tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post2354073026746742325..comments2023-12-10T22:24:08.053+05:30Comments on सत्यार्थमित्र: क्या अखबार का पाठक चिरकुट है…?सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttp://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-12181055255107338072011-01-17T16:02:21.875+05:302011-01-17T16:02:21.875+05:30'सब नंगे हो रहे हैं,तो हमारी नंगई पर आपको क्यो...'सब नंगे हो रहे हैं,तो हमारी नंगई पर आपको क्यों आपत्ति है भला.'..बहुत कुछ ऐसा ही लगा यह सुनना...<br /> <br />"दो रुपये का अखबार"...हास्यास्पद है यह वक्तव्य..एक अखबार छापने,बेचने के बदले प्रति पाठक/ अखबार प्रकाशन को क्या केवल दो ही रुपये मिलते हैं ??? विज्ञापन का हिसाब कहाँ गया ??? कहने का मतलब यह की चूँकि पाठक apnee jeb से दो hee रुपये deta है aur विज्ञापन लाखों का मुनाफा करता है, तो अखबार की प्रतिबद्धता विज्ञापन दाताओं के प्रति होना चाहिए...वाह...kya kahne....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-31768224044134259562011-01-12T20:14:17.916+05:302011-01-12T20:14:17.916+05:30सार्थक रिपोर्ट. ब्लॉग जगत में ऐसे ही पोस्टों की ज...सार्थक रिपोर्ट. ब्लॉग जगत में ऐसे ही पोस्टों की ज़रूरत है.Harshkant tripathi"Pawan"https://www.blogger.com/profile/12119765298800994769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-32761815070777973582011-01-12T20:08:48.941+05:302011-01-12T20:08:48.941+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Harshkant tripathi"Pawan"https://www.blogger.com/profile/12119765298800994769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-48669562150160834472011-01-11T23:50:33.021+05:302011-01-11T23:50:33.021+05:30सुंदर और सार्थक रिपोर्ट।सुंदर और सार्थक रिपोर्ट।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-79813118528162801002011-01-11T17:41:10.214+05:302011-01-11T17:41:10.214+05:30sarthak post...aabhar...sarthak post...aabhar...स्वातिhttps://www.blogger.com/profile/06459978590118769827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-51037795905946298852011-01-11T15:40:02.746+05:302011-01-11T15:40:02.746+05:30दो रुपये का अखबार!!! जिन अखबारो मे बकवास छपी हो उन...दो रुपये का अखबार!!! जिन अखबारो मे बकवास छपी हो उन की ओकात दो पेसे नही होती जी, फ़िर इन को तो लाखो रुपये विज्ञापन वालो से मिलते हे, फ़िर जनता पर धोंस केसी, कोई भी अखबार का मालिक झोपडी मे नही रहता, बडे बडे आलीशान घरो मे रहते हे, सिर्फ़ इस दो रुपये की कमाई से,राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-66445175868789627052011-01-11T15:32:21.732+05:302011-01-11T15:32:21.732+05:30` दो-ढाई रूपये देकर क्या उन्होंने अखबार के मालिक क...` दो-ढाई रूपये देकर क्या उन्होंने अखबार के मालिक को खरीद लिया है जो उससे मिशन और नैतिकता की अपेक्षा करते हैं?'<br /><br />हां जी, अखबार को लाखों के विज्ञापन देने वाले ही खरीद सकते है, गरीब पाठक दो रुपये देकर सपने में भी यह नहीं सोच सकता :(चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-51368801650044044242011-01-11T12:51:11.471+05:302011-01-11T12:51:11.471+05:30सारगर्भित आलेख. आभार.सारगर्भित आलेख. आभार.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-75698408307308317162011-01-11T10:29:06.602+05:302011-01-11T10:29:06.602+05:30मनोज मिश्र जी की बात को आगे बढ़ाते हुए - पत्रकारित...मनोज मिश्र जी की बात को आगे बढ़ाते हुए - पत्रकारिता मिशन है व्यवसाय नहीं, जैसे चिकित्सा सेवा है व्यवसाय नहीं। पैसा तो कमाइए लेकिन पीत पत्रिकारिता करके नहीं। मैंने तो यही अनुभव किया है कि पत्रकार एक ईमानदार और कर्मठ व्यक्ति का चरित्र हनन अधिक करते हैं। समाज के सामने यह सिद्ध करते हैं कि इस हमाम में सभी नंगे हैं तो हम भी यदि नंगे हैं तो क्या? जबकि ऐसा नहीं है, हर क्षेत्र में गुणी व्यक्ति हैं, आज उनकी छिछालेदार करके सभी को एक समान करने का प्रयास किया जा रहा हैं, यह समाज और देश के लिए घातक है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-42716559317143521092011-01-11T09:06:30.615+05:302011-01-11T09:06:30.615+05:30पत्रकारिता क्या है-मिशन या प्रोफेशन यह व्याख्या अभ...पत्रकारिता क्या है-मिशन या प्रोफेशन यह व्याख्या अभी अधूरी है.चिंतन चल रहे हैं निष्कर्षों की किसे पड़ी है.<br />सारगर्भित रिपोर्ट के लिए आपको बधाई.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-44074326943279241232011-01-11T08:36:01.455+05:302011-01-11T08:36:01.455+05:30समाज को बदल देने का नारा लिये जब प्रारम्भ किये समा...समाज को बदल देने का नारा लिये जब प्रारम्भ किये समाचार पत्र जब धन की रोशनी में अस्तित्व ढूढ़ने लगते हैं, तो आश्चर्य होने लगता है। डॉ हरिओम पंवार की कविताओं को पढ़कर पूरा विचार तंत्र झंकृत हो उठता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4959245896522980751.post-1913658992600161782011-01-11T07:33:18.706+05:302011-01-11T07:33:18.706+05:30दूसरों की गलतियाँ और कमजोरियां गिनाने से हमारे अपन...दूसरों की गलतियाँ और कमजोरियां गिनाने से हमारे अपने अवगुण कम नहीं हो जाते. आज भारतीय समाज की दुर्गति इसलिए हो रही है क्योंकि सभी अपना अपना हित ही देखने में लगे हैं. पत्रकार भी इसी समाज से आते है और न्यायाधीश भी. असल जीवन में आम आदमी भी यह देख चुका है कि सच्चाई और ईमानदारी केवल किताबी बातें बनकर रह गयी हैं और इनके दम पर कोई अपना घर नहीं चला सकता.<br />अरे! मैं तो जय कुमार झा जी की भाषा में बोलने लगा!:)निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.com