tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post8317490512310731893..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: सच्चाई की परख सबमें है... पर करते क्यों नहीं?सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-78179366520869923762009-06-26T21:56:23.848+05:302009-06-26T21:56:23.848+05:30सफलता और असफलता के कारकों के विषय में मेरी सोच भी ...सफलता और असफलता के कारकों के विषय में मेरी सोच भी बहुत कुछ आप ही की तरह थी. पर मेल्कम ग्लेडवेळ की पुस्तक 'आउट लायर्स' (Outliers) ने इस सोच को गलत साबित कर दिया. रेश्नालाईज़ करना वाकई गलत है, पर सफलता या असफलता व्यक्तिगत कारकों से भी अधिक बाहरी कारकों पर निर्भर करती है.<br /><br />देखते हैं की यह पुस्तक पढ़कर भी आप इन्ही विचारों पर कायम रहते है या नहीं.ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-43297656499915530792009-06-25T12:53:26.739+05:302009-06-25T12:53:26.739+05:30यथार्थ और आदर्श का अन्तर अत्यन्त स्वाभाविक है और इ...यथार्थ और आदर्श का अन्तर अत्यन्त स्वाभाविक है और इसे बदला नहीं जा सकता। अच्छी मूल्यपरक नैतिक शिक्षा और सत्संगति से इस अन्तर में थोड़ी कमी लाई जा सकती है।<br />samasya ka samadhan to aapne sujhaaya hi hai jaroorat iske kriyanvayan ki hai.jo sirf sarkari prayaso se nahi ho sakati.ham sabko bhagidhari nibhani hogi.balmanhttps://www.blogger.com/profile/18198707162193691860noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-75787303123577263002009-06-25T08:31:17.346+05:302009-06-25T08:31:17.346+05:30अरे सिद्धार्थ जी विवेक तो हम सब में होता ही है कम ...अरे सिद्धार्थ जी विवेक तो हम सब में होता ही है कम ज्यादा . समझते भी हैं . लेकिन आचरण में तो छद्म ही प्रबल हो जाता है. हम ट्राफिक लाईट की लाल बत्ती पार कर लें बच जाएँ तो होशियार , और दूसरा करे तो अनाचार . यही तो है सत्य के साथ दोगला व्यभिचार .RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-49951905816096844322009-06-23T18:39:45.349+05:302009-06-23T18:39:45.349+05:30बहुत प्रभावशाली...बहुत प्रभावशाली...समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-46267128340872086622009-06-23T15:42:45.950+05:302009-06-23T15:42:45.950+05:30आपने गहराई से निकाला हुआ अमृत ज्ञान हम सब तक पहुंच...आपने गहराई से निकाला हुआ अमृत ज्ञान हम सब तक पहुंचाया, इसके लिए आभार।<br /><br /><a href="http://alizakir.blogspot.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://tasliim.blogspot.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sciblogindia.blogspot.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-42136705324541972602009-06-23T00:21:35.117+05:302009-06-23T00:21:35.117+05:30एक आदमी की बड़ी हरी बगिया थी... एक राहगीर गुजरा और...एक आदमी की बड़ी हरी बगिया थी... एक राहगीर गुजरा और उसने कहा 'बड़ी मनभावन बगिया है' उस आदमी ने कहा 'अरे क्यों नहीं होगी? मेहनत करता हूँ !' कुछ दिनों के बाद वक्त बदला और वही राहगीर फिर से उधर से गुजरा 'भैया आपकी बगिया तो उजड़ गयी !'... 'हाँ भाई सब भगवान् की मर्जी !' <br /><br />तो सफलता पर खुद क्रेडिट लेना और विफलता पर भाग्य और दूसरों पर दोषारोपण करना तो इंसान की आदत है !<br />बहुत अच्छी पोस्ट !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-86157486016642225362009-06-22T23:52:36.760+05:302009-06-22T23:52:36.760+05:30मुझ जैसे स्वार्थ परक को आपकी पोस्ट ने सोचने पर मजब...