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गुरुवार, 16 अप्रैल 2009

मिलिए एक साहसी प्रत्याशी से...!

 

शशि पाण्डेय चुनावी ड्यूटी के रूप में आजकल कोषागार के सभी अधिकारी प्रत्याशियों के चुनावी खर्चे का हिसाब लेने में व्यस्त हैं। व्यय रजिस्टर का सूक्ष्म परीक्षण करने के लिए निर्वाचन आयोग ने कड़े दिशा निर्देश जारी कर रखे हैं। बुधवार को मैं भी इसी कार्य में व्यस्त था। तभी मेरे बॉस का बुलावा आ गया। मैं उनके कार्यालय कक्ष में दाखिल हुआ तो वहाँ का नजारा देखकर दंग रह गया।

एक पढ़ी लिखी सम्भ्रान्त सी दिखने वाली युवती अपने हाथ में कागजों का पुलिन्दा लिए बदहवास सी रोए जा रही थी। गोरे चिट्टे स्निग्ध चेहरे का रंग सुर्ख लाल हो गया था और आँखों से अश्रु धारा बहती जा रही थी। लगातार बोलते रहने से आवाज बैठ गयी थी। क्रोध और असहायता का मिश्रित भाव समेटे उसकी आँखों में भी लाल डोरे उभर आए थे। भर्राती आवाज गला सूखने का संकेत दे रही थी। वहा बैठे दूसरे लोग इस मोहतरमा को चुप कराने की सूरत नहीं निकाल पा रहे थे।  एक तूफान सा उमड़ पड़ा था जो थमने का नाम नहीं ले रहा था।

कुछ क्षण के लिए मैं भी विस्मय से निहारता रहा। फिर मैने महिला गार्ड से ठण्डा पानी लाने को कहा और उन्हें शान्त होकर अपनी बात नये सिरे से धीरे-धीरे कहने का अनुरोध करने लगा। वो अकस्मात्‌ फिर से शुरू हो गयीं तब मैने उनकी बात सुनने से पहले ठण्डा पानी पीने और आँसू पोंछकर बिलकुल नॉर्मल हो जाने की शर्त रख दी।

जब आँधी और बूँदा बाँदी थम गयी तब मुझे पता चला कि ये एक निर्दल प्रत्याशी हैं जो इलाहाबाद से सांसद बनकर देश की सेवा करने का सपना पूरा करना चाहती हैं। एक सपना जो इन्होंने अपने बचपन में ही देखा था और जिसे पूरा करने के लिए अन्य बातों के अलावा अविवाहित रहने का फैसला भी कर लिया था।

फिलहाल जिस समस्या से ये हलकान हुई जा रही थीं वो ये थी कि इनके द्वारा प्रस्तुत खर्च का व्यौरा जाँच अधिकारी ने अस्वीकृत कर दिया था। इस बात का आसन्न खतरा मडराता देखकर इनके होश उड़ गये थे कि शायद इनकी उम्मीदवारी खतरे में न पड़ जाय।

सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर चुकी कु. शशि पांडेय करीब डेढ़ साल पहले अपने पुराने शहर वापस आयी जहाँ २३ वर्ष पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की थी। भारत की संसद में लोकसभा के लिए चुने जाने का सपना इनके दिल और दिमाग पर इस कदर छाया हुआ है कि बड़ी से बड़ी बाधा की चट्टान इनके फौलादी इरादों को रोक नहीं सकती।

सम्पन्न माँ बाप की इकलौती दुलारी बेटी ने अपने लिए जो रास्ता चुना है उसपर चलते हुए इन्होंने दिल्ली की पॉश कॉलोनी की आभिजात्य जीवन शैली का त्याग कर इलाहाबाद की मेजा, माण्डा, करछना तहसीलों के धूल भरे दुर्गम और अन्जान रास्तों पर निकल कर देहात में पसरी बदहाल गरीबी, भुखमरी और लाचारी के बीच उम्मीद की किरण फैलाने का फैसला किया है। कॉन्वेन्ट शिक्षा की विशुद्ध अंग्रेजी जुबान छोड़कर ग्रामीण परिवेश की स्थानीय अवधी/भोजपुरी बोली में संवाद कायम करने की चेष्टा बार-बार मुखरित हो जाती है। 

सुश्री शशि पाण्डे- सांसद प्रत्याशी इलाहाबाद

Name: Km. Shashi Pandey

D/O: shri Vishwanath Pandey

Date of Birth: 13 June, 1963

Marital Status: Unmarried

Residence:  Pitam Nagar, Allahabad

 

Education & Qualifications:

Graduation: BA with  Eng.Literature, History, Political Science-1984 (University of Allahabad)

Post Graduation: MA in Political Science-1986 (AU).

