tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post8825138243128346602..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: खाकी में भी इन्सान बसते हैं और कम्प्यूटर में…!?!सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-34410860382703568012009-12-22T11:58:42.576+05:302009-12-22T11:58:42.576+05:30इस पोस्ट पर आने से अपने कंप्यूटर को संभालने के अच्...इस पोस्ट पर आने से अपने कंप्यूटर को संभालने के अच्छे टिप्स मिले...अब खाकी में इंसान से मिल कर आती हूँ...!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-27398519677000680492009-12-18T09:20:42.729+05:302009-12-18T09:20:42.729+05:30अरे सिद्दार्थ जी.. फोर्मेट तो 'सी' ड्राईव ...अरे सिद्दार्थ जी.. फोर्मेट तो 'सी' ड्राईव होता है.. देता तो 'डी' में पड़ा होगा ना.. खैर खाकी में इंसान की तरफ लपकते है हम तो..<br /><br />आपने अपना ब्लोगर धर्म निभाया.. जानकार ख़ुशी हुई..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-70588479839903098102009-12-17T21:30:50.485+05:302009-12-17T21:30:50.485+05:30चलिये आप वाइरस के प्रकोप से सही सलामत निकल आये। बध...चलिये आप वाइरस के प्रकोप से सही सलामत निकल आये। बधाई! घोस्ट बस्टर जी की सलाह मानने योग्य है। मैं समझता हूँ कि फ़ायरवाल एन्टीवायरस से भी ज्यादा जरूरी है। मैं एवीजी के साथ-साथ ज़ोन एलार्म फ़ायरवाल और स्पाईअबॉट एन्टीस्पाईवेयर प्रयोग करता हूँ और इधर एक वर्ष से कोई समस्या नहीं हुई।<br />आप द्वारा निर्मित ’खाकी में इंसान’ ब्लॉग का भ्रमण कर आया हूँ। अच्छा लगा। अब उसे अपडेट करने की जिम्मेदारी भी निभायेंगे या ...अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’https://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-57205063146805309022009-12-17T17:16:46.312+05:302009-12-17T17:16:46.312+05:30“सिद्धार्थ जी, आप मेरा ब्लॉग तैयार कर दीजिए, इसपर ...<b>“सिद्धार्थ जी, आप मेरा ब्लॉग तैयार कर दीजिए, इसपर जो कॉस्ट आती होगी वह मैं तुरन्त दे दूंगा।”</b><br />------------<br />मुझे तो ये पसन्द आया!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-67568017964311778942009-12-17T17:13:57.812+05:302009-12-17T17:13:57.812+05:30padh kar achha lagapadh kar achha lagaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-71983415061044899832009-12-17T16:27:11.286+05:302009-12-17T16:27:11.286+05:30बड़ा ही अच्छा किया आपने यह आपबीती बताकर...अंतरजाल ...बड़ा ही अच्छा किया आपने यह आपबीती बताकर...अंतरजाल पर लिखने पढने और लिखित सामग्री संरक्षित किये रखने वाले इससे सबक लेकर अपने सामग्री की रक्षा के लिए अब सतर्क हो जायेंगे... <br />पुलिस वाले भी संवेदनशील और साथ साथ साहित्यकार भी हों ... यह आश्चर्यजनक अवश्य है ,परन्तु अत्यंत सुखद और उत्साहजनक है....आपके मित्र हिन्दी चिठ्ठाकारी में अपना महत योगदान दें,इसके लिए उन्हें शुभकामनाएं...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-8568277496568015272009-12-17T14:48:43.182+05:302009-12-17T14:48:43.182+05:30यह बहुत दु:खद बात हो गई, यादे मिटने पर बहुत दर्द ह...यह बहुत दु:खद बात हो गई, यादे मिटने पर बहुत दर्द होता है। <br /><br />मेरे ख्याल से हार्ड डिस्क से फिर से डाला रिकवर किया जा सकता है अगर कोई बढि़या जानकार हो तो अभी आपके पुरानी फाईले वापस लाई जा सकती है, अगर मेरी जानकारी पुख्ता हुई तो आपसे सम्पर्क करूँगा। <br /><br />वैसे अनावश्यक सॉफ्टवेयरो को इंस्टाल करने से बचना चाहिये, ये भी वायरस को आमत्रण देते है,जरूरत न हो तो टूलबार भी हटा ही देने चाहिये।Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-66032200546839595702009-12-17T13:38:22.190+05:302009-12-17T13:38:22.190+05:30अभिषेक जी सही कह रहे हैं।...अच्छी पोस्ट लिखी है......अभिषेक जी सही कह रहे हैं।...अच्छी पोस्ट लिखी है.....परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-83925832057785610432009-12-17T12:45:50.363+05:302009-12-17T12:45:50.363+05:30काम का डाटा सी ड्राइव में कभी नहीं रखना चाहिए. मैं...काम का डाटा सी ड्राइव में कभी नहीं रखना चाहिए. मैं तो जब तब फोरमैट कर देता हूँ लेकिन डाटा का नुकसान नहीं होता. किसी और पार्टीशन में रखिये. गिरिजेशजी जो कह गए हैं वही बात मैं भी कह रहाहूँ.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-33692676742210215862009-12-17T12:10:19.116+05:302009-12-17T12:10:19.116+05:30"एक मंच पर पाँच-पाँच आई.पी.एस. इकट्ठा होकर यद..."एक मंच पर पाँच-पाँच आई.पी.एस. इकट्ठा होकर यदि हिन्दी की एक पुस्तक पर परिचर्चा कर रहे हों तो सोचिए नजारा कैसा रहा होगा।"<br /><br />यदि हम ‘अच्छा’ नहीं कहेंगे तो खाकी वाले अंदर न कर दें! अच्छा है जी :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-49982030588308165392009-12-17T11:00:54.544+05:302009-12-17T11:00:54.544+05:30१) इतना महत्वपूर्ण डाटा हार्ड-डिस्क पर ही पड़े रहने...१) इतना महत्वपूर्ण डाटा हार्ड-डिस्क पर ही पड़े रहने देना खतरनाक है. मैं चार जीबी पार होते ही उसका डीवीडी पर बैक अप ले लेता हूं.<br /><br />२) किस वायरस ने ये कहर ढाया था? वाकई वायरस ही था क्या? अक्सर मैंने देखा है कि हार्डवेयर वेन्डर, मैल्फ़न्क्शनिंग डिवाइसेस की गड़बड़ियों को वायरस के मत्थे मढ़ देते हैं.<br /><br />३) निःशुल्क एन्टिवायरस बहुत बढ़िया से काम करते हैं. ये सःशुल्क वालों से किसी भी तरह कमतर नहीं. बरसों से मैं एवीजी इस्तेमाल करता रहा हूं. फ़िर कुछ समय अवास्ट पर रहा और अब दो वर्षों से अवीरा से सन्तुष्ट हूं. और मेरे काम करने का तरीका बहुत ही एड्वेंचरस है. कभी-कभी ऐसी फ़ाइल्स को भी खोलता हूं जिनमें गारंटीड वायरस होता है. आज तक कोई कठिनाई नहीं हुई.<br /><br />खास बात यही है कि एन्टिवायरस की सिग्नेचर फ़ाइल्स अपडेटेड रहें. तीन दिन में एक बार अपडेट कर ही लेना चाहिये.<br /><br />४) केवल एन्टिवायरस के भरोसे रहना काफ़ी नहीं. इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों के लिये एक अच्छा फ़ायरवाल भी बेहद आवश्यक है. विंडोज़ का बिल्ट-इन फ़ायरवाल काफ़ी नहीं है. अन्य ऑप्शन देखना चाहिये.<br /><br />५) मैल्वेयर/एड्वेयर ट्रोज़न से बचने के लिये एड-अवैयर या स्पाईबॉट सर्च एण्ड डिस्ट्रॉय जरूर रहना चाहिये और वीकली अपडेट करते रहना चाहिये.<br />---------------------------------------<br />आशा है अब आपका कम्प्यूटर स्वस्थ और सकुशल होगा. आप एक्स्पी पर लौट आये, जानकर खुशी हुई. अगले वर्ष के राष्ट्रीय सेमिनार में अपन भी अवश्य शिरकत करेंगे.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-49749756180418684262009-12-17T08:35:55.180+05:302009-12-17T08:35:55.180+05:30वायरस, मैलवेयर, ट्रोज़न... लिस्ट बहुत बड़ी है विंड...वायरस, मैलवेयर, ट्रोज़न... लिस्ट बहुत बड़ी है विंडोज के शत्रुओं की। लिनुक्स पर शिफ्ट होने के लिए मैं लोगों को सलाह देता रहता हूँ लेकिन सर्विस देने वालों का अकाल है। माइक्रोसॉफ्ट की आक्रामक मार्केटिंग ने मोनोपोली सुनिश्चित कर रखी है। जाने कब इससे छुटकारा मिलेगा! ऑनलाइन ऑपरेटिंग सिस्टम और स्टोरेज भी एक विकल्प की आस देते हैं...देखिए क्या होता है!<br /><br />वैसे महत्त्वपूर्ण डाटा अलग पार्टिशन पर रखना ही चाहिए। डुअल बूट का ऑप्सन (एक ही मशेन पर लिनुक्स और विंडोज दोनों) भी आजमाया जा सकता है।<br />____________________________<br />कप्तान साहब को सैल्यूट। इनके ब्लॉग पर गया था लेकिन टिप्पणी वाला लिंक काम ही नहीं कर रहा था। हो सकता है मेरी धीमी मोबाइल नेट स्पीड के कारण ऐसा हो रहा हो। आज ब्लॉगवाणी नहीं खुल रही। अजीब मुसीबत है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-76606707991511337442009-12-17T08:26:52.531+05:302009-12-17T08:26:52.531+05:30खादी और खाकी दोनों में बसते हैं शैतान।
