हमारी कोशिश है एक ऐसी दुनिया में रचने बसने की जहाँ सत्य सबका साझा हो; और सभी इसकी अभिव्यक्ति में मित्रवत होकर सकारात्मक संसार की रचना करें।

गुरुवार, 4 दिसंबर 2008

पी.एम. को पाती… आप भी कुछ जोड़ें!

पिछला पूरा सप्ताह मुझसे शब्द रूठे रहे। शायद कुपित होकर कोप भवन चले गये थे। दिमाग सुन्न हो गया था, और हाथ जड़वत्। सूनी आँखों और भरे हृदय से सब कुछ देखता रहा। लगभग पूरा देश एक ही मनःस्थिति का शिकार है। इसी बीच ‘मेलबॉक्स’ में अग्रसारित सन्देश के रूप में प्रकाश बी. बजाज जी की एक चिठ्ठी मिली। अंग्रेजी में लिखी गयी इस चिठ्ठी में अपने प्रधानमन्त्री जी के लिए कुछ सन्देश है। मुझे इसका मजमून पसन्द आया और उद्देश्य भी…। मैने सोचा क्यों न इसमें हम सभी अपनी ओर से कुछ जोड़ें ताकि यह एक व्यक्ति के बजाय एक बड़े समूह का स्वर बन जाय।

बुधवार की शाम ‘गेटवे आव इण्डिया’ पर लाखों लोगों ने इकठ्ठा होकर ऐसा ही सन्देश दिया है। हमें अब इन नेताओं के बगैर भी सामूहिक आवाज उठानी होगी। इस पत्र को अविकल हिन्दी अनुवाद के रूप में यहाँ इस आशय से प्रस्तुत कर रहा हूँ कि आप अपनी टिप्पणियों के माध्यम से देश के मुखिया(?) के नाम लिखी गयी इस खुली पाती में अपना सन्देश जोड़ें।

[नोट: यह चिठ्ठी एक-दो दिन पुरानी है, उसके बाद देशमुख भी इस्तीफा दे चुके हैं]

आदरणीय प्रधानमंत्री जी,

मैं मुम्बई में रहने वाला खास किस्म का अदना सा प्राणी हूँ। चाहें तो चूहा समझ लीजिए। मुम्बई ‘लोकल’ के डिब्बे में 500 दूसरे चूहों के साथ सफ़र करता हूँ। भले ही ये डिब्बे 100 आदमियों के लिये बने हो। अलबत्ता हम असली चूहों की तरह चिचिया नहीं सकते। खैर….

आज मैंने आपका भाषण सुना। इसमें आपने कहा- “किसी को बख्शा नहीं जाएगा”। मुझे आपको याद दिलाने का मन हो रहा है कि इसी मुम्बई में सीरियल बम धमाकों की घटना घटे चौदह साल हो गए। दाऊद मुख्य षड़यंत्रकारी था। उसे आज के दिन तक पकड़ा नहीं जा सका है। हमारे तमाम फ़िल्मी-सितारे, बिल्डर और गुटखा किंग उससे मिलते रहते हैं; लेकिन आपकी सरकार उसे नही पा सकती। इसका कारण बहुत स्पष्ट है- आपके सारे मंत्री गुप-चुप उसके साथ हैं। यदि उसको सही में पकड़ लिया जाएगा तो बहुतों की कलई खुल जाएगी। भारत के अभागे लोगों के लिए आपका यह वक्तव्य कि “किसी को बख्शा नहीं जाएगा” बड़ा ही क्रूर मजाक है।

अब तो हद की भी हद हो गई है। जिस प्रकार करीब एक दर्जन लड़कों ने इस आतंकी हमले को अंजाम दिया है, उससे मुझे लगता है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो वह दिन दूर नही जब आतंकी हवाई हमले करेंगे और हमारे परमाणु ठिकानों पर बम-वर्षा करके एक और ‘हिरोशिमा’ दुहरा देंगे।

हम भारत के लोगों की अब एक ही नियति रह गयी है- “पैदा होने के बाद बम से मारे जाना और दफन हो जाना” (womb to bomb to tomb) आपने तो मुम्बई वालों को ‘शंघाई’ का वादा किया था, लेकिन दे दिया ‘जलियावाला बाग’।

आज ही आपके गृहमंत्री ने इस्तीफ़ा दिया। बताइए न, आपको इस जोकर को लात मार कर बाहर निकालने में इतनी देर क्यों लगी ? इसका एक ही कारण था कि वह गांधी राजपरिवार के प्रति वफ़ादार था। इसका मतलब यही है न कि गांधी परिवार की वफ़ादारी मासूम लोगों के खून से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