LT : KP Training College, Allahabad-1988.

EDP: Entrepreneur Development Programme- FICC Tanasen Marg- 1994

LLB: Delhi University- Law Centre-2nd.(2001)

Diploma in Human Rights Law (2002): Indian Law Institute(Deemed University)

Family Background: Armed Forces Officers’ Family.

-Represented Delhi University in March 2000 for 1st PN Bhagawati Moot Court Competion in Benglore, Adjudged- “runner up”.

-Member: “Hum Aapke” - a registered NGO for Legal assistance to those who work in public interest. PIL on Ajmer Shariff to root out corruption rampant in Dargah Shariff, Ajmer.

“ I fought for the cause and rights of poor, indigent and sick which was deer to Khwaja Sahib”

“Pain of masses is my own pain. It pains me to watch them without water, electricity, sanitation, cleanliness, road and other basic amenities of life.”

किसी पार्टी का समर्थन प्राप्त किए बिना, समर्पित कार्यकर्ताओं की टीम गठित किए बिना, और चुनावी अभियान की विस्तृत रूपरेखा तैयार किए बिना ही संसद की मंजिल तक पहुँचने की राह दुश्‍वार नहीं लगती? इस प्रश्‍न का उत्तर कु.शशि बड़े आत्मविश्वास से देती हैं। अपने पहले प्रयास में मेरी कोशिश है कि मैं ग्रामीण जनता से व्यक्तिगत रूप से मिलूँ और उन्हें विश्वास दिलाऊँ कि राजनीति में स्वच्छ और ईमानदार छवि के लोग भी आगे कदम बढ़ाने को इच्छुक हैं।  गाँव के बड़े-बुजुर्गों और महिलाओं ने जिस हर्षित भाव से मेरे सिर पर हाथ रखा है उसे देखकर मुझे बहुत खुशी मिल रही है।

गाँव-गाँव में घूमकर लोगों से अपने लिए वोट जुटाने में लगी शशि को रास्ता बताने वाले भी क्षेत्र से ही खोजने पड़ते हैं। अपनी सुरक्षा के लिए भी इन्होंने जिलाधिकारी से गनर नहीं मांगे। एक मात्र ड्राइवर के साथ सुबह का ‘ब्रन्च’ लेकर जब ये अपनी निजी इण्डिका में निकलती हैं तो पता नहीं होता कि आज किससे मिलना है। जिधर ही दस-बीस लोग दिख जाते हैं वहीं गाड़ी से उतरकर अपना परिचय देती हैं , अपनी योजनाओं को समझाती हैं, आशीर्वाद मांगती हैं, और वहीं से कोई आदमी गाड़ी में बैठकर अगले पड़ाव तक पहुँचा देता है। रात ढल जाने पर किसी देहाती बाजार, छोटे कस्बे या तहसील मुख्यालय में ही धूल, मिट्टी, मच्छर और गर्मी के बीच बिना बिजली के रात बिताने के चिह्न आसानी से चेहरे पर देखे जा सकते हैं। प्रत्येक तीसरे दिन चुनावी खर्चे का एकाउण्ट दिखाना अनिवार्य है इसलिए शहर आकर समय खराब करना पड़ता है।

इतने मजबूत और नेक इरादों वाली लड़की यदि छोटी सी बात पर रोती हुई पायी जाती है तो इसका क्या अर्थ क्या समझा जाय? एक नेता यदि इतना अधीर हो जाएगा तो कठिन परिस्थियों में कैसे नेतृत्व देगा? इस सवाल पर शशि झेंप जाती है लेकिन झटसे सच्चाई का खुलासा करती है। दर‍असल मुझे लगा कि मेरी एक चूक से मेरा सारा सपना यहीं चकनाचूर हुआ जा रहा है। मैं नियम कानून का अक्षरशः पालन करने में विश्वास करती हूँ। कोई गलत काम करने के बारे में सोच भी नहीं सकती। कानून का पेशा है मेरा। फिर भी यदि एक कानूनी चूक से मुझे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है तो यह मेरे लिए सबसे बुरा होगा। इसी घबराहट में मेरा धैर्य जवाब दे गया था।



शशि से लम्बी बात-चीत मैने अपने मोबाइल कैमरे से रिकॉर्ड की है। इसे दो-तीन बार सुन चुका हूँ। सुनने के बाद मेरा मन बार-बार यही पूछ रहा है कि इस युग में क्या ईमानदारी भी मनुष्य को कमजोर बना देती है?

