tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post7549869303647017782..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: यह रिपोर्ट विचलित करती हैसिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-80861271711742820472014-02-18T19:30:44.877+05:302014-02-18T19:30:44.877+05:30घोर दुर्भागयपूर्ण है यह। …। क्या कहें ?घोर दुर्भागयपूर्ण है यह। …। क्या कहें ?रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-89014921720007625652014-02-18T19:30:03.490+05:302014-02-18T19:30:03.490+05:30घोर दुर्भागयपूर्ण है यह। …। क्या कहें ?घोर दुर्भागयपूर्ण है यह। …। क्या कहें ?रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-34762643003263256572014-02-18T17:04:03.123+05:302014-02-18T17:04:03.123+05:30त्रिपाठी जी प्रतीक्षा रहेगी अपने विचार व्यक्त कर...त्रिपाठी जी प्रतीक्षा रहेगी अपने विचार व्यक्त करने की। तत्पश्चाय्त हम अपनी टिपणी दे पायेगे।Harivansh sharmahttps://www.blogger.com/profile/14038836218649982465noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-89350553075937503242014-02-04T12:45:50.423+05:302014-02-04T12:45:50.423+05:30सोचने को मजबूर करता आलेख ... सोचने को मजबूर करता आलेख ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-74357497414178811282014-02-02T11:50:11.952+05:302014-02-02T11:50:11.952+05:30ठीक बात ठीक बात Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-6472893127926013502014-02-01T01:32:17.592+05:302014-02-01T01:32:17.592+05:30प्रतीक्षा रहेगी, इसपर भी आप ज़रूर लिखिए, जानकारी हो...प्रतीक्षा रहेगी, इसपर भी आप ज़रूर लिखिए, जानकारी होनी बहुत ज़रूरी है.। <br />अग्रिम आभार स्वीकारें !स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-6810648254670484542014-01-31T22:17:36.100+05:302014-01-31T22:17:36.100+05:30आँकड़ों का खेल भी अजब-गजब है स्वप्न मंजूषा जी, ये क...आँकड़ों का खेल भी अजब-गजब है स्वप्न मंजूषा जी, ये कैसे तैयार किये जाते हैं उसपर कभी हिम्मत पड़ी तो लिखूंगा।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-62036550048935674922014-01-31T21:32:22.841+05:302014-01-31T21:32:22.841+05:30सिद्धार्थ जी,
अभी कम से कम आपको आँकड़े तो मिल रहे ...सिद्धार्थ जी,<br /><br />अभी कम से कम आपको आँकड़े तो मिल रहे हैं, अगर यही हाल रहा तो सही आँकड़े बताने वाले भी नहीं मिलेंगे।<br /><br />मेरी माँ स्कूल इंस्पेक्ट्रेस थीं, उनके साथ कई स्कूलों में जाने का मौका मिला था । मैंने फर्स्ट हैण्ड सो कॉल्ड शिक्षकों के हाथों शिक्षा की दुर्गति होते देखी है.। <br />लीजिये पेश है एक विडिओ जो बिहार के एक स्कूल का है, और ऐसे शिक्षक/शिक्षिका आपको अनगिनत स्कूलों में थोक के भाव में मिल जायेंगे।<br />अभी दो महीने पहले एक आँगन-वाड़ी स्कूल में जाने का मौका मिला, हैरान हो गई देख कर, सरकारी पैसे का दुरूपयोग कैसे-कैसे किया जाता है । <br /><br />http://www.youtube.com/watch?v=nafddfj2mXQस्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-11160851032803368912014-01-31T18:15:41.930+05:302014-01-31T18:15:41.930+05:30 दोपहर का भोजन योजना का उद्देश्य बहुत अच्छा था। बह... दोपहर का भोजन योजना का उद्देश्य बहुत अच्छा था। बहुत से गरीब घरों में आज भी रोटी-कपड़ा-मकान की त्रयी में मामला रोटी पर ही अटका हुआ है। कपड़ा और मकान तो लक्ज़री है। इस स्थिति में बच्चे को भर पेट भोजन का आकर्षण उसे स्कूल तक खींच लेने में बहुत कारगर साबित हुआ। लेकिन