tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post2433829164370156588..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: दहलीज़ पे बैठा है कोई दीप जलाकर (तरही ग़जल)सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-71449638618329238302013-12-17T09:26:47.446+05:302013-12-17T09:26:47.446+05:30बहुत खूब..। पहली कालजयी दूसरी समसामयिक।बहुत खूब..। पहली कालजयी दूसरी समसामयिक।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-35875426096656700572013-12-17T09:26:29.903+05:302013-12-17T09:26:29.903+05:30बहुत अच्छा प्रयास आप का !बहुत अच्छा प्रयास आप का !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-59080497444989671242013-12-17T09:15:27.565+05:302013-12-17T09:15:27.565+05:30दंगों में मुलव्विस रहे जो लोग मुसल्सल
अब सुर्खिया...दंगों में मुलव्विस रहे जो लोग मुसल्सल <br />अब सुर्खियाँ बटोरते इमदाद दिलाकर<br /><br />क्या खूब तमाशा किया जनता के वोट ने <br />वो फर्श पे अब आ गये हैं अर्स गँवाकर !<br /><br />हकीकत बयान की है आपने , मगर काश लोग ध्यान से पढ़ना और सीख लें , साहित्य रचनाओं के संक्रमण काल में लोगों को पढ़ने का शौक नहीं है, ऐसे में मजबूत कलम का रोल महत्वपूर्ण है ! आपको मंगलकामनाएं आदरणीय !! <br />सिद्धार्थ ने तो सिर्फ हकीकत, बयान की <br />फिर भी न दिखायी पड़े चश्में भी लगाकर !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-33620702756059539032013-12-17T09:03:48.948+05:302013-12-17T09:03:48.948+05:30मासूम ने आंचल का किनारा पकड़ लिया
वह लोरियाँ सुना...मासूम ने आंचल का किनारा पकड़ लिया <br />वह लोरियाँ सुनाये प्रेम गीत भुलाकर<br /><br />दस्तक हुई वो आ गये माँ ने बिठा लिया <br />तहज़ीब से रुक जाय सिमट जाय लजाकर<br /><br />कमाल की अभिव्यक्ति है भाई जी , यह मोती चुनने आसान नहीं, यह सामान्य नहीं है . . . . <br />आपकी काव्य प्रतिभा को ह्रदय से नमन ! अनुरोध है कि काव्य सृजन जारी रखेंगे !<br />आपका आभार !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-90821880267645812432013-12-16T22:43:16.272+05:302013-12-16T22:43:16.272+05:30आपकी सलाह सर माथे। अलगा दिया, कुछ और जोड़कर।आपकी सलाह सर माथे। अलगा दिया, कुछ और जोड़कर।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-72376290669649573402013-12-16T13:17:05.854+05:302013-12-16T13:17:05.854+05:30सीधे ह्रदय में उतरी. बहुत अच्छे है शेर .. और उनका ...सीधे ह्रदय में उतरी. बहुत अच्छे है शेर .. और उनका कथ्य.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-62410370782679620402013-12-16T09:37:46.840+05:302013-12-16T09:37:46.840+05:30वाह बहुत खूब !वाह बहुत खूब !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-2976922569226707362013-12-16T09:22:50.277+05:302013-12-16T09:22:50.277+05:30बधाई खूबसूरत ग़ज़ल के लिए !
दो हिस्सों में होती तो औ...बधाई खूबसूरत ग़ज़ल के लिए !<br />दो हिस्सों में होती तो और अच्छा होता !१,२,३,५ अलग कर दें , ये खूबसूरत शेर , आप के साथ क्यों ? :)Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-90797511289866803042013-12-16T08:51:10.670+05:302013-12-16T08:51:10.670+05:30तरही की आपकी बरही की शुभकामनाएं भी तरही की आपकी बरही की शुभकामनाएं भी Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-44137825017180177572013-12-16T08:50:14.360+05:302013-12-16T08:50:14.360+05:30 क्या बात है हजूर के इस अंदाजे बयां में
कर दिया... क्या बात है हजूर के इस अंदाजे बयां में <br />कर दिया है लाजवाब इक आईना दिखा कर Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-22805555216660582072013-12-16T07:33:30.461+05:302013-12-16T07:33:30.461+05:30हम भी आस लगाये बैठे,
वे हैं, प्यास छिपाये बैठे।हम भी आस लगाये बैठे,<br />वे हैं, प्यास छिपाये बैठे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com