वन-डे ने जब टेस्ट को, टक्कर में दी मात।
ट्वेन्टी-ट्वेन्टी ने किया, तब आकर उत्पात॥
तब आकर उत्पात मचा, डी.एल.एफ़ कप में।
जुटे धुरंधर देश-देश के नाहक गप में॥
धन-कुबेर इस मेले की रौनक बढ़वाते।
फ़िल्मी तारे आकर टी. आर.पी. चढ़ाते॥
चीयर-लीडर थक गये, नाच-नाच बेहाल।
चौके-छक्के पड़ रहे भज्जी हो गये लाल॥
भज्जी हो गये लाल, दनादन हार गये जब।
जीना हुआ मुहाल, सन्त को मार गये तब॥
सुन सत्यार्थमित्र, ये खेल है गज़ब निराला।
भाई के हाथों भाई को पिटवा डाला॥
शोध, शोध, समीक्षा तथा आलोचना की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका शिवना साहित्यिकी का
वर्ष : 9, अंक : 33 अप्रैल-जून 2024 अंक
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मित्रों, संरक्षक एवं सलाहकार संपादक- सुधा ओम ढींगरा, संपादक- पंकज सुबीर,
कार्यकारी संपादक- शहरयार, सह संपादक- शैलेन्द्र शरण, आकाश माथुर के संपादन
में शोध...
1 दिन पहले
क्या बात है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...वाह!
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