tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post6572923237569652058..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: कार्यशाला उम्दा थी, गलती मेरी थी…सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-21232913272837047712010-09-22T12:29:13.850+05:302010-09-22T12:29:13.850+05:30नमस्कार
अगस्त 2008 में कभी आपने लिखा धा कि इनस्किप...नमस्कार<br />अगस्त 2008 में कभी आपने लिखा धा कि इनस्किप्ट को कम्प्युटर पर उतारनेका तरीक आपको नही मिल पाया धा। अब मैं अपनी ओर से पुनः प्रयत्न कर रही हूँ कि इस बाबत जनजागरण करूँ. कृपया संपर्क बनायें और यह पोस्ट भी देखें-- <br /><br /><br />http://leenamehendale.blogspot.com/2010/08/blog-post_03.html --leena.mehendale@gmail.comलीना मेहेंदळेhttps://www.blogger.com/profile/02195056541483851171noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-8813242382615959832010-09-14T00:24:32.125+05:302010-09-14T00:24:32.125+05:30मैं भाई अनूप शुक्ल जी से सहमत हूं। और अच्छे शेर दो...मैं भाई अनूप शुक्ल जी से सहमत हूं। और अच्छे शेर दो-चार बार नहीं, हजार हजार बार लिखे और पढे जाने चाहिये। जहां तक महिला प्रभाव की बात है, तो पुरुष का तो जन्म ही नारी की कोख से हुआ है। अरविन्द जी आयोजक थे, और आयोजक को धैर्यवान होना चाहिये। कोई भी आयोजन, बेटी की शादी की तरह होता है। अच्छाई और बुराई, दोनो के लिये आयोजक को तैयार रहना चाहिये। दोनो लोग मन की कटुता मिटाकर अगले कार्यक्रम के लिये कमर कस कर तैयार हों तो अच्छा होगा।विनोद शुक्ल-अनामिका प्रकाशनhttps://www.blogger.com/profile/18173585318852399276noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-79409477794563380252010-09-11T22:25:30.432+05:302010-09-11T22:25:30.432+05:30सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी आपका सोच सचमुच अच्छा लग...सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी आपका सोच सचमुच अच्छा लगा ,बुद्धिमान व्यक्ति के अभिव्यक्ति को दर्शाता पोस्ट ,यहाँ मैं यह भी कहना चाहूँगा सबको की योग्यता किसी कागजी प्रमाणपत्र की मोहताज नहीं होती है और ना ही किसी व्यक्ति को प्रमाण्पत्र के आधार पर तौलना चाहिए ....honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-50977907015756250292010-09-10T17:18:14.784+05:302010-09-10T17:18:14.784+05:30मुहब्बत मेँ बुरी नज़र से कुछ भी/ सोचा नहीँ जाता/ क...मुहब्बत मेँ बुरी नज़र से कुछ भी/ सोचा नहीँ जाता/ कहा जाता है बहुत कुछ/ पर बहुत कुछ समझा नहीँ जाता/ बरखुरदार... वे नखधर जब बसेरे के लिए लौटेँ/ सलीकामंद शाखोँ का लचक जाना जरूरी है।mare gaye gulfaamhttps://www.blogger.com/profile/09036373575735409699noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-17153363118617468172010-09-08T23:08:19.276+05:302010-09-08T23:08:19.276+05:30अनुप जी का अंदाज ही निराला है । चाहे फुरसतिया टाईप...अनुप जी का अंदाज ही निराला है । चाहे फुरसतिया टाईप लेख हो या फिर बेबाक टिप्पणी ।कृष्ण मोहन मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14783932323882463991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-58852035205044374182010-09-04T19:04:01.902+05:302010-09-04T19:04:01.902+05:30लम्बे अरसे बाद आज आपको पढ़ने का मौका मिला, 28 अगस...लम्बे अरसे बाद आज आपको पढ़ने का मौका मिला, 28 अगस्त को केएम मिश्र जी की तरफ से आयोजित रेस्त्रा तंदूर मे एक बैठकी मे वीनस केसरी से पता चला कि आप लखनऊ मे है, और वही पता चला लखनऊ मे ऐसा कोई कार्यक्रम हो रहा है, मन था कि चल के ब्लाग पर देखेगे कि क्या हो रहा है पर ....... आज ही आना हो पाया। <br /><br />जो भी कार्यक्रम अच्छा होना चाहिये, जो मुद्दे हो वो कार्यक्रम मे निस्तारित कर लेना चाहिये, हो सके तो एक घंटे का विवादित अवर भी रख सकते है :), पर यह ठीक नही कि सॉप के जाने के बाद सभी ब्लागर अन्य-2 मुद्दे पर लाठी पीटते नज़र आये। <br /><br />आपको पढ़कर मन आनन्दित हुआ। <br /><br />आप का अपनाPramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-81372764176830364892010-09-01T15:35:03.000+05:302010-09-01T15:35:03.000+05:30पहले यह बताइये कि यह कार्यशाला थी या शोधशाला और क्...पहले यह बताइये कि यह कार्यशाला थी या शोधशाला और क्या सारे वैज्ञानिक एप्रान पहन कर आए थे... अपने मुंह पर मास्क लगाए :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-43715588069846878862010-09-01T14:44:40.505+05:302010-09-01T14:44:40.505+05:30भाटिया जी ने सबसे सही कहा है...
