tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post5164725610431536659..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: ऎ बहुरिया साँस लऽ, ढेंका छोड़ि दऽ जाँत लऽसिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger46125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-8100535837389081342013-09-06T16:31:54.881+05:302013-09-06T16:31:54.881+05:30जांत और ढेंका(ओखल मुसल )को छोड़ ही तो औरतें बीमार ...जांत और ढेंका(ओखल मुसल )को छोड़ ही तो औरतें बीमार हुईं हैं .neemanhttps://www.blogger.com/profile/15669075093583663705noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-29489539254573202682011-04-07T08:50:56.847+05:302011-04-07T08:50:56.847+05:30रोचक और ज्ञानवर्धक पोस्ट, धन्यवाद!रोचक और ज्ञानवर्धक पोस्ट, धन्यवाद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-86234287237754213602011-04-05T06:47:05.128+05:302011-04-05T06:47:05.128+05:30सचित्र व्याख्या के क्या कहने. बहुत अच्छी पोस्ट.सचित्र व्याख्या के क्या कहने. बहुत अच्छी पोस्ट.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-65312382843380033092010-06-20T18:50:20.376+05:302010-06-20T18:50:20.376+05:30sawdhan mai bhi lone me hu. Najare tik gaye hai.ka...sawdhan mai bhi lone me hu. Najare tik gaye hai.kathanee karnee ka bhed na rahebharatnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-55759494783066266202010-05-25T16:15:56.983+05:302010-05-25T16:15:56.983+05:30मर गए!
सिद्धार्थ जी बढ़िया लिखते हैं सो लिखा उन्हों...मर गए!<br />सिद्धार्थ जी बढ़िया लिखते हैं सो लिखा उन्होंने।<br />अरविन्द जी बढ़िया लिखते हैं, सो टीपा उन्होंने।<br />और हम बढ़िया डरते हैं,<br />सो डर गए हम,<br />कि बिना बात के …<br />इसी के लिए कहा होगा कि सूत न कपास,<br />जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा;<br />अब जुलाहे न आते हों लाठी लिए हमें लठियाने।<br />सो हम मेहरा तो हइये हैं - निकल लेते हैं चुपचाप।<br /><br />पुनश्च: लेख अच्छा लगा, मगर अभी जल्दी में हैं नहीं तो हम भी मेहरा पर अपने शोधपरक व्याख्यान देते, मगर का करें, हेल्मेट नहीं है न पास हमरे!Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-54890324140888549842010-05-24T18:20:31.540+05:302010-05-24T18:20:31.540+05:30विद्वान लोग जब चांदनी रात में नौका विहार करने जाते...विद्वान लोग जब चांदनी रात में नौका विहार करने जाते हैं तो ठंडी हवा या छिटकी चांदनी का मजा नहीं लेते वे रास्ते भर नारी विमर्श या दलित लेखन जैसे विषयों पर आपस में झगड़ते रहते हैं....<br />वैसे ही अधिकारी लोग जब चांदनी रात में नौका विहार करने जाते हैं तो पेंडिंग फाइल का जिक्र छेड़ सारा मजा किरकिरा कर देते हैं..<br />..वे यह नहीं जानते कि नाव में कोई और भी सवार है जो कोलाहल से दूर चांदनी रात में सिर्फ नौका विहार का आनंद लेने आया है.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-18185687297081068042010-05-24T15:25:37.918+05:302010-05-24T15:25:37.918+05:30सिद्धार्थ जी, क्या कहने ! मेरा बचपन कुर्बान इस पोस...सिद्धार्थ जी, क्या कहने ! मेरा बचपन कुर्बान इस पोस्ट पर<br />आहा सीढ़ी के नीचे चलते जांता "दादी, माई और परोस के कुछ महिलायें"<br />'जाँता’ और लोकगीत / कहावतें<br /><br />रोचक और ख़ास पोस्ट है... सोने की चमक है इस ब्लोगनगरी में.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-82216947578855680602010-05-24T15:12:07.167+05:302010-05-24T15:12:07.167+05:30रीति रिवाज,रहन सहन सीखने समझने तथा परंपरा संस्कृति...