tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post6138237620927895078..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: कलियुग में सत्य की आराधना: लालच ने छिपायी मूलकथासिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-18956319304959503852009-07-17T19:30:40.669+05:302009-07-17T19:30:40.669+05:30aji maine to abhi pichhle dino ye katha hindi me p...aji maine to abhi pichhle dino ye katha hindi me padhi. waise to katha kai bar suni hai lekin isme jin patron ko lekar katha likhi gai hai unke bare me ya fir unka nam tak na suna tha . aaj kal to jugad tech. ka jamana hai , satynarayan bhgwan se anurodh hai ki koi jugad karen aur aapko jyada se jyada samay dila den taki hamare liye nai nai posten milti rahen,,,,,Harshkant tripathihttps://www.blogger.com/profile/15441547683065761377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-73721022512205731382009-07-14T17:02:24.715+05:302009-07-14T17:02:24.715+05:30अति उत्तम! इसका सही स्वरूप तो वही है. इस अच्छे विश...अति उत्तम! इसका सही स्वरूप तो वही है. इस अच्छे विश्लेषण के लिए साधुवाद.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-13690098730845676522009-07-14T13:06:31.162+05:302009-07-14T13:06:31.162+05:30Aap ka blog bahut achchha laga... aur es blog me g...Aap ka blog bahut achchha laga... aur es blog me gav ki mitti ki khushboo bhi hai aur sahar ka darshan bhi...Really very loveable blog...aur bahut knowladgeble...<br /><br />RegardsDevhttps://www.blogger.com/profile/07812679922792587696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-79636454322932085432009-07-10T06:36:52.897+05:302009-07-10T06:36:52.897+05:30नज़र अपनी अपनी, ख़याल अपना अपना
सवाल एक ही है जवाब अ...नज़र अपनी अपनी, ख़याल अपना अपना<br />सवाल एक ही है जवाब अपना अपना!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-42227863460760222542009-07-09T23:21:55.338+05:302009-07-09T23:21:55.338+05:30Bolo Shri Satya Narain Bhagwan ki Jai.Bolo Shri Satya Narain Bhagwan ki Jai.K M Mishrahttp://www.kmmishra.tknoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-1955726496169081322009-07-09T22:38:29.155+05:302009-07-09T22:38:29.155+05:30आदरणीय त्रिपाठी जी, इयत्ता पर मेरी ‘श्रद्धांजलि’ क...आदरणीय त्रिपाठी जी, इयत्ता पर मेरी ‘श्रद्धांजलि’ के समर्थन में आप आये। इस बहाने आपसे परिचय हुआ। आपका ब्लाग अच्छा लगा। आता रहूंगा और मिलता रहूंगा।<br />हरिशंकर राढीHari Shanker Rarhihttps://www.blogger.com/profile/10186563651386956055noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-26938929345329792362009-07-09T12:01:32.796+05:302009-07-09T12:01:32.796+05:30mujhe to satyanarayan katha se sirf apne dhelar pa...mujhe to satyanarayan katha se sirf apne dhelar pandit ji yad aate hai. jinka kalavati kanya ka varnan kafi der tak gudgudata rahata hai.balmanhttps://www.blogger.com/profile/18198707162193691860noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-55539515513770486952009-07-09T09:24:38.033+05:302009-07-09T09:24:38.033+05:30अपने अपने हिसाब से सब एडजस्ट कर हि लेते हैअपने अपने हिसाब से सब एडजस्ट कर हि लेते हैकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-64388413485508106032009-07-08T18:47:20.289+05:302009-07-08T18:47:20.289+05:30हम लोग कथा सुनने हैं गुनते नहीं...जब गुनना ही नहीं...हम लोग कथा सुनने हैं गुनते नहीं...जब गुनना ही नहीं हो तो फिर कोई सी भी कथा हो क्या फर्क पड़ता है...बहुत ज्ञान वर्धक पोस्ट...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-57871941931771181972009-07-08T18:21:26.794+05:302009-07-08T18:21:26.794+05:30सत्य ही आधार है हर धर्म का. अब यह स्थिति पलट गई है...सत्य ही आधार है हर धर्म का. अब यह स्थिति पलट गई है. अब तो धर्म ही आधार बना दिया गया है हर सत्य का. अब धर्म को आधार बनाते हुए हम सत्य कहीं भी पहुंचा सकते हैं.<br /><br />हाँ, बचपन में सत्यनारायण भगवान की कथा सुनते हुए जब-जब श्लोक आता था कि; "एकदा नारदो जोगी..."<br /><br />हम तड़ाक से बोलते; "एकदा नारदो जोगी, पहिने कुरता दिहे टोपी..." और खूब हंसते.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-48409167783079499082009-07-08T16:50:56.925+05:302009-07-08T16:50:56.925+05:30बोलो सत्यदेव भगवान की जय!!!!!!बोलो सत्यदेव भगवान की जय!!!!!!चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-73903258123932127662009-07-08T15:38:19.777+05:302009-07-08T15:38:19.777+05:301.
