tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post2162157820294030022..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: पच्चीस साल पुराना वह दो मिनट…सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-56040566781852091682008-06-25T11:54:00.000+05:302008-06-25T11:54:00.000+05:30दिलचस्प भी ,मजेदार भी ओर सच्चा भी ...इस किस्से में...दिलचस्प भी ,मजेदार भी ओर सच्चा भी ...इस किस्से में बहुत कुछ था......ओर कही इश्वर भी था.....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-29465178021677469792008-06-24T22:24:00.000+05:302008-06-24T22:24:00.000+05:30- शिवमंगल के साथ कोई अमंगल नहीं हुआ तो इसका श्रेय ...- शिवमंगल के साथ कोई अमंगल नहीं हुआ तो इसका श्रेय मुझे जाता है।… जी हाँ, ठीक सुना आपने… मुझे यानि ‘सिद्धार्थ’ को। ईश्वर ने रचना जी का गठबंधन मेरे साथ तय कर रखा था। …भला अगर भविष्य के ‘मुनीब जी’ बाहर नहीं निकल पाये होते …तो ये दोनो सखा-सखी जल-समाधि ले चुके होते। …फिर विधाता मुझे क्या जवाब देते?<BR/> मैं तो अब आत्म-मुग्ध हो गया हूँ।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-76967662721904867012008-06-23T20:23:00.000+05:302008-06-23T20:23:00.000+05:30जीवंत चित्रण.अच्छा लिखा है आपनेजीवंत चित्रण.अच्छा लिखा है आपनेManish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-166856764824282832008-06-23T12:14:00.000+05:302008-06-23T12:14:00.000+05:30बहुत शानदार लेखन है. मानवीय संवेदना मनुष्य को कमजो...बहुत शानदार लेखन है. मानवीय संवेदना मनुष्य को कमजोर नहीं करती, जैसा कि अक्सर कहा जाता है. आपने बहुत धैर्य का परिचय दिया.<BR/><BR/>श्री राम शर्मा की कहानी स्मृति की सहज ही याद आ गई.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-7604473754630538062008-06-23T12:04:00.000+05:302008-06-23T12:04:00.000+05:30संकट के समय मानव अतिमानवीय ऊर्जा और साहस का परिचय ...संकट के समय मानव अतिमानवीय ऊर्जा और साहस का परिचय देता है। लगभग असम्भव काम सम्पन्न होते हैं इस दशा में। <BR/>यह संस्मरण भी वही सत्य रेखांकित करता है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-73939647703076669892008-06-23T11:40:00.000+05:302008-06-23T11:40:00.000+05:30भाभीजीबहुत ही खूबसूरत लेकिन, बदमाश यादें, सहेजकर र...भाभीजी<BR/>बहुत ही खूबसूरत लेकिन, बदमाश यादें, सहेजकर रखने लायक। लेकिन, बदमाशी करने वाले बहादुर हों तो, दिक्कत नहीं।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-92204994361305426692008-06-23T10:55:00.000+05:302008-06-23T10:55:00.000+05:30साँस रोके पूरा पढ़ गए।बाप रे आप तो बड़ी बहादुर निकली...साँस रोके पूरा पढ़ गए।<BR/>बाप रे आप तो बड़ी बहादुर निकली।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-74249394889888074172008-06-23T07:38:00.000+05:302008-06-23T07:38:00.000+05:30स्कूल में एक कहानी पढ़ी थी - दो लड़के चिट्ठी ले के...स्कूल में एक कहानी पढ़ी थी - दो लड़के चिट्ठी ले के जा रहे थे और चिट्ठी कुँए में गिर जाती है, कुँए में साँप। लड़के चिट्ठी ले के आते हैं। दिल दहलाने वाली कहानी।आलोकhttps://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-52894380457056328232008-06-23T05:33:00.000+05:302008-06-23T05:33:00.000+05:30पढते वक्त ही कुछ कुछ सिहरन आ गई.... अच्छा लिखा।पढते वक्त ही कुछ कुछ सिहरन आ गई.... अच्छा लिखा।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-52497604437192860372008-06-23T00:32:00.000+05:302008-06-23T00:32:00.000+05:30हमारी सांसे तो धौंकनी की तरह पढ़ते पढ़्ते ही चलने लग...हमारी सांसे तो धौंकनी की तरह पढ़ते पढ़्ते ही चलने लगी जो सामने घटता तो क्या हाल होते, सोच भी नहीं सकते.<BR/><BR/>बहुत उम्दा लिखा है..एकदम जीवंत चित्रण.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-79395453584696615892008-06-22T23:36:00.000+05:302008-06-22T23:36:00.000+05:30ऐसे ही रचनाये श्रेष्ठता की श्रेणी में शुमार होती ...ऐसे ही रचनाये श्रेष्ठता की श्रेणी में शुमार होती है. अच्छा लिखा है.राज यादवhttps://www.blogger.com/profile/17058529284095114111noreply@blogger.com