी का आत्मविश्वास आ....<br />.<br />.<br /><br />सिद्धार्थ जी,<br /><br />भ्रष्टाचारी का आत्मविश्वास आखिर क्यों न ऊँचा हो... आखिर खुशामद, सिफारिश, बखशीश व घूस यही चार चीजें ही तो हैं जो हिन्दुस्तान को चला रही हैं सदियों से... ईमानदारी व ईमानदार आदमी का पाया जाना यहाँ हमेशा से अपवाद रहा है... इसीलिये हरिशचंद्र की कहानी अब भी कही जाती है...<br /><br />तंत्र कुछ ऐसा बन गया है कि अपने आप को पाकसाफ रखने की भरसक कोशिश करने के बावजूद किसी ईमानदार आदमी को बहुत से समझौते करने होंगे... और ऐसा हर समझौता उसको अंदर से थोड़ा थोड़ा मार देता है... कुछ ही समय में एक जिन्दा लाश बन जाता है वह आदमी... दूसरों के मजाक व 'सनकीपने' के उदाहरण का पात्र सा...<br /><br /><br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-10191073159636720912012-07-01T18:19:39.522+05:302012-07-01T18:19:39.522+05:30मेरे ख्याल से हम जो सोचते है, तदनुसार रहें और करें...मेरे ख्याल से हम जो सोचते है, तदनुसार रहें और करें। (यद्यपि मुझे बहुत लगता है कि फ़लाना तरीके से रह या कर पाते तो अच्छा रहता, पर यह सोचना अब तक तो व्यक्तित्व बदल नहीं पाया! :-) )Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-91789322185294526512012-07-01T13:33:11.122+05:302012-07-01T13:33:11.122+05:30दुःख का कारण सिर्फ यही है
सही गलत है, गलत सही है।
...दुःख का कारण सिर्फ यही है<br />सही गलत है, गलत सही है।<br /><br />सुख के अपने-अपने चश्में<br />दुःख के अपने-अपने नग्में<br />दिल ने जब जब जो जो चाहा<br />होठों ने वो बात कही है।<br /><br />सही गलत है, गलत सही है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-79967363007205987132012-07-01T13:09:12.567+05:302012-07-01T13:09:12.567+05:30यह सब आदि काल से होता रहा है और इसे पूरी तरह कभी ब...यह सब आदि काल से होता रहा है और इसे पूरी तरह कभी बंद नहीं किया जा सकेगा । प्रयास करते रहें ।विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-77037333310666660072012-07-01T11:43:39.698+05:302012-07-01T11:43:39.698+05:30इस ’स्पैम’ नामक बीमारी का झटका मुझे पहली बार लगा ह...इस ’स्पैम’ नामक बीमारी का झटका मुझे पहली बार लगा है। संतोष जी ने फोन न किया होता तो ये सारी टिप्पणियाँ उसी बक्से में बन्द रह जातीं। मुझे तो इसका ध्यान ही नहीं था।<br /><br />आप सबके विचार इस विकट प्रश्न पर चाहता हूँ कि हम भ्रष्टाचारियों के प्रति इतनी सहिष्णुता और कहीं कहीं प्रशंसा का भाव क्यों विकसित करते जा रहे हैं...।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-7477380633473757432012-07-01T10:51:56.258+05:302012-07-01T10:51:56.258+05:30Where is my comment -please check spam? or deleted...Where is my comment -please check spam? or deleted??Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-49154277542678761072012-07-01T10:39:56.087+05:302012-07-01T10:39:56.087+05:30लेकिन कुछ जो फ़ंस जाते हैं उनके हाल भी कम भयावह नही...लेकिन कुछ जो फ़ंस जाते हैं उनके हाल भी कम भयावह नहीं होते। दवा घोटाले में तीन सी.एम.ओ. मारे गये, एक आई.ए.एस.टापर जेल में है। शिक्षा विभाग वाले मोहन जी का रिटायरमेंट भी शायद जेल में ही होगा। <br /><br />ये तगड़े आत्मविश्वास वाले लोगों का एक और पहलू है। क्या ये भी मुस्करा रहे होंगे?अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-27612765846226623942012-07-01T10:17:00.333+05:302012-07-01T10:17:00.333+05:30दोनों रास्ते अपने अपने तरीके के हैं -यह बहुत मुश्क...दोनों रास्ते अपने अपने तरीके के हैं -यह बहुत मुश्किल है आज के समाज में कह पाना कौन अच्छा है कौन बुरा ?<br />हर सोच सापेक्षिक है और निर्णय आत्यंतिक नहीं..<br />यह स्वयं आप पर है आप कौन सा मार्ग चुनते हैं ! <br />जो अच्छा लगे उस पर जाईये -और अच्छे बुरे परिणामों से दो चार होईये ..<br />वैसे आप तभी तक अच्छे हैं जब तक किसी से किसी काम के लिए नहीं कहते ..कब कह देते हैं आपकी रेटिंग गिरने लग जाती है ..<br />अब जैसे लगे हाथ यह उदाहरण दे ही दूं जब आप इलाहाबाद अकादमी में थे मैंने आपसे अपनी पांडुलिपि प्रकाशन के बारे में <br />नहीं कहा ! यह नियंत्रण मैंने आत्मानुशासन से सीखा है ..<br />मेरे एक काफी ऊंचे ओहदे के जान पहचाना वाले हैं -मेरी तारीफ़ करते नहीं अघाते कि मैं कभी उनसे कुछ नहीं कहता जबकि कितने लोग केवल सिफारिश में ही उन्हें याद करते हैं ! <br />सिद्धार्थ जी जीवन बाड़ा जटिल है -संतुलन बनाये चलें यही शुभकामना है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-36980039859871318002012-07-01T08:27:21.281+05:302012-07-01T08:27:21.281+05:30प्रायिकता का सिद्धान्त है, १०० में ९९ छूट जाते हों...प्रायिकता का सिद्धान्त है, १०० में ९९ छूट जाते हों तो १०० घटनाओं में केवल एक ही डरेगा..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-55102784150381427082012-07-01T07:49:28.862+05:302012-07-01T07:49:28.862+05:30अनूप जी से सहमत.अनूप जी से सहमत.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-91374081203664927272012-07-01T06:21:10.624+05:302012-07-01T06:21:10.624+05:30बड़े विकट सवाल हैं। बड़ी निराशाजनक तस्वीर है। क्या ट...बड़े विकट सवाल हैं। बड़ी निराशाजनक तस्वीर है। क्या टिप्पणी की जाये समझ में नहीं आता।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-66715267589997221572012-07-01T04:11:19.842+05:302012-07-01T04:11:19.842+05:30...सच पूछिए तो ई आत्म-विश्वास आज केवल भ्रष्टाचारी ......सच पूछिए तो ई आत्म-विश्वास आज केवल भ्रष्टाचारी के ही पास बचा है.<br /><br />देखिये शायद कुछ चीज़ें अपने समय से ही सही हो पाएंगी,बस उसी का इंतज़ार है !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.com