tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post6972050741879455365..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: समय कम पड़ने लगा है…सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-56687756828508039842008-07-18T17:31:00.000+05:302008-07-18T17:31:00.000+05:30क्या आपकी इस उलझन भरी दिनचर्या में मेरे हिस्से का ...क्या आपकी इस उलझन भरी दिनचर्या में मेरे हिस्से का कुछ भी नहीं है? <BR/>------<BR/><BR/>यह इस पोस्ट का क्लाइमेक्स है , मारक वाक्य है । इसमें छिपी पीड़ा का अन्दाज़ा लगा सकती हूँ । <BR/>आपक अपराध-बोध भी समझ आता है और उसमें व्यवस्था की संरचना के आगे बेबसी भी दिखाई देती है । <BR/>बहुत ज़रूरी है कि सत्यार्थ की माँ कहलाने वाली स्त्री अपने जीवन मे सार्थकता का अहसास कर पाए । एक अच्छे साथी के रूप में आप बाधा पहचानते हैं तो बहुत अच्छा होगा कि उनके लिए रास्ते आप तलाशिये । यह तीनो के लिए ज़रूरी है ।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-68221309810932450942008-07-13T07:25:00.000+05:302008-07-13T07:25:00.000+05:30एक सामान्य दिनचर्या और मानसिक द्वंद को बखूबी शब्दो...एक सामान्य दिनचर्या और मानसिक द्वंद को बखूबी शब्दों की शक्ल दी है आपने।<BR/>बढ़िया है।पतिनुमा प्राणीhttps://www.blogger.com/profile/12163827035253439551noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-50817947139609360042008-07-12T18:47:00.000+05:302008-07-12T18:47:00.000+05:30लेख बहुत अच्छा लगा।बेटे की हरकतें और भी अधिक अच्छी...लेख बहुत अच्छा लगा।बेटे की हरकतें और भी अधिक अच्छी लगीं।<BR/>आपकी पत्नी के लिए बस यही,'राजा भोज भरम के भूले,घर घर मट्टी के चूल्हे!'<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-84685857678315007312008-07-11T13:52:00.000+05:302008-07-11T13:52:00.000+05:30बहुत खूब लिखा है आपने ,बहुत खूब लिखा है आपने ,Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-21179923286396733422008-07-10T20:59:00.000+05:302008-07-10T20:59:00.000+05:30बालक को आपके समय पर हक है। बालक की मम्मी को भी आपक...बालक को आपके समय पर हक है। बालक की मम्मी को भी आपके समय पर हक है। <BR/><BR/>अगर समय बचे तभी ब्लॉगरी को जाना चाहिये। यह जरूर है - समय का प्रबन्धन बहुत समय फ्री-अप करता है। पर न करे तो पछतावा नहीं होना चाहिये।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-44006334851335013622008-07-10T12:57:00.000+05:302008-07-10T12:57:00.000+05:30यह भी एक नशा है सच में ..बच्चो को समय दे वही सबसे ...यह भी एक नशा है सच में ..बच्चो को समय दे वही सबसे अच्छा है :)रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-46023063793226385232008-07-10T12:34:00.000+05:302008-07-10T12:34:00.000+05:30सुधर जाईये इसी लिए हम जब घर जाते है तो अपना कनेक्श...सुधर जाईये इसी लिए हम जब घर जाते है तो अपना कनेक्शन ऑफ़ हो जाता है.....जो मजा उसकी तुतली भाषा में है किसी ओर चीज में नही.....मेरा प्यार इस नन्हे को दिजिएये ओर आज की सजा के तौर पर उसे एक घंटा ओर ज्यादा खिलाये....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-67871266626257941792008-07-10T11:45:00.000+05:302008-07-10T11:45:00.000+05:30मैं आपको और अपराध बोधग्रस्त नहीं करना चाहता हूं, म...मैं आपको और अपराध बोधग्रस्त नहीं करना चाहता हूं, मगर जब आपका पोस्ट पढ रहा था तब मैं भी कुछ ऐसा ही सोच रहा था..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.com