मैं 58 साल पहले मुम्बई में पैदा हुआ और तबसे यहीं पला-बढा हूँ। आप मेरा यकीन करिए कि महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार बिहार से भी खराब है। यहाँ के सभी नेताओं को देख लीजिए- शरद पवार, छगन भुजबल, नारायण राणे, बाल ठाकरे, गोपीनाथ मुण्डे, राज ठाकरे, विलासराव देशमुख, सब के सब धन में लोट रहे हैं।

अबतक मैने जितने मुख्यमन्त्री देखे हैं उनमें विलासराव देशमुख सबसे घटिया मुख्यमन्त्रियों में से एक है। उसका एक मात्र धन्धा प्रत्येक दूसरे दिन FSI(?) बढ़ाना है, उसमें पैसा बनाना है, और उसमें से दिल्ली भेजना है ताकि कांग्रेस अगला चुनाव लड़ सके।इस मसखरे को एक नया रास्ता मिल गया है। अब यह मछुआरों के लिए FSI बढ़ा देगा जिससे वे समुद्री किनारे पर पक्का मकान बना सकें। अगली बार आतंकवादी आराम से उन घरों में रह सकेंगे, समुद्र की सुन्दरता का मजा ले सकेंगे और मनचाहे तरीके से मुम्बई पर हमला कर सकेंगे।

हाल ही में मुझे मुम्बई में घर खरीदना हुआ। मैं करीब दो दर्जन बिल्डरों से मिला। सभी मुझसे ३०प्रतिशत कीमत कालेधन में चाहते थे। मेरे जैसा आम आदमी जब इस बात को जानता है, तब भी आप और आपके वित्त मन्त्री जी तथा आपकी सी.बी.आई. और तमाम खुफिया एजेन्सियाँ इससे अनभिज्ञ हैं। यह सब का सब कालाधन कहाँ जाता है? इसी अण्डरवर्ड में ही न? हमारे राजनेता इन्हीं गुण्डों की मदद से लोगों की जमीन खाली कराते हैं। मैं खुद इसका भुक्तभोगी हूँ। अगर आपके पास समय है तो मेरे पास आइए। मैं आपको सबकुछ बताउंगा।

अगर यह देश केवल मूर्खॊं और पगलेटों का होता, तो मैं यह पत्र आपको लिखने के बारे में सोचता ही नहीं। यह विडम्बना देखिए कि एक तरफ लोग कितने प्रतिभाशाली हैं कि हम चाँद पर जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ आप नेताओं ने ‘अमृत’ को जानलेवा ‘जहर’ बना दिया।

मैं कुछ भी हो सकता हूँ- हिन्दू, मुसलमान, अनुसूजित, पिछड़ा, अनुसूचित ईसाई, क्रीमी लेयर आदि-आदि। बस मैं एक वर्ग में अपनी पहचान नहीं बता सकता- ‘भारतीय’। आप नेताओं ने `बाँटो और राज करो’ की नीति से भारतमाता के हर हिस्से के साथ दुराचार किया है। कुछ तत्व मुम्बई को उत्तर-दक्षिण के बीच बाँटने मेंलगे हुए थे। ये पिछले हफ्ते से कहीं छिपकर आराम फरमा रहे हैं। जैसे चूहा बिल में घुस जाता है। एक महीना पहले उनकी करतूतें भी किसी आतंकवादी से कम नहीं थीं। बस गोलियों का अन्तर था

हमारे पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे.कलाम जी का उदाहरण देखिए। क्या प्रतिभाशाली व्यक्तित्व रहा है उनका, और कितने उम्दा इन्सान हैं वे….! लेकिन आप नेताओं ने उनको भी नहीं बख्शा। आपकी पार्टी ने विपक्षी पार्टियों से हाथ मिलाकर उन्हें चलता कर दिया। क्योंकि राजनेता ये महसूस करते हैं कि वे ही सर्वोच्च हैं और किसी भले आदमी के लिए यहाँ कोई जगह नहीं है।

तो, प्यारे पी.एम. जी, आप स्वयं भी अत्यन्त बुद्धिमान और सबसे अधिक पढ़े-लिखे लोगों में गिने जाते हैं। बस, अब जाग जाइए, एक सच्चा सरदार बन जाइए। सबसे पहले तमाम स्वार्थी नेताओं को नंगा कर दीजिए, स्विस बैंक से सभी भारतीय खाताधारकों का नाम मांग लीजिए। सी.बी.आई. की बागडोर किसी स्वतन्त्र एजेन्सी को सौंप दीजिए। उसे हमारे बीच छिपे हुए भेड़ियों का पता लगाने दीजिए। कुछ राजनीतिक उठापटक जरूर होगी। लेकिन हम यहाँ जो मौत का नंगा नाच देख रहे हैं, उससे तो यह बेहतर ही होगा।

