tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post3822275310104136570..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: धार्मिक अनुष्ठान से स्वास्थ्य रक्षासिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-82901064940281330672015-09-19T20:39:03.036+05:302015-09-19T20:39:03.036+05:30यदि ईश्वर पर विश्वास करते हैं तो वो कहते हैं ना ...यदि ईश्वर पर विश्वास करते हैं तो वो कहते हैं ना जो भी होता है ठीक ही होता है। रही बात कर्मकांड का विरोध करने की तो इसके हर पहलू पर विचार करके ही किसी निर्णय पर पहुंचना उचित होगा। वैसे भी इतने लोगों का धार्मिक विश्वास अंधविश्वास कैसे हो सकता है। रही बात लालची पण्डा-पुरोहितों की तो वो एक सामाजिक विसंगति है, उसका फल उन्हें भुगतना होगा। पर वे उस मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य लाभ के निमित्त तो बनते ही हैं, जो आपके अभिभावकों को प्राप्त हुआ। जरा कल्पना करिए कि यदि आपका अपने पिता के साथ यूं ही मनमुटाव चलता रहता और घर में धार्मिक अनुष्ठान नहीं हुआ होता तो किसी चमत्कारिक डॉक्टर को आपके पिताजी की चिकित्सा करने का स्वप्न नहीं आता कि वो गांव जाकर उनकी चिकित्सा कर देता। आधुनिक चिकित्सा तभी सफल हो सकती है जब व्यक्ति उसके प्रति अास्था रखे। जिस आदमी का विश्वास खंडित हो जाता है उसे एलौपैथ चिकित्सा उस रूप में कभी खड़ा नहीं कर सकती, जिस रूप में उसे जीवन के लिए खड़ा होना चाहिए। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-9709930535648179392015-09-19T13:04:11.145+05:302015-09-19T13:04:11.145+05:30कई बार ऐसी धर्मसंकट की स्थिति में खूब पढ़े-लिखे अच...कई बार ऐसी धर्मसंकट की स्थिति में खूब पढ़े-लिखे अच्छे अच्छों का ज्ञान अपने बड़े बुजुर्गों के आगे धरा का धरा रह जाता है। । खैर यही कहना होगा की अपनों के मन की संतुष्टि से बढ़कर कुछ नहीं। कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-88113375668200701182015-09-18T21:05:42.222+05:302015-09-18T21:05:42.222+05:30ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आयकर और एनआरआई .....ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2015/09/blog-post_18.html" rel="nofollow"> आयकर और एनआरआई ... ब्लॉग बुलेटिन </a> , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !ब्लॉग बुलेटिनhttps://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-29557695754624861632015-09-18T14:04:45.625+05:302015-09-18T14:04:45.625+05:30कुछ कार्य विश्वास ना होते हुये भी अपनों के लिये कर...कुछ कार्य विश्वास ना होते हुये भी अपनों के लिये करने पडते हैं। बुजुर्गों को समझाना हमेशा से ही मुश्किल कार्य रहा है, उनके साथ आप तर्क करेंगे तो उन्हें ठेस महसूस होती है। खैर इसे भी चिकित्सा का एक साधन मानने में हर्ज नहीं, आखिर मनोवैज्ञानिक कारण से स्वास्थय लाभ तो हो रहा है ना माता जी को <br />रही बात पंडित पुरोहितों द्वारा भय दिखाकर लूटे जाने की तो आजकल डॉक्टर्स भी यही सब कर रहे हैं........भय दिखा कर पैसा वसूलना इस पेशे में भी कम नहीं है। सबसे बडी बात उन्हें हम मुंहमांगी फीस भी देते हैं। खैर.......... और टिकट कन्फर्म ना हो तो ग्यारह रुपये का प्रसाद चढाने की आप भी मन्नत मांग लीजिये......जैसे हमारे कर्मकांडी धार्मिक बुजुर्ग करते हैं :-) अन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-36919577157667735792015-09-18T13:42:29.909+05:302015-09-18T13:42:29.909+05:30बहुत हद तक मानसिक अवस्था भी शारीरिक स्वास्थ्य को न...बहुत हद तक मानसिक अवस्था भी शारीरिक स्वास्थ्य को नियन्त्रित करती है.