मुझ जैसे स्वार्थ परक को आपकी पोस्ट ने सोचने पर मजबूर कर दिया <br />हम तो आपसे मिलने कार्यशाला में भी इस लिए पहुचे ठ की शायद तरबूज खाने को मिल जाये <br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-28945499206235030112009-06-22T22:00:25.842+05:302009-06-22T22:00:25.842+05:30Neki kar aur Kuaen mein Daal./ Jo bole so kundi kh...Neki kar aur Kuaen mein Daal./ Jo bole so kundi khole. <br /><br /><br />Agar Duniya mein sub log acche ho jayenge to duniya ka maza khatma Na ho zayega. Har tarah ka taste hona chayiye na. Isi liye Bhagwaan ne Ek se Bhad kar ek Namoone Banye hein. Watch kariye ye duniya bhi ek Cartoon Channel hai. <br /><br />Post Gyanvardhak thi.कृष्ण मोहन मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14783932323882463991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-76491799016890311562009-06-22T21:43:54.910+05:302009-06-22T21:43:54.910+05:30अब ठीक है।अब ठीक है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-80712502268994215082009-06-22T21:25:13.663+05:302009-06-22T21:25:13.663+05:30मुझे अपनी एक पुरानी पोस्ट याद आ गई!मुझे <a href="http://halchal.gyandutt.com/2007/03/blog-post_02.html" rel="nofollow">अपनी एक पुरानी पोस्ट</a> याद आ गई!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-78176050844879762182009-06-22T21:23:52.451+05:302009-06-22T21:23:52.451+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-89737113666649015592009-06-22T21:04:56.065+05:302009-06-22T21:04:56.065+05:30Sab yahi adarsh ka paalan karne lagenge to sabhi s...Sab yahi adarsh ka paalan karne lagenge to sabhi sant nahi ho jayenge ?SKANDhttps://www.blogger.com/profile/13369223197555135054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-47725419160365593842009-06-22T15:46:33.660+05:302009-06-22T15:46:33.660+05:30“मेरे घर आओगे तो क्या लाओगे?” व “मैं तुम्हारे घर आ...“मेरे घर आओगे तो क्या लाओगे?” व “मैं तुम्हारे घर आऊंगा तो क्या दोगे?”<br />अर वाह! यह तो वही बात हुई- चित मै जीता और पट तुम हारे!! पर सही है, आज की मानसिकता यही हो गई है॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-68630759404792270562009-06-22T13:22:05.192+05:302009-06-22T13:22:05.192+05:30अगर यही सोच हम सब की बन जाये, इन्ही विचारो पर हम अ...अगर यही सोच हम सब की बन जाये, इन्ही विचारो पर हम अमल करे तो हम इंसान ना बन जाये, लेकिन हमे बचपन से जेसा महोल मिलता है हम वेसे ही बन जाते है, बात बात पर झुठ, छोटी छोटी चोरिया, चुगलियां, हेर फ़ेरिया.... हम सोचते है कि हमारे बच्चे अभी छोटे है उन्हे कुछ नही पता, लेकिन वो तो यह सब सीख रहे है बाबा, फ़िर जेसे नीम के पेड मै आम नही लग सकते ज़ो हमारे ऎसे विचार हो तो बच्चे तो हम से दो कदम आगे ही हो गे,इस लिये अगर चाहते हो कि हमारा समाज साफ़ सुधरा हो तो सब से पहले हमे सुधरना होगा.<br />आप का लेख आंखे खोलने वाला है.<br />धन्यवाद<br /><a href="http:/sikayaat.blogspot.com/" rel="nofollow"> मुझे शिकायत है </a><br /><a href="http:/parayadesh.blogspot.com/" rel="nofollow"> पराया देश</a> <br /><a href="http:/chotichotibaate.blogspot.com/" rel="nofollow"> छोटी छोटी बातें </a> <br /><a href="http://naneymuney.blogspot.com/" rel="nofollow"> नन्हे मुन्हे</a>राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-68638673200629640542009-06-22T11:36:58.952+05:302009-06-22T11:36:58.952+05:30वर्णित स्थिति को पाने के लिये उदारमना होना आवश्यक ...