आप हमें एक ऐसा माहौल दीजिए जहाँ हम बिना किसी डर के ईमानदारी से अपना काम कर सकें। कानून का राज तो कायम करिए। बाकी बातें अपने आप ठीक हो जाएंगी।

अब चुनाव आप को करना है। आप एक व्यक्ति के पीछे-पीछे चलना चाहते हैं कि १०० करोड़ व्यक्तियों के आगे चलकर उनका नेतृत्व करना चाहते हैं।

प्रकाश बी. बजाज
चन्द्रलोक ‘ए’ विंग
फ्लैट संख्या- १०४
९७,नेपियन सागर मार्ग
मुम्बई-४०००३६ दूरभाष: ०९८२१०-७११९४

14 टिप्‍पणियां:

  1. चलिए यह आपने अच्छा किया,अनुवाद करके सभी के निमित्त प्रस्तुत कर दिया।
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छी प्रतिक्रिया।
    अनुवाद पेश कर के बहुत अच्छा
    किया....

    जवाब देंहटाएं
  3. पत्र में एक आम आदमी की पीड़ा व्‍यक्‍त हुई है।

    जवाब देंहटाएं
  4. आप का ख्याल गलत है प्रधान मंत्री ने कहा था "किसी को बक्सा नही जायेगा " यानी अब सबको माल बक्से की जगह सूटकेस मे दिया जायेगा . कुछ समझे आप ? ये खोखा पेटी वाला बक्सा था बख्शा नही . बख्शने का हम प्रधानमंत्री के पास नही है वो राहुल बाबा और महारानी एक पास है , जिनको बक्से पहुचाने के लिये बाकी साले काम करते है जनाब :)जानकारी मे इजाफ़ा कीजीये जी

    जवाब देंहटाएं
  5. अन्धे के आगे रोना , अपना दीदा खोना !

    जवाब देंहटाएं
  6. असल में "किसी को बख्शा नहीं जाएगा" में ये "किसी" वे लोग हैं जो सिस्टम को नकारा ठहरा रहे हैं. किसी को बख्शा नहीं जाएगा, जो नेहरू-गाँधी राजवंश अर्र खानदान की देशभक्ति पर उंगली उठाएगा. शायद इस लक्षणा को हम समझ नहीं पाये.

    जवाब देंहटाएं
  7. सब एक जैसे है ....इस देश में विपक्ष का नेता सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर इतनी जरूरी मीटिंग में शामिल न होकर चुनाव प्रचार में निकल जाता है....कोई किसी शहीद के घर जाने पर अहसान जतात्ता है.....कोई लिपस्टिक पोवदर पर निगाहें रखे है .कोई कहता है हम बन्दूक ओर दूरबीन लेकर नही बैठे हुए ....कोई कहता है कम लोग मरे इसे आप सफलता कहिये .कोई प्रेस कांफ्रेंस में हँसता है.........तो किसको किसको चिट्ठी लिखे .किस किस को .यहाँ माफ़ी मांगने में शर्म आती है लोगो को.....

    जवाब देंहटाएं
  8. बजाज साहब को बोलिये कि वो मुंबई मे फैले भ्रष्टाचार की तुलना बिहार से ना करें। वो मुंबई मे पैदा हुए हैं और वहीं पले बढे हैं इसलिये शायद सुने सुनाई बातों पर बोल रहे होंगें। हां अलबत्ता प्रधानमंत्री को चिट्ठी मे ये जरुर कर सकतें हैं कि मुंबई मे बिहार के तर्ज पर स्पीडी ट्रायल जरुर शुरु कर सकतें हैं।

    जवाब देंहटाएं
  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  10. बजाज साहब बहुत सच्ची बाते लिखी आप ने लेकिन यह सब बाते हमारे पी एम साहाब नही सुन पाते, क्योकि जिस ने उन्हे कुर्सी दी है वह तो उन्ही की सुननेगे, गिडगिडा कर.
    आप का भी बहुत धन्यवाद इस सटीक लेख को हम तक पहुचाने के लिये, बजाज साहब का भी धन्यवद

    जवाब देंहटाएं
  11. ये पाती तो हम तक भी आज पहुची थी... आपकी ही तरह अंग्रेजी में ही.

    जवाब देंहटाएं
  12. I sometimes think if this carnage was done at a market visited by the lower classes in our economic hierarchy( which have happened previously many times), would it have generated the same amount of reaction and heat? Have our T.V. cameras focussed equally on CST and Cama Hospital as they did on the two five stars? Has our upper middle class realised the menace of terror now ? Will this anger in them lead them to spend some of their precious time on the polling-booths and help in formation of a real government. Why should we criticize the government when it is we who have formed them ?

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी हमारे लिए लेखकीय ऊर्जा का स्रोत है। कृपया सार्थक संवाद कायम रखें... सादर!(सिद्धार्थ)