tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post8391867261850284457..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: प्रेमचंद को दुबारा पढ़ना...सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-5779768050551480802011-04-29T15:28:22.175+05:302011-04-29T15:28:22.175+05:30यह कथा पढी न थी...
अभी तो निःशब्दता की स्थिति है....यह कथा पढी न थी...<br /><br />अभी तो निःशब्दता की स्थिति है.....क्या कहूँ...<br /><br />आभार आपका जो आपने भण्डार का पता दे दिया...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-62547655542390311362011-04-28T12:53:17.573+05:302011-04-28T12:53:17.573+05:30सराहनीय काम किया है आपने
विवेक जैन vivj2000.blog...सराहनीय काम किया है आपने<br /><br /><a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-58210017502567206872011-04-21T20:48:03.405+05:302011-04-21T20:48:03.405+05:30ऊपर वाली टिप्पड़ी से सहमत हूँ. पढ़कर मेरे मन भी कु...ऊपर वाली टिप्पड़ी से सहमत हूँ. पढ़कर मेरे मन भी कुछ ऐसे ही विचार आ रहे......Harshkant tripathihttps://www.blogger.com/profile/15441547683065761377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-86653300676962453712011-04-20T12:11:08.467+05:302011-04-20T12:11:08.467+05:30उदयभनवा हरामी।
कहानी पढ़ कर यही मन में आ रहा है।उदयभनवा हरामी। <br />कहानी पढ़ कर यही मन में आ रहा है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-89540834238528082612011-04-19T10:21:55.055+05:302011-04-19T10:21:55.055+05:30post me apne achhi aur sachhi baten kah di hai.......post me apne achhi aur sachhi baten kah di hai......tippan me devendra pandeyji ne kah di......<br /><br />'munshiji ki kriti'......jitna ghoto<br />......utna tazgi deta hai...........<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-14543060316353217062011-04-18T22:36:40.294+05:302011-04-18T22:36:40.294+05:30..मैं तो अब बचपन में पढ़ा हुआ सारा साहित्य दुबारा प.....मैं तो अब बचपन में पढ़ा हुआ सारा साहित्य दुबारा पढ़ने का मन बना रहा हूँ।..<br /><br />..यह तो मेरे मन की बात लिख दी आपने। आज ही शेखर एक जीवनी के दोनो भाग लेकर आया हूँ। बचपन में किताबों का शौक मुझे भी रहा है । उस समय का पढ़ना किस्सागोई का आनंद लेना ही था। कई काहानियाँ, उपन्यासों के नाम सुनकर कह उठता हूँ कि हां मैने पढ़ी है लेकिन जानता हूँ कि कोई उसके शिल्प के संबंध में, सामाजिक सरोकार के संबंध में पूछे तो सिफर ही हाथ आता है। इन सबके बावजूद अचेतन मस्तिष्क में घर कर गईं कहानियाँ ही हमारी सोच को दिशा देती है। <br />हिंदी समय का लाभ तो कुछ माह से उठा ही रहा हूँ। <br /><br />समय बदल गया। परिस्थितियाँ बदल गईं लेकिन भुनगी आज भी है । वैसे ही सूखे पत्ते बटोरती..दिनभर दाना भूनती..अब कोई उसे यूँ नहीं उजाड़ सकता लेकिन महंगाई का रोना रोज रोती है। उसे भी तलाश है एक प्रेमचंद की जो बता सके दुनियाँ को कि क्या होता है गरीबी का दंश।<br /><br />..आपकी इस पोस्ट ने काफी प्रभावित किया।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-38549791940323235592011-04-18T21:17:01.066+05:302011-04-18T21:17:01.066+05:30हाय रे शिक्षक पुत्र ! भरे बचपन में ही प्रेमचंद को ...हाय रे शिक्षक पुत्र ! भरे बचपन में ही प्रेमचंद को पढने का भूत धर लेता है :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-9239800611847571862011-04-18T20:50:44.235+05:302011-04-18T20:50:44.235+05:30बहुत समय बाद ब्लाग पर भये त्रिपाठी जी:) प्रेमचंद क...बहुत समय बाद ब्लाग पर भये त्रिपाठी जी:) प्रेमचंद का पुनर्पाठ कराने के लिए आभार॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-56836163599417440662011-04-18T16:06:31.817+05:302011-04-18T16:06:31.817+05:30प्रेमचंद के साहित्य पर सर्वत्र शिव का शासन है – सत...प्रेमचंद के साहित्य पर सर्वत्र शिव का शासन है – सत्य और सुंदर शिव के अनुचर होकर आते हैं। उनकी कला स्वीकृत रूप में जीवन के लिए थी और जीवन का अर्थ भी उनके लिए वर्तमान सामाजिक जीवन था। <br />प्रेमचंद जी का साहित्य नेट पर उपलब्ध करवाकर बहुत ही महान कार्य कर रहे हैं आपलोग।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-20187712678336386702011-04-18T15:47:13.763+05:302011-04-18T15:47:13.763+05:30इस सुंदर ओर बढिया कहानी को पढवाने के लिये धन्यवाद,...इस सुंदर ओर बढिया कहानी को पढवाने के लिये धन्यवाद,राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-84965825709337227502011-04-18T12:25:19.856+05:302011-04-18T12:25:19.856+05:30आज जो कहानियां लिख रहे हैं उन्हें पहले प्रेमचन्द...आज जो कहानियां लिख रहे हैं उन्हें पहले प्रेमचन्द को पढना चाहिए। बहुत ही बढिया कहानी पढवाने के लिए आभार।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-34264137841002953402011-04-18T12:00:39.739+05:302011-04-18T12:00:39.739+05:30मैने सभी उपन्यास उस समय पढे जब चार आने किराये पर म...मैने सभी उपन्यास उस समय पढे जब चार आने किराये पर मिलते थे\ कुछ दिन मे सभी उपन्यास पडः लेती दुकानदार भी हैरान होता। बहुत अच्छे लिन्क दिये हैं दोबारा पढते हैं। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-60280161183953826582011-04-18T11:16:51.651+05:302011-04-18T11:16:51.651+05:30आप यशस्वी रहे बचपन में प्रेमचंद को पढ़ा मैं हतभाग्य...आप यशस्वी रहे बचपन में प्रेमचंद को पढ़ा मैं हतभाग्य इब्ने सफी की जासूसी कहानियों में डूबा रहा -<br />कहानी सचमुच बड़ी मार्मिक है -यही एक तार्किक अंत था एक इन्तिहाँ का ..Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-57506219146409843542011-04-18T10:35:03.388+05:302011-04-18T10:35:03.388+05:30ये कहानी कई बार पढ़ी है हर बार पढ़ कर दिल दुखा है. आ...ये कहानी कई बार पढ़ी है हर बार पढ़ कर दिल दुखा है. आज फिर एक बार और पढ़ ली. धन्यवादशोभाhttps://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-72956460900734489732011-04-18T07:34:01.379+05:302011-04-18T07:34:01.379+05:30हिन्दी की सेवा के लिये अतिशय आभार।हिन्दी की सेवा के लिये अतिशय आभार।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-22303234896638190422011-04-18T07:21:25.931+05:302011-04-18T07:21:25.931+05:30सही है! प्रेमचंद जी की सभी रचनायें उपलब्ध कराना पु...सही है! प्रेमचंद जी की सभी रचनायें उपलब्ध कराना पुण्य का काम है। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com