वर्णित स्थिति को पाने के लिये उदारमना होना आवश्यक है । यह गुण दुर्लभ है । चर्चा भी दुर्लभ है क्योंकि कोई इस बारे में बात करना नहीं चाहता ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-18538817653235731292009-06-22T08:58:01.230+05:302009-06-22T08:58:01.230+05:30सिध्दार्थ जी, काफी गहरे विषय को उठाया गया है। मनो...सिध्दार्थ जी, काफी गहरे विषय को उठाया गया है। मनोविज्ञान को छूती हुई उम्दा पोस्ट।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-59226588095030558762009-06-22T07:09:22.602+05:302009-06-22T07:09:22.602+05:30मनुष्य की दोरुखी प्रवृत्ति का बहुत अच्छा विवेचन क...मनुष्य की दोरुखी प्रवृत्ति का बहुत अच्छा विवेचन किया है .. आशा है आपके इस आलेख से पाठकों के मस्तिष्क में अच्छे विचार पनपेंगे और तद्नुरूप ही वे समाज में अपने क्रियाकलापों को बनाए रखेंगे .. एक अच्छे आलेख के लिए बधाई।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-21523067045780177312009-06-22T06:58:30.672+05:302009-06-22T06:58:30.672+05:30बहुत बढियां -कहना आसान -चरितार्थ करना बेहद मुश्किल...बहुत बढियां -कहना आसान -चरितार्थ करना बेहद मुश्किल -पर उपदेश कुशल बहुतेरे ! <br />आपने इस मामले को अपनी सुगठित लेखनी से उभारा -यह मन को भाया ! <br />रामचरित मानस की अनेक अर्धालियाँ याद हो आयीं ! <br />arvind mishra <br />http://bhujang.blogspot.com/2009/06/blog-post.htmlArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-54648693440139561582009-06-22T06:12:02.693+05:302009-06-22T06:12:02.693+05:30गब्बर सिंह यह कह गया -जो डर गया समझो मर गया .मैं स...गब्बर सिंह यह कह गया -जो डर गया समझो मर गया .मैं समझता हूँ यही हमारा साध्य वाक्य है ,काम-क्रोध-मोह -लोभ सब के सब इसी से कही न कहीं जुड़े हैं .जिस परिभाषा को मैंने गब्बर सिंह के जरिये प्रस्तुत किया है वस्तुतः वही सभी आदि -ग्रंथो में उच्च स्तर पर परिभाषित है .आपकी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी ,बधाई .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-19537964592918354882009-06-22T06:02:38.347+05:302009-06-22T06:02:38.347+05:30बहुत प्रभावशाली लेखन. प्रभावित करना शुरु कर दिया ह...बहुत प्रभावशाली लेखन. प्रभावित करना शुरु कर दिया है मगर उसके पहले जल्दी से बता दें कि मैं जब आपके यहाँ आऊगा तो क्या दोगे??Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-24119568053056927342009-06-22T05:56:40.599+05:302009-06-22T05:56:40.599+05:30बढिया पोस्ट। ऐसे ही कुछ विचार मदर टेरेसा के भी कही...बढिया पोस्ट। ऐसे ही कुछ विचार मदर टेरेसा के भी कहीं पढे थे । महान मस्तिष्क एक ही जैसी सोच रखते हैं ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-59892184883737825142009-06-22T05:32:07.643+05:302009-06-22T05:32:07.643+05:30जिस परीक्षण की बात यहाँ की गयी है, उसके लिये निस्प...जिस परीक्षण की बात यहाँ की गयी है, उसके लिये निस्पृहता की आवश्यकता बहुत अधिक है, और मेरी दृष्टि में यही एक गुण सबसे पहले विलुप्त हो रहा है मनुष्यता से । <br /><br />प्रविष्टि तो एकदम से प्रभावित कर गयी । जरूरी लगी । धन्यवाद ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.com