अचरज में है...खादी और खाकी दोनों में बसते हैं शैतान।<br />अचरज में है ये इन्सान!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-35019679694204257292009-12-17T08:18:37.524+05:302009-12-17T08:18:37.524+05:30वायरस की समस्या से अनेक बार दो चार हो चुका हूँ। अभ...वायरस की समस्या से अनेक बार दो चार हो चुका हूँ। अभी दो दिन पहले ही एक चित्र डाउनलोड करते समय मुश्किल में फंस गया था। उस चित्र के साथ कुछ और चित्रों से भी हाथ धो बैठा। हालांकि वे सब चित्र अपलोड किए हुए थे। <br />एक तो जिस ड्राइव में आप का ऑपरेटिंग सिस्टम है उस में कुछ न रखें। माई डोकुमेंट फोल्डर में महत्वपूर्ण दस्तावेज चित्रादि एक दिन से अधिक न रखें। क्यों कि उसी में खोने का खतरा रहता है। वैसे बीमार हुए बिना सावधानियाँ स्मरण नहीं रहतीं। आगे से ध्यान रखिएगा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-88311194293786411162009-12-17T07:35:02.053+05:302009-12-17T07:35:02.053+05:30पढ़कर राहत मिली।पढ़कर राहत मिली।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-73705856254746678032009-12-17T05:39:28.128+05:302009-12-17T05:39:28.128+05:30चलिए आखीर में सब कुछ नीमन नीमन हो गया .....पुलिस क...चलिए आखीर में सब कुछ नीमन नीमन हो गया .....पुलिस के माननीयों का मानवीय चेहरा भी दिखा ! वर्ना उनके किस्से तो बड़े नृशंस हैं ! पुलिस और साहित्य ? लंका निश्चर निकट निवासा (हार्डकोर क्रिमिनल्स )..इहाँ कहाँ सज्जन का वासा ? ऐसे ही किसी प्रांत के एक मनोविनोदी पुलिस मुखियां ने एक बार एक किताब लिखनी चाही थी .लिहाजा उनके विभाग में पूरे प्रांत में एक सर्कुलर फरमान जारी हुआ -"लोगों के मनोविनोद के लिए हास्य व्यंग का कोई प्रकरण /मामला हो तो उसे शीघ्र भेजा जाय -दी जी साहब को जरूरत है " महीने भर में ही सारे जिले के पुलिस मुख्यालयों से एक लाईनी सूचना आ ही गयी " मेरे कार्यालय में यह सूचना शून्य समझी जाय "<br />ऐसे परिदृश्य में ईलाहाबाद की यह घटना विशिष्ट और आपवादिक है और इसके चश्मदीद होने के लिए आपको बहुत बहुत बधाईयाँ !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-7220265564630841302009-12-17T05:38:24.950+05:302009-12-17T05:38:24.950+05:30तो ये बात है !
ऐसे में एक ईमेल कहीं से भेज कर तकन...तो ये बात है !<br /><br />ऐसे में एक ईमेल कहीं से भेज कर तकनीकी जानकार से पूछ लिए होते तो घर-भर को इतना हलकान न होना पड़ता| अब सब चीज को सीडी में कॉपी बना रख लेना चाहिए|<br />और कैस्परस्काई का एंटीवायरस लगवा लें |<br /><br />और हाँ, वाह- वाह- वाह<br /> कारण?<br />:-)Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-80176962932104987252009-12-17T05:29:27.824+05:302009-12-17T05:29:27.824+05:30डाटा बेक अप की आदत डाल लें वरना ये वायरस जब विनाश ...डाटा बेक अप की आदत डाल लें वरना ये वायरस जब विनाश लाता है , उस वक्त ठीक वही अनुभूति होती है जो मरघट में किसी को बाद होती है..जगत मिथ्या है.<br /><br /><br />अच्छी रपट...आगे कभी संभावना बनी तो जरुर ब्लॉगर मीट का हिस्सा बनेंगे.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com