tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post353105724932627487..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: कोंख में धरती के सोना है बहुत (ग़जल)सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-52895724545281475982013-11-11T07:27:47.945+05:302013-11-11T07:27:47.945+05:30www.satyarthmitra.com के लिए बधाई !www.satyarthmitra.com के लिए बधाई !प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-36150897256299250922013-11-03T08:59:46.346+05:302013-11-03T08:59:46.346+05:30ए के सैंतालीस की क्या ज़रूरत है अब ,
कत्ल-ओ-गारद को...ए के सैंतालीस की क्या ज़रूरत है अब ,<br />कत्ल-ओ-गारद को,कनपुरिया-कट्टा है बहुत !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-26960127045667792332013-11-02T20:45:35.288+05:302013-11-02T20:45:35.288+05:30खूबसूरत ग़ज़ल बन गई.. वाह!
दीपावली की शुभकामनाएँ...खूबसूरत ग़ज़ल बन गई.. वाह! <br /><br />दीपावली की शुभकामनाएँ..देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-41263653099403738342013-11-02T19:49:54.960+05:302013-11-02T19:49:54.960+05:30धन्यवाद।धन्यवाद।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-88235001284291249422013-11-02T13:40:48.662+05:302013-11-02T13:40:48.662+05:30क्यों शराबी हो रहा है आदमी
इसमें पाना कम है खोना ...क्यों शराबी हो रहा है आदमी <br />इसमें पाना कम है खोना है बहुत <br /><br />सरहदों पर जागता था यह शहीद <br />अब लिटा दो इसको सोना है बहुत<br /><br />गहरे भाव , शानदार रचना !! Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-21358074831965982012013-11-02T12:12:05.616+05:302013-11-02T12:12:05.616+05:30सुंदर...दिवाली की शुभकामनाएं...
धरा मानव से कह र...<br />सुंदर...दिवाली की शुभकामनाएं...<br /><br /><br /><a href="http://www.kuldeepkikavita.blogspot.in/2013/10/blog-post_31.html" rel="nofollow">धरा मानव से कह रही है...</a><br /><a href="http://www.bhuvansrishti.blogspot.in/2013/11/blog-post.html" rel="nofollow">दोनों ओर प्रेम पलता है...</a><br />kuldeep thakurhttps://www.blogger.com/profile/11644120586184800153noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-36590885080403342432013-11-02T09:25:22.046+05:302013-11-02T09:25:22.046+05:30चकाचक है तरही गजल।
तरही मुशायरा के बारे में जब भी...चकाचक है तरही गजल।<br /><br />तरही मुशायरा के बारे में जब भी पढ़ता हूं मुझे अनायास तहरी की याद आ जाती है। तहरी मतलब खिचड़ी घराने का हल्का भोजन जिसको बनाने में चावल के अलावा मौसमी सब्जियां -आलू,मटर, प्याज,गोभी,लौकी आदि डालकर बनाया जाता है। <br /><br />लगे हाथ सोचते हैं हम भी कुछ योगदान दे दें इस तरही मुशायरे में।<br /><br /><br />पटाखे गुमसुम रहे साल भर अकेले,<br />अब दीवाली पर फ़ड़फ़ड़ायेंगे बहुत।<br /><br />मंहगाई की करेंगे ये ऐसी-तैसी मियां,<br />खिलखिलायेंगे, हल्ला मचायेंगे बहुत।<br /><br />मिठाइयां की मांग बढ़ी है दीवाली पर,<br />हलवाई खोये में आलू मिलायेंगे बहुत।<br /><br />लईया, खील, गट्टा चमक रहे हैं मजे से,<br />सब दीवाली में मस्ती मनायेंगे बहुत।<br /><br />प्याज को फ़िर टमाटर ने पटक ही दिया,<br />अभी तक तो इतरा रहा था उचकता बहुत।<br /><br /><br />अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-75633474070522559362013-11-02T08:42:10.389+05:302013-11-02T08:42:10.389+05:30कई शेर अच्छे बने हैं।कई शेर अच्छे बने हैं।संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-9010114947168746352013-11-02T07:16:25.184+05:302013-11-02T07:16:25.184+05:30आपकी काव्य प्रतिभा को को नमन -पुनः पुनरपि !
बहुत भ...आपकी काव्य प्रतिभा को को नमन -पुनः पुनरपि !<br />बहुत भावपूर्ण लाईनें बन पडी हैं !<br />एक वैदिक ऋचा की शुरुआत है -<br />सत्य का मुंह सोने से ढका हुआ हैं <br />सो आज सत्य भी अप्राप्य है -सोना की चमक तो है पर वो भी मिलता नहीं है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com