शतानन्द ब्राह्मण की कथा
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राजा ...1.<br /> शतानन्द ब्राह्मण की कथा<br /> 2.<br /> राजा चन्द्रचूड का आख्यान<br /> 3.<br /> लकड़हारों की कथा<br /> 4.<br /> साधु वणिक् एवं जामाता की कथा<br /> 5.<br /> लीलावती और कलावती की कथा<br />---------------<br />यानी आगे पांच पोस्ट बनाने का मसाला बनता है! <br />(वैसे ईश्वरीय न्याय इतना कट-पेस्टिया न्याय होता नहीं; अब तक की जिन्दगी ने यह समझा दिया है!)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-63254926982591596502009-07-08T14:47:29.962+05:302009-07-08T14:47:29.962+05:30इस कथा के बाद प्रसाद वितरण तो किया नहीं आपने :)इस कथा के बाद प्रसाद वितरण तो किया नहीं आपने :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-62681258266922244542009-07-08T14:10:05.139+05:302009-07-08T14:10:05.139+05:30गजब की बात बताई आपने।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secr...गजब की बात बताई आपने।<br /><a href="http://alizakir.blogspot.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://tasliim.blogspot.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sciblogindia.blogspot.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-21546622416996782042009-07-08T09:05:58.705+05:302009-07-08T09:05:58.705+05:30परसों ही घर में सत्य नारायण भगवान का पूजन करवाया ...परसों ही घर में सत्य नारायण भगवान का पूजन करवाया .. पर हिन्दी में कथा सुनने की हिम्मत न हुई .. गलतियों का इतना बुरा परिणाम जो बताया गया है .. अनजान सदा कल्याण .. सबको माफ करने वाले ईश्वर इतना क्रूर कैसे हो सकते है .. यह वास्तव में सोंचनेवाला मुद्दा है .. कर्मकांड का बिल्कुल वैज्ञानिक विश्लेषण किया आपने .. बहुत अच्छा आलेख !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-24858876680369062762009-07-08T06:54:45.653+05:302009-07-08T06:54:45.653+05:30बिल्कुल सही कह रहे हैं. सबने अपने हिसाब से इसे एडज...बिल्कुल सही कह रहे हैं. सबने अपने हिसाब से इसे एडजस्ट कर लिया है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-30490850427003134532009-07-08T06:35:59.551+05:302009-07-08T06:35:59.551+05:30लगता है अब बापुओं के दिन लद गए अब एक नए कथावाचक के...लगता है अब बापुओं के दिन लद गए अब एक नए कथावाचक के रूप में श्री २००९ सिद्धार्थानद जी अवतरित हो रहे हैं -प्रणाम गुरुवर ! <br />अर्थ न धर्म न काम रूचि गति न चहऊन निर्वाण <br />जनम जनम रति राम पद यह वर्दानऊ आन <br />कहाँ है कर्मकांडों की जरूरत ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-74686387849070027122009-07-08T05:58:37.360+05:302009-07-08T05:58:37.360+05:30आपने सही कहा इस कथा का स्वरूप और इसकी अवधारणा दोनो...आपने सही कहा इस कथा का स्वरूप और इसकी अवधारणा दोनों ही परिवर्तित हो चुके हैं । <br /><br />इधर भी दृष्टि डाल लें - <a href="http://ramyantar.blogspot.com/2009/03/blog-post_16.html" rel="nofollow">सच्चा शरणम्: ले प्रसाद जय बोल सत्यनारायण स्वामी की</a>Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-13918494178631940212009-07-08T01:24:42.107+05:302009-07-08T01:24:42.107+05:30सत्यनारायण कथा के बारे में संस्कृत अध्यापक ने मुझे...