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मंगलवार, 22 सितंबर 2015

आने वाले धन को रोकती हैं आपकी ये ‘बुरी आदतें’

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में आध्यात्मिक और धार्मिक संदर्भों पर रोचक आलेख प्रकाशित करने वाला नियमित स्तंभ स्पीकिंग ट्री अब ऑनलाइन उपलब्ध है और इसका हिंदी संस्करण भी आ गया है, जिसमें अनेक बार ज्योतिष और शास्त्र के नाम पर अंधविश्वास और टोना-टोटका वाली सामग्री भी दिख जाती है। ऐसे में इनपर आँख मूँदकर विश्वास नहीं किया जा सकता। लेकिन आज एक सामग्री ऐसी मिली जिसके मूल संदेश पर अमल किया जाना चाहिए। भले ही बताये गये परिणाम पर भरोसा न हो। वैसे ही जैसे कि शराब के नशे में धुत्त कोई व्यक्ति यह सीख दे कि शराब पीना अच्छी बात नहीं है, इसके जीवन बर्बाद होता है, परिवार नष्ट हो जाता है, तमाम बीमारियाँ शरीर में घर बना लेती हैं, आदि-आदि; तो उसे यह झिड़की दे्ने के बजाय कि पहले अपना उपदेश खुद पर लागू करो, उसकी बात को प्रत्यक्ष उदाहरण के आधार पर सही माना जा सकता है। आइए जानते हैं कुछ जीवनोपयोगी बाते-

(स्पीकिंग ट्री से साभार)

यदि आप शास्त्रों में विश्वास रखते हैं तो वाकई शास्त्रों में वर्णित निर्देशों का पालन करते होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि आप हर समय, हर दिन शास्त्रीय नियमों का पालन करेंगे, तो लाइफ इतनी आसान हो जाएगी कि आप समझ भी नहीं पाएंगे। लेकिन यदि आपको विश्वास नहीं भी है, तब भी आप एक बार शास्त्रीय नियमों का पालन करके देखें, अच्छे परिणाम आप खुद महसूस करने लगेंगे।

शास्त्रों के अनुसार, शास्त्रीय नियमों का पालन करने वाले लोग भी अनजान होकर दिनभर ऐसी कई गलतियां करते हैं, जो उन्हें नहीं करनी चाहिए। ऐसी आदतें मनुष्य को अशुभ फल देती हैं, और उसके आने वाले समय पर हावी भी होती हैं। शास्त्रों के अनुसार हमें सुबह उठने के बाद रात सोने तक ऐसी किसी भी बुरी आदत को अपनाना नहीं चाहिए, जो हमारे लिए अशुभ फल लाए।

जैसे कि कुछ लोगों की आदत होती है कि सुबह नहाने के बाद बाथरूम को गंदा छोड़ने की। ऐसे लोग फर्श पर गिरे पानी को साफ करना तो दूर, अपने गंदे कपड़े भी बाथरूम में छोड़कर बाहर चले आते हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से जातक की कुंडली में चंद्र का स्थान बुरा होता चला जाता है। इसलिए इससे बचने के लिए हमेशा अपने बाथरूम की सफाई करें।

बाथरूम वाली बुरी आदत के साथ लोगों की एक और आदत भी बहुत बुरी है, खाने के बाद जूठी प्लेट वहीं छोड़ जाने की। कुछ लोग तो खाना प्लेट में ही छोड़ भी देते हैं। लेकिन शास्त्रों की मानें तो प्लेट में रखा एक-एक अन्न ग्रहण करना चाहिए और साथ ही स्वयं प्लेट लेकर उसे साफ करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि खाना खाने के बाद जूठे बर्तनों को सही स्थान पर रखा जाए तो शनि और चंद्र के दोष दूर होते हैं। साथ ही, लक्ष्मी की प्रसन्नता भी मिलती है। तो आज से आप ध्यान रखेंगे ना इस बात का?

इसके अलावा घर की साफ-सफाई का भी ध्यान रखना जरूरी है। शास्त्रों के मुताबिक कहीं भी चप्पलें उतार देना और बिस्तर की चद्दर को अव्यवस्थित रखना एक बुरी आदत है। इसके कारण व्यक्ति की सेहत खराब रहती है। इसलिए हमेशा बिस्तर को साफ रखें, उसकी चद्दर समय-समय पर झाड़ लें। खासतौर पर रात को सोने से पहले जरूर साफ करें।

शास्त्रों के अनुसार देर रात तक जागना भी नियमों के विरुद्ध है। इससे चंद्र का अशुभ फल मिलता है, जो व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर भी गलत प्रभाव करता है। इसलिए हमेशा समय से सो जाएं और सुबह समय से उठ भी जाना चाहिए।

एक और नियम, जो ना केवल शास्त्रीय संदर्भ से मानना चाहिए, बल्कि अपने आसपास सुखद वातावरण बनाने के लिए भी इस नियम का पालन करना महत्वपूर्ण है। हमें कभी ऊंची आवाज़ में बात नहीं करनी चाहिए। इससे हमारे आसपास के लोग तो परेशान होते ही हैं, साथ ही हमारी सेहत पर भी इसका असर होता है।

ऊंचा बोलने के अलावा कुछ लोगों की बेवजह इधर-उधर थूकने की भी आदत होती है। यदि आप ऐसा करते हैं तो लक्ष्मी जी कभी आप पर कृपा नहीं करेंगी। इसीलिए इधर-उधर थूकने से बचना चाहिए, इस काम के लिए निर्धारित स्थान का ही उपयोग करना चाहिए।

[उक्त छोटी-छोटी बातों का पालन करना एक सभ्य और संस्कारित व्यक्ति की पहचान होते हैं। इसलिए शास्त्र के नाम पर बिदकने वाले भी इसका पालन कर सकते हैं।]

(सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी)
www.satyarthmitra.com

10 टिप्‍पणियां:

  1. पूर्णतया सहमत। ये सब पिताजी की नसीहतें हैं। इनको मानना उस समय खलता था लेकिन अब जानता हूँ कि इनसे जीवन काफी सुगम हो जाता है। और भी बातें हैं जैसे खड़े होकर पानी नहीं पीना, नदी के सामने मुंह करके पेशाब नहीं करना, बाजार में खड़े होकर नहीं खाना, भोजन से पहले वस्त्र बदल लेना, बैठ कर ही खाना, जो काम करो उसी पर ध्यान धरो आदि आदि।

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  2. हाइजीन के नाम पर सही.
    अच्छी आदतें अपनाने में बुराई नहीं!

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  3. सुसंकृत सभ्यता के लिये जो जरुरी होना चाहिये, उसके लिये ज्ञान-विज्ञान द्वारा नियम बनाये गये होंगे और नियमों का पालन करवाने के लिये धर्म से जोड दिया गया होगा......जोकि शास्त्रों में लिखा गया है.......शायद वो सही ही है।

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  4. बात किसी भी माध्यम से कहि जाये ...उद्देश्य एक ही है ...बस लोगों के समझने भर की देर है

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  5. ये सामान्य जीवनोपयोगी बर्ताव हैं -शास्त्र से जोड़ना आवश्यक/अपेक्षित नहीं
    बल्कि वो बाथरूम वाली बात से पत्नी की रोज रोज की किच किच याद आयी और मन तिक्त हो गया :p

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  6. Huh sabhi ko shastr jankari rakgni chahiye taki hum se koi galti na Ho hamari jimadrivanti hai or hum ek dusre k

    oshastr ke bare batye

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