रीति रिवाज,रहन सहन सीखने समझने तथा परंपरा संस्कृति के बारे में जानने और जीवन के लिए भली प्रकार तैयार होने के लिए दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद बारहवीं तक की पढाई के लिए दो वर्ष मुझे अपने नहिनाल में छोड़ दिया गया......<br />ये दो वर्ष मेरे जीवन के स्वर्णिम वर्ष थे...इस अंतराल ने मुझमे जो कुछ जोड़ा,वह अमूल्य है...<br /><br />आपका यह जीवंत वर्णन मुझे उन्ही स्वर्णिम दिनों में ले जाकर विमुग्ध कर गया...वर्तमान में इस रससिक्त मनोभाव से मुक्त हो टिपण्णी हेतु शब्दों का संधान कर कुछ कह पाना मेरे लिए दुसाध्य है...<br />आपका कोटि कोटि आभार,इस अन्यतम प्रविष्टि के लिए...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-20307691595877602382010-05-23T18:04:48.041+05:302010-05-23T18:04:48.041+05:30किस्सा अभी खत्म नहीं हुआ है आगे पढ़ेंकिस्सा अभी खत्म नहीं हुआ है <a href="http://pcsuraksha.blogspot.com/2010/05/blog-post_8007.html" rel="nofollow"> आगे पढ़ें</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-72132765407446201352010-05-23T09:01:33.364+05:302010-05-23T09:01:33.364+05:30अरविन्द मिश्रा जी का ई-मेल एकाऊंट अमेरिका से हैक क...अरविन्द मिश्रा जी का ई-मेल एकाऊंट अमेरिका से हैक किया गया <a href="http://pcsuraksha.blogspot.com/2010/05/blog-post_23.html" rel="nofollow"> आगे पढ़ें पूरा किस्सा</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-69019153572655624562010-05-23T08:32:50.800+05:302010-05-23T08:32:50.800+05:30गुड टेस्ट!!!गुड टेस्ट!!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-9012811134676100792010-05-22T23:45:48.908+05:302010-05-22T23:45:48.908+05:30टेस्ट :)टेस्ट :)Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-9555145939542321082010-05-22T21:51:22.244+05:302010-05-22T21:51:22.244+05:30टेस्टटेस्टगिरिजेश रावhttp://girijeshrao.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-48971952398870439662010-05-22T21:34:13.012+05:302010-05-22T21:34:13.012+05:30Post kabhi aaram se padhenge.Aapki nai photo pahle...Post kabhi aaram se padhenge.Aapki nai photo pahle vale se achhi lag rahi hai.Harshkant tripathi"Pawan"https://www.blogger.com/profile/12119765298800994769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-91593400934809342092010-05-22T18:31:11.248+05:302010-05-22T18:31:11.248+05:30इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-62584701876315354232010-05-22T17:42:10.078+05:302010-05-22T17:42:10.078+05:30इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-39513522236276494422010-05-22T15:19:40.864+05:302010-05-22T15:19:40.864+05:30अरविन्द जी, लगता है आपको मेहरा शब्द बहुत प्रिय है,...अरविन्द जी, लगता है आपको मेहरा शब्द बहुत प्रिय है, तभी तो आप अपने को सही सिद्ध करने को प्रतिबद्ध लगते हैं। वर्ना भाई मेरे, हर लेखक संवेदन्शील और सूक्ष्मदर्शी होता है, कोई थोडा कम कोई थोडा ज्यादा। आप भी तो गांव में ही पैदा हुए हैं, आपको मेहरा शब्द का पीछा छोड्कर अपने गांव और बच्पन की ओर लौट्ते हुए कुछ रचना चाहिये। हमें इस नये की प्रतीक्षा है। <br />मर्दों को अगोर रही, दुआरे खटिया खड़ी। इसका मतलअब आप नहिं जानते, तो फोन करेंगे तो समझा दूंगा। बहर्हाल सिद्धार्थ जी को इत्नी अच्छी पोस्ट के लिये बधाई।विनोद शुक्ल-अनामिका प्रकाशनhttps://www.blogger.com/profile/18173585318852399276noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-68891179844537588662010-05-22T09:09:12.006+05:302010-05-22T09:09:12.006+05:30बढिया पोस्ट! गांव-घर में प्रयोग किये जाने वाले शब्...