" जन्माष्टमी...भाटिया जी ने सबसे सही कहा है...<br /><br />" जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं "रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-81754363966178722962010-09-01T14:01:21.718+05:302010-09-01T14:01:21.718+05:30जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें।जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें।राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-28268766509266226572010-09-01T12:36:05.537+05:302010-09-01T12:36:05.537+05:30great to know all top bloggers are celebrating the...great to know all top bloggers are celebrating their friendship without being affected to blog turbulence <br /><br />what else is bloging forरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-73714721781233940872010-09-01T10:57:56.196+05:302010-09-01T10:57:56.196+05:30पहली पोस्ट पढ़ी थी. बहुत बढ़िया लगी. यह पोस्ट भी ब...पहली पोस्ट पढ़ी थी. बहुत बढ़िया लगी. यह पोस्ट भी बढ़िया है. कुछ बातें हो जाती हैं जिन्हें आप नहीं चाहते. कुछ बातें हो जाती हैं जिन्हें कोई नहीं चाहता. लेकिन हो जाती हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. <br /><br />@अरविन्द जी <br />ह्यूमेंटीज वालों को साइंस सेमिनार में बुला लिया आपने. कभी कामर्स वालों को भी बुलाइए...:-)Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-40758113890892499222010-09-01T09:22:46.301+05:302010-09-01T09:22:46.301+05:30अनूप जी एक शेर को यत्र तत्र पचास बार लिख चुके हैं ...अनूप जी एक शेर को यत्र तत्र पचास बार लिख चुके हैं जो मूलतः एक महिला ब्लॉगर ने कभी लिखे थे ....:) (महिला प्रभाव हा हा )<br />जहाँ तक आपकी बात है सिद्धार्थ जी ,आप अपने बायोडाटा में इस उपलब्धि को डाल देगें तो (जो आप डालेगें ही ) तो आगे भी आपको फायदे होंगे ...<br />निश्चय ही उस कार्यक्रम में आपको आमंत्रित करने का कोई कारण न था ,हाँ केवल तकनीकी कारण यह था की आप साईंस ब्लागर्स के मेम्बर हैं ...<br />बातें बढ़ जायेगीं ,बड़े भाई का औपचारिक ओहदा देते हैं आप तो ,इसका निर्वाह भी मुझे करना होगा ..बंधा हूँ ..<br />आप को खुद अभी एक सम्मलेन आयोजित करना है -वहां बातों को तुच्छ मानकर मत चलियेगा इतना हिदायत दे ही दे रहा हूँ ..<br />बाकी जागतिक और सांसारिक होशियारी आपमें खूब है इतना तो अब तक देख ही लिया है मैंने ...<br />अनूप जी को प्लेन से बुलाने का आमंत्रण दिया या नहीं ?<br />निश्चित ही एन सी एस टी सी की वर्कशाप घटिया थी ....आप एक बढियां (पहले की तरह नहीं ) सेमीनार करें -शुभकामनाएं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-68244484320383619572010-09-01T09:09:03.621+05:302010-09-01T09:09:03.621+05:30यह सम्मेलन अत्यधिक सफल रहा और इसके लिये सभी आयोजनक...यह सम्मेलन अत्यधिक सफल रहा और इसके लिये सभी आयोजनकर्ता बधाई के पात्र। आपकी पोस्ट में मैने तो आत्मीयता ही पाई सबके लिये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-14247547495797284992010-09-01T08:54:34.270+05:302010-09-01T08:54:34.270+05:30मै अनूप जी की टीप से सहमत हूँ ..... आभारमै अनूप जी की टीप से सहमत हूँ ..... आभारसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-80946946479769145392010-09-01T08:21:42.868+05:302010-09-01T08:21:42.868+05:30मेरे हर उजाले दाग दाग क्यों हैं?मेरे हर उजाले दाग दाग क्यों हैं?गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-88724189525555643142010-09-01T08:12:37.594+05:302010-09-01T08:12:37.594+05:30अच्छा लिखा है।
एक शेर याद आ रहा है-
मैं सच बोलूंग...अच्छा लिखा है।<br />एक शेर याद आ रहा है- <br /><b>मैं सच बोलूंगी हार जाऊंगी,<br />वो झूठ बोलेगा,लाजबाब कर देगा।</b><br /><br />वैज्ञानिक चेतना और प्रसार के चलते मैं उस दिन की कल्पना कर रहा हूं जब ऐसे सम्मेलनों में जाते ही आपको आयोजकों की तरफ़ से आंखे, बुद्धि और तमाम जरूरी चीजें इशू हो जायेंगे। सम्मेलन में आप वैसे ही रहें, बोले, प्रतिक्रियायें करें जैसा आयोजक चाहता है। विदा होते ही आपकी बुद्धि अनुभव धरा लिये जायेंगे ताकि बाद में आप अपनी बुद्धि और अनुभव से कुछ प्रकट करने में असमर्थ रहें।<br /><br />यह पोस्ट आपके सदव्यवहार की परिचायक है। इससे लगता है इधर-उधर के बहाने से आप अपनी बात झूठ-मूठ सही साबित करने की फ़िजूल कोशिश करने की बजाय अफ़सोस जाहिर करना बेहतर समझते हैं। यह बेहतर मन की निशानी है। बड़ी समझ का प्रमाण।<br /><br />अब यह अलग बात है कि इसके चलते चीजें और ज्यादा उघड़ गयीं। लेकिन उसमें आपका दोष नहीं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com