<br />इसलिये इस उम्र में दूसरों को नुकसान पहुँचाये बिना जो करना चाहते है, वही करने देना बेहतर है !!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-79193860356110375552015-09-18T12:39:57.980+05:302015-09-18T12:39:57.980+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-09-2015) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> " माँ बाप बुढापे में बोझ क्यों?" (चर्चा अंक-2103) </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-31813931891453233192015-09-18T10:02:00.705+05:302015-09-18T10:02:00.705+05:30सिद्धार्थ जी, स्थितियां बदलने में अभी बहुत वक्त लग...सिद्धार्थ जी, स्थितियां बदलने में अभी बहुत वक्त लगने वाला है। सोचिये जब हम अपने ही माता पिता को एक सही बात समझाने में सफल नहीं हो सके तो औरों को क्या समझायेंगे? यहाँ मसला सोच का है। धार्मिक व्यक्ति जब कर्मकांडी हो जाता है तब ऐसे धूर्त पंडितों की चांदी हो जाती है। और अफ़सोस तो ये है कि ऐसे कर्मकांडी अंधविश्वास से हमारा न केवल बुज़ुर्ग समाज बल्कि युवा समाज भी घिरा हुआ है। बहुत समय लगेगा इसे ख़त्म होने में। एक बात और, बीमारी से घिरा व्यक्ति ज्योतिषी, पंडित और बाबाओं की शरण में खुद को बहुत सुरक्षित पाता है सो आपके पिताजी भी अंततः वहां पहुंचे और देखिये न मनोवैज्ञानिक असर कि माताजी अब ठीक हो रही हैं...😞 आपकी लाचारी समझ पा रही हूँ।वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-80202969172881537382015-09-17T22:20:08.374+05:302015-09-17T22:20:08.374+05:30वही तो। धार्मिक आस्था के नाम पर जब कर्म कांड और आड...वही तो। धार्मिक आस्था के नाम पर जब कर्म कांड और आडम्बर की मिलावट सामने आती है और वह भी किसी की लालची दृष्टि के कारण तो कोफ़्त बहुत होने लगती है। पारिवारिक संस्कार हमें खुलकर विरोध भी नहीं करने देते। नहीं तो जो आपके साथ है वैसी स्थिति बन जाती है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-48023846689049851242015-09-17T20:51:06.958+05:302015-09-17T20:51:06.958+05:30बडी धर्म संकट की स्थिति बन जाती है। परिवार में ...बडी धर्म संकट की स्थिति बन जाती है। परिवार में मुझे नास्तिक समझा जाता है जबकि ऐसा नहीं है।P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-34783219721765189432015-09-17T17:55:59.952+05:302015-09-17T17:55:59.952+05:30पढकर मन बोझिल हो गया. अब उनके विचार परिवर्तन की गु...पढकर मन बोझिल हो गया. अब उनके विचार परिवर्तन की गुंजाइश नहीं. हमारे समाज में आज भी तार्किकता का घोर अभाव है. और इसका फायदा उठाने के लिये निहित स्वार्थ सिद्धि वाले टकटकी लगाये रहते हैं. बहरहाल फेथ हीलिंग का भी एक पहलू है. आप पिता जी जो चाहें करने दें. <br />आपकी वैज्ञानिक मनोवृत्ति की मैं प्रशंसा करता हूं किन्तु पिता जी की सुख शांति की कीमत पर नहीं. <br />Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-38574389165257858932015-09-17T17:55:30.074+05:302015-09-17T17:55:30.074+05:30पढकर मन बोझिल हो गया. अब उनके विचार परिवर्तन की गु...पढकर मन बोझिल हो गया. अब उनके विचार परिवर्तन की गुंजाइश नहीं. हमारे समाज में आज भी तार्किकता का घोर अभाव है. और इसका फायदा उठाने के लिये निहित स्वार्थ सिद्धि वाले टकटकी लगाये रहते हैं. बहरहाल फेथ हीलिंग का भी एक पहलू है. आप पिता जी जो चाहें करने दें. <br />आपकी वैज्ञानिक मनोवृत्ति की मैं प्रशंसा करता हूं किन्तु पिता जी की सुख शांति की कीमत पर नहीं. <br />Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com