24 टिप्‍पणियां:

  1. kash , aise log sansad me pahunchen . kam se kam janta kee behalee pe sansad me aansoo to honge .

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  2. शशि पाण्डेय से परिचय कराने के लिये धन्यवाद। रोना कोई कमजोरी नहीं है। वे जीते या न जीतें लेकिन कुछ लोगों के मन में आशा का संचार अवश्य करेंगी। उनके लिये मेरी शुभकामनायें!

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  3. कु. शशि पांडेय जी के बारे में जानकारी और सटीक विचार प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद.

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  4. शशि पांडे ने सचमुच एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है -पर रास्ता खतरों भरा है ! राजनीति दिन ब दिन अपराधियों और माफिआयों का ऐशगाह बनती जा रही है ! जौनपुर में अभी जिस तरह एक निर्दल प्रत्याशी को बेखौफ दर्दनाक तरीके से मारकर बबूल के पेड़ में लटका दिया गया वह सीधे साधे इंसानों को इस तरह से देश सेवा की सख्त मनाही कर रहा है -पर फिर भी सुश्री पाण्डेय जी ऐसी मुहिम में लगी हैं यह उनका अदम्य साहस ही कहा जायेगा ! अब आयोग भी ऐसे प्रत्याशी जमात के लिए भी दुनिया भर की लंतरानी लगाए रहता है -बिचारी बिफर पडी और आपका ट्रेजरी मोहकमा भी आपको छोड़कर गजबै है -आखिर आपके किसी साथी ने रुला ही दिया बिचारी (?) पाण्डेय को ! अब आप आंसू पोछिये ! और सांत्वना दीजिये और उनका रजिस्टर अपने पर्यवेक्षण में रखिये !
    बड़े मियाँ और एक और बड़े मियाँ (माफिया और आयोग ) और छोटे मियाँ ( ट्रेजरी ) -सभी सुभान अल्लाह !

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  5. ऐसे दौर में पाण्डेय जी जैसी निर्दल प्रत्याशी का चुनावों में सक्रिय सहभागिता अपने आप में एक मिसाल है ,परन्तु सबसे अहम् सवाल यह है की आप कितने भले क्यों नहों पर आजकिस जातीय पार्टी में हैं यह महत्त्वपूर्ण हो चला है .प्रत्याशी महत्वपूर्ण न होकर अब दल महत्वपूर्ण हो चलें हैं .लोग इतनें संवेदन हीन हो चुकें हैं की ये बातें उनके लिए किसी मतलब की नहीं हैं .आपने सही विषय पर लेखनी चलाई है ,आपको धन्यवाद .

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  6. आजकल चुनाव जीतना संगठित गिरोहबाजों के लिए संभव रह गया है। ऐसे में इस साहसी महिला का अकेले निकल पडना ही काबिले तारीफ है। हालॉंकि इसका परिणाम क्‍या होगा, यह बताना किसी के लिए मुश्किल न होगा, फिरभी इनकी कामयाबी की दुआ करने के लिए दिल चाहता है।

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    तस्‍लीम
    साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

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  7. shashi ji ke sahash ko salam.aur aapko ham sabse shashi ji ka parichay karane ke liye, bahut bahut dhanyavad.shashi ji jaise logo ke madhyam se shuruaat ho chuki hai umeed hai manjil bhi milegi.aur bhartiya rajaniti gandagi ki dalal se bahar nikalegi
    .

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  8. शशि जी अनुकरणीय हैं कई मामलों में ! आभार इस परिचय के लिए.