सत्यनारायण कथा के बारे में संस्कृत अध्यापक ने मुझे यह बताया था कि यह संस्कृत व्याकरण सीखने के लिए बहुत मुफीद है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-24403873788326485272009-07-08T00:43:29.915+05:302009-07-08T00:43:29.915+05:30कुछ दिन पहले हविवंश राय बच्चन जी की आत्मकथा पढी थी...कुछ दिन पहले हविवंश राय बच्चन जी की आत्मकथा पढी थी उन्होंने जो लिखा वो दिल को छु गया वही आज कमेन्ट कर रहा हूँ शब्दों में हेर फेर सम्भव है बाव वही हैं <br /><br />" जब मैं सत्य नारायण की कथा सुनने बैठा तो मुझे लगा की ये सत्य नारायण भी कितना क्रूर देवता है यदि इसका प्रसाद न लो तो कुपित हो जाया है, अगर कथा की मनौती मान कर देर कर तो तो कष्टों का पहाड़ तोड़ देता है सत्य भी तो यही करता है ये तो मेरा सत्य है जिसकी मैं पूजा कर रहा हूँ लोग अक्सर नाम के आगे नारायण जोड़ डेट हैं जैसे राम नारायण शिव नारायण से सत्य नारायण भी वास्तव में सत्य ही है नारायन तो केवल आगे जोड़ दिया गया है और सत्य तो हमेशा ही कष्टप्रद रहा है, आपकी जय हो सत्य, जय हो "<br /><br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-81599454039937486292009-07-07T23:37:30.676+05:302009-07-07T23:37:30.676+05:30व्यर्थ का विवाद क्यों आज तो यह कथा टाईम पास के लिय...व्यर्थ का विवाद क्यों आज तो यह कथा टाईम पास के लिये होती है वैसे यह बताये किस स्कन्द पुराण मे यह कथा मूल रूप मे है ? बाल ठाकरे के पिता प्रबोधनकार ठाकरे के इस कथा सम्बन्धी विचार क्या आपने पढे है ?शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-51826863071903563142009-07-07T22:25:38.046+05:302009-07-07T22:25:38.046+05:30आप ने बहुत सुंदर बात बताई, आप की इस बात से सहमत हु...आप ने बहुत सुंदर बात बताई, आप की इस बात से सहमत हुं... लेकिन दुर्भाग्य से धर्म के ठेकेदारों ने सत्य के बजाय धर्म का स्वरूप उल्टे क्रम में दान, तप और शौच के भौतिक रूपों में रूपायित करने की परम्परा को ....<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-80881020915445025912009-07-07T22:18:06.943+05:302009-07-07T22:18:06.943+05:30नहिं कलि करम न भगति विवेकू। राम नाम अवलम्बन एकू॥
...नहिं कलि करम न भगति विवेकू। राम नाम अवलम्बन एकू॥<br /> राम नाम कलि अभिमत दाता। हित परलोक लोक पितु माता॥<br />लेकिन यह छोटी शर्त भी इतनी आसान नहीं है हम कलियुगी मनुष्यों के लिए। हमें तो काम, क्रोध, मद और लोभ ने इस प्रकार ग्रसित कर रखा है कि सत्य न दिखायी पड़ता है, न सुनायी पड़ता है और न वाणी से निकल पाता है। दुनियादारी के नाम पर हम सत्य से बँचने को ही समझदारी और चालाकी मान बैठते हैं।<br /> यह तो एक छोटा सा नमूना है ,पूरी पोस्ट ही है जानदार.कितना अच्छा प्रकाश डाला है त्रिपाठी जी आपने ,मेरा दिल खुश हो गया .आज की पोस्ट की जितनी तारीफ मैं करूं कम है .बहुत -बहुत बधाई.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-90387650800717543722009-07-07T21:55:04.915+05:302009-07-07T21:55:04.915+05:30yhee ktha achhee hai .yhee ktha achhee hai .तनु श्रीhttps://www.blogger.com/profile/08137749476720593975noreply@blogger.com