बढिया पोस्ट! गांव-घर में प्रयोग किये जाने वाले शब्दों के बहाने भूली-बिसरी यादें भी दोहरा लीं।<br /><br />अमरेन्द्र की बात से सहमत- "इस शब्द में एक पुरुष से ज्यादा स्त्री का अपमान दिखता है |"<br /><br />और कुछ कहकर किसी को क्या भाव देना!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-17700207931184591622010-05-22T05:48:28.180+05:302010-05-22T05:48:28.180+05:30@सिद्धार्थ जी,एक बात बताईयेगा कि मैंने मेहरा शब्द ...@सिद्धार्थ जी,एक बात बताईयेगा कि मैंने मेहरा शब्द आपको अकेले नहीं गिरिजेश जी को भी कहा था ,उनका जवाब आपके सामने है ...यह आपको ही इतना बुरा क्यों लग गया ? आप जो वस्तुतः हैं नहीं किसी के कहने पर हो जायेगें क्या ? मैंने किसी नकारात्मक अर्थ में आपके लिए मेहरा शब्द नहीं इस्तेमाल किया था बल्कि आपकी सूक्ष्म निरीक्षण की प्रतिभा को इंगित करने के लिए मुझे उससे उपयुक्त शब्द कोई जँचा नहीं -और क्षमा उस लक्ष्मी से माँगा था जिसकी आभा में आप आलोकित हैं .....<br />कुछ और ज्ञानार्जन और हो जाय ...(ज्ञानी लोग जुट रहे हैं ) -मेहरा एक उपजाति भी है .......और मेहरा हेंन पेक हसबैंड भी है -मतलब कुकडूकू खसम ....मैंने जिस अर्थ में मेहरा का प्रयोग किया था वह घर घुसरू किस्म के लोगों के लिए (आपका घर के भीतर की अंतर्कथा का लाजवाब विवरण /विश्लेषण मुझे इस विशेषण तक ले गया !<br />और यह भी सच है हम सभी कुछ न कुछ अंश में मेहरा हैं -हाँ उन्नीस बीस का फर्क है ....कृष्ण राधा का ही स्वांग भरने को लालायित रहते थे ..एक भूतपूर्व डी जी पी राधा बने रहते हैं ...एक सम्प्रदाय है जो राधा का स्वांग किये रहता है -इसकी इन्गिति क्या है -यह सबमें मौजूद नारीभाव का ही तो प्रगटन है -शिव अर्धनारीश्वर क्यों हैं ? गणेश बिचारे को दूध पीने में हुयी दिक्कतों का ब्यौरा कविगन तफसील से देते फिरते हैं ...थोडा उदात्त बनिए सिद्धार्थ जी और ब्राड माइंडेड भी ....निर्मल और प्रबुद्ध हास्य को अप्रीसियेट करने की अभिरुचि को और भी उत्प्रेरित करिए अपने में -गिरिजेश और सिद्धार्थ का यह अंतर क्यों ? आपके प्रति अपने स्नेह के चलते मैंने वे उदगार व्यक्त किये मगर आप तो भन्ना गए... खैर अब केवल आपसे क्षमा मांगता हूँ -Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-7786840420665450192010-05-22T00:54:33.488+05:302010-05-22T00:54:33.488+05:30मैंने पहली बार एक लम्बी प्रतिक्रिया लिखी, लेकिन मे...मैंने पहली बार एक लम्बी प्रतिक्रिया लिखी, लेकिन मेरी कम्प्यूटर की अल्पग्यता के कारण पोस्ट ना हो सकी, अफ्सोस...इतनी रात गये अब मुझमें दुबारा वह सब टाइप करने का धैर्य नहीं है। माफ करेंगे।विनोद शुक्ल-अनामिका प्रकाशनhttps://www.blogger.com/profile/18173585318852399276noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-78767336710270927772010-05-21T23:27:55.455+05:302010-05-21T23:27:55.455+05:30धर दिया सिलबट पर
टिकोरा को छीलकर
सास बोल गई
लहस...धर दिया सिलबट पर <br />टिकोरा को छीलकर <br />सास बोल गई <br />लहसुन संग पीस दे पतोहू <br />मरिचा मिलाय दई <br />खोंट ला पुदीना...<br /><br />--- याद आ गया नल के बगल उगा हुआ पुदीना , जिसे खोंट के <br />माई ले आती थीं और ..... नामू नामू नामू ,,,,, <br />बड़ा सोंधा बिम्ब उकेरा है आपने , बधाई !