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  9. यह महिला एक आन्त्रेपिन्योर बन कर बेहतर सेवा कर सकती थीं देश की। कम से कम कुछ लोगों को जॉब तो दे पातीं।
    वैसे अच्छा है - देशज हकीकत से दो-चार होने का यह तरीका भी बुरा नहीं, बशर्ते उस अनुभव से कुछ नॉन-पोलिटिकल समाधान भी निकल पाये इस क्षेत्र की त्रासदी का।

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  10. रोना वास्तव में स्वयं अपनी गलती का अहसास है। इसे कमजोरी समझना भूल होगी। इन्हीं कमजोरियों पर काबू पा कर व्यक्ति महान बन जाता है। शशि बहन को साहस के लिए बधाई।

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  11. पुनश्चः - मैं ज्ञानदत्त पांडे जी से सहमत नहीं हूँ। क्या अच्छे लोगों को राजनीति में नहीं आना चाहिए? यही तो कमी राजनीति के पतन का कारण है।

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  12. चुने जाने तक हर नेता ईमानदार ही होता है. चुने जाने के बाद कोई विश्वास करने लायक नहीं बचता है. भारत की जनता भी अब इतनी समझदार हो चुकी है.

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  13. आज की राजनीति में ऎसे लोगों की ही आवश्यकता है.......

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  14. मेरी ओर से इनको शुंभकामनायें लेकिन मेरे शुभकामनाओं पर मुझे भरोसा नहीं रहा जो बदले दौर में बेजान हैं। स्वच्छ और निर्मल चुनाव असंभव सा हो जायेगा.....सोचा न था।

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  15. शायद यही वजह हो कि राजनीति को कोई भी कैरियर नही बनाता.. इस पोस्ट के लिए बहुत आभार आपका..

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  16. bus ek hi saans me upar se niche tak sabkuchh padh gaya. lekin ek chis mujhe me nahi aati ki jo kuchh hum aur aap soch aur samajh rahe hain wo baki duniya kyon nahi samajhti. shashi panday ji ki bahaduri ko salam. chunaw me kya kuchh hoga usse mai puri tarah aaswast hun, lekin har man lena samsya ka samadhan nahi hai"jalate chalo deep sneh bhar bhar,kahi to timir ka kinara milega"

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  17. सिद्धार्थ जी आप की संवेदना के आयाम मुझे अभिभूत कर जाते हैं. मेरा आप से अनुरोध है कि आप समाचारपत्रों में भी लिखें.

    शशि जी यदि इस पोस्ट को कभी पढ़ें तो उन्हें मेरी विनम्र सलाह है कि किसी ऐसी राष्ट्रीय पार्टी को ज्वाइन कर लें जिससे उन का ताल मेल सहनीय सीमा तक हो सके और 5 वर्ष जनता में काम करें. गीता में भगवान ने कहा है 'धूमेनावृताग्नि:'. दोष तो हर ज़गह हैं. वर्तमान समय में राजनीति के दलदल में निर्दल रह कर जन प्रतिनिधि बन पाना ईमानदार व्यक्ति के लिए असंभव ही है. जब कि हर राष्ट्रीय पार्टी को ईमानदार व्यक्ति की तलाश रहती ही है. सभी बे-ईमान हों तो संगठन चलेगा ही नहीं.


    हाँ, "तरंग भंग उठते पहाड़" की तर्ज पर क्रांति का बिगुल बजाना और उलट पलट करना हो तो बात और है..

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  18. इस पोस्ट को पढ़कर बहुत अच्छा लगा, मौका मिला तो कभी इनसे मिलने का भी प्रयास करूँगा। संवेदनात्‍मक पोस्‍ट के लिये बहुत बहुत अभार

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  19. अभी इस पोस्ट को देख पाई हूँ ..ईमानदारी मनुष्य को कमजोर नही बनाती परन्तु इमानदार प्रयत्नों के फलीभूत न होने से उपजी निराशा मनुष्य को कमजोर बनाती है

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  20. काश ऐसा हो की देश में जहाँ नज़र दौडाएं हमें शशि जैसे इंसान ही दिखाई दें...आज के दौर में इस हिम्मत की जितनी प्रशंशा की जाये कम है लेकिन मात्र प्रशंशा से कोई संसद नहीं बन सकता...उसके लिए तो साम दाम दंड भेद अपनाने पढ़ते हैं...कभी तो वो सुभाः आएगी जब शशि जैसे उमीदवार हमें मिलेंगे और जीतेंगे...
    नीरज

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  21. Kash Vote dene se pahle yeh post padh li hoti, to shayad inke khate mein ek mera bhi vote badh gaya hota. Lekin best of luck for future Shashi G . Gandhi ko Gandhi Banne mein kafi samay laga tha. Phir Kranti 3 Ghante ki koi film nahi hoti hai.

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