बच्चे को स्कूल तक खींच लेना भर तो काफी है नहीं। वहाँ गुरुजन को चाहिए कि बच्चा खाने के साथ-साथ दो-चार अक्षर भी परोस दें; लेकिन गुरुजन या तो हैं ही नहीं या जो हैं वे केवल आंकड़े बनाने में व्यस्त हैं। शिक्षामित्र के भरोसे स्कूल चलता है। पाँच-पाँच कक्षाओं को एक साथ पढ़ाने का चमत्कार इन स्कूलों में ही होता है। वह भी ऐसा जैसे तराजू पर ढेर सारे जिन्दा मेढक तौलना। जो अधिकारी इनके पर्यवेक्षण में लगाये गये हैं उन्हें सर्व शिक्षा अभियान के तमाम इंटरवेंशन्स के तहत आने वाली लाखो की धनराशि को ठिकाने लगाने का काम रहता है।<br /><br />इस दुरवस्था का कारण है हमारे समाज में भ्रष्टाचार के प्रति सहज स्वीकार्यता, उत्तरदायित्व निर्धारण की मशीनरी का फेल हो जाना और काले धन के प्रति आकर्षण जो बढ़ती उपभोक्तावादी संस्कृति में योग्यता और उपलब्धि का पैमाना बन चुका है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-85791704494708371032014-01-31T17:38:11.951+05:302014-01-31T17:38:11.951+05:30रही सही कसर ग्रेडिंग और आरक्षण ने कर ही दी पूरी !...रही सही कसर ग्रेडिंग और आरक्षण ने कर ही दी पूरी ! वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-6116679510486715672014-01-31T13:25:38.678+05:302014-01-31T13:25:38.678+05:30सबके सपने अपने अपने,
डूब गया जब, लगे लपकने।सबके सपने अपने अपने,<br />डूब गया जब, लगे लपकने।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-77499482609682715062014-01-31T09:55:12.378+05:302014-01-31T09:55:12.378+05:30A bitter realityA bitter realityAnurag Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/15156079826081305515noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-20333192936865968012014-01-31T08:33:22.090+05:302014-01-31T08:33:22.090+05:30प्राथमिक स्तर पर बच्चों को फेल ना करने का निर्णय भ...प्राथमिक स्तर पर बच्चों को फेल ना करने का निर्णय भी इस शोचनीय स्थिति को और गंभीर बनाता है ! यह बच्चों व अध्यापकों को अकर्मण्यता के लिये प्रेरित करता है ! यह निर्णय केवल साक्षरों की संख्या के आंकड़ों को बढ़ा चढ़ा कर दिखाने और अपनी पीठ थपथपाने जैसा है ! वे वास्तव में साक्षर हुए भी या नहीं इसकी चिंता किसीको नहीं है ! विचारणीय आलेख ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-10576865820560279662014-01-31T06:14:08.989+05:302014-01-31T06:14:08.989+05:30बहुत ही सोचनीय परिस्थिति है -इसमें राजनैतिक और प्र...बहुत ही सोचनीय परिस्थिति है -इसमें राजनैतिक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी दिखाई देती है !<br /><a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2014/01/blog-post_30.html#links" rel="nofollow"> सियासत “आप” की !</a><br />नई पोस्ट <a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2014/01/blog-post_21.html#comment-form" rel="nofollow"> मौसम (शीत काल )</a><br />कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-31737307409422843232014-01-30T08:46:03.560+05:302014-01-30T08:46:03.560+05:30इसमें क्या एम डी एम का भी रोल है -कारण क्या क्या ह...इसमें क्या एम डी एम का भी रोल है -कारण क्या क्या हैं ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-32249022720026044592014-01-30T08:07:44.409+05:302014-01-30T08:07:44.409+05:30अफ़सोस जनक। शर्मनाक! दुखद स्थिति है प्राथमिक शिक्ष...अफ़सोस जनक। शर्मनाक! दुखद स्थिति है प्राथमिक शिक्षा की। अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.com