<br />पूरी पोस्ट अच्छी है ! <br />===============<br />मेह:-शब्द का अर्थ है प्रस्राव , इससे मेहरारू शब्द की उत्पत्ति का <br />तुक कम ही बैठता है , एक लोक अर्थ में बादल है , इससे भी मेहरारू ,<br />मेहरा , मेहरी शब्द का तुक नहीं बैठता है |<br />मेह :- स्त्री लिंग संज्ञा शब्द है , फारसी का | अर्थ है कृपा , दया जिससे <br />मेहरबानी जैसे शब्द बने हैं | पुरुषप्रधान समाज में स्त्री को सदैव दया , कृपा <br />के दायरे में खंचियाया गया , अतः यह शब्द स्त्री के लिए रूढ़ हुआ और <br />उसी कोण से 'मेहरारू' , 'मेहरी', 'मेहरा' जैसे शब्दों की सृष्टि हुई ! <br />= 'मेहरा' शब्द उन पुरुषों के लिए मजाकिया - गाली ले रूप में प्रयुक्त <br />किया जाने लगा जिनमें स्त्रियोचित लक्षण पाए जाते हों , जब किसी मर्द को <br />कोई यह शब्द कहता तो उसे उसकी मर्दानगी का अपमान लगता और वह <br />स्वाभाविक तौर पर नाराज होता | आज का भी सच , अभी तक , यही है | <br />इसलिए सिद्धार्थ जी का कहना सही है कि --- '' ... वह पुरुषोचित गुणों के विपरीत <br />ही जाता है। एक निर्मल हास्य होते हुए भी यह है तो हास्यास्पद ही। '' ..<br />'मेहरा' कहना शिष्ट भाषा में किसी को 'स्त्ैण' कहकर लज्जित करना ही माना जाता रहा |<br />...... अवध क्षेत्र में इसी के वजन पर 'मेंहदरा' शब्द प्रयोग किया जाता है , इससे भी <br />लोग ( पुरुष ) अपमानित सा अनुभव करते हैं और <br />कुछ तो गुस्सा में आकर लड़ने पर भी आ जाते हैं | <br />....... <br />मैं अपनी कहूँ तो इस शब्द में एक पुरुष से ज्यादा स्त्री का अपमान दिखता है |<br />पुरुष-प्रधान समाज को अपने मान-अपमान के सामने स्त्री का अपमान कहाँ दिखता है ! <br />........<br />================Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-46834168382091702552010-05-21T23:15:31.094+05:302010-05-21T23:15:31.094+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-60968753309868581372010-05-21T21:28:01.553+05:302010-05-21T21:28:01.553+05:30i guess 'mehra' and 'mehdara' are ...i guess 'mehra' and 'mehdara' are not same?ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-40948763202873811112010-05-21T21:19:05.980+05:302010-05-21T21:19:05.980+05:30जिन लोगों ने मेरी पोस्ट पसन्द की उन्हें बहुत धन्यव...जिन लोगों ने मेरी पोस्ट पसन्द की उन्हें बहुत धन्यवाद। वैसे इसके हकदार गिरिजेश भइया ही हैं जिन्होंने मन को उटकेर दिया था। वैसे गाँव के बारे में सोचकर ही अच्छा लगता है, अब जाकर वहाँ रहने पर तमाम कठिनाइयाँ सामने आ जाती हैं। फिर भी नॉस्टैल्जिक होने का आनन्द तो है ही।<br /><br />लेकिन एक बात मैं लाख समझाइश के बाद भी ग्रहण नहीं कर पा रहा हूँ जो श्री अरविन्द जी ने इस पोस्ट के बाद मुझे उपाधि स्वरूप प्रदान की है। सारी व्याख्याएं पढ़ने के बाद भी ‘मेहरा’ शब्द से हठात् जो भाव निकलता है वह पुरुषोचित गुणों के विपरीत ही जाता है। एक निर्मल हास्य होते हुए भी यह है तो हास्यास्पद ही। अरविन्द जी ने क्षमा याचना जैसे शब्द का प्रयोग करके मुझे संकट में डाल दिया है। घड़ों पानी डाल दिया मेरे गुबार पर। इसके बाद विरोध दर्ज करना भी ठीक बात नहीं है, लेकिन अपने मन की फाँस कैसे न निकालूँ? अन्दर टभकने के लिए क्यों छोड़ दूँ?<br /><br />अतः मैं पूरी विनम्रता, और आदरणीय अरविन्द जी के प्रति बड़े भाई के उपयुक्त आदर के साथ बिना किसी म्लानता के यह निवेदन करता हूँ कि मुझे मेहरा कहलाया जाना कत्तई पसन्द नहीं आया। भले ही मेरी धर्मपत्नी इससे अन्ततः प्रसन्न हो चली हों और गिरिजेश भइया की परिभाषा में गिनाए गये सभी गुण मेरे भीतर विकसित हो चुके हों तब भी। :)।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-43780793565794090542010-05-21T21:08:43.678+05:302010-05-21T21:08:43.678+05:30कौन मेहरा नहीं है भला बताये????लोंगों को गलतफहमी ...कौन मेहरा नहीं है भला बताये????लोंगों को गलतफहमी की आदत होती है.<br />ग्राम्यजीवन को चित्रित करती बेहतरीन पोस्ट.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.com