वन-डे ने जब टेस्ट को, टक्कर में दी मात।
ट्वेन्टी-ट्वेन्टी ने किया, तब आकर उत्पात॥
तब आकर उत्पात मचा, डी.एल.एफ़ कप में।
जुटे धुरंधर देश-देश के नाहक गप में॥
धन-कुबेर इस मेले की रौनक बढ़वाते।
फ़िल्मी तारे आकर टी. आर.पी. चढ़ाते॥
चीयर-लीडर थक गये, नाच-नाच बेहाल।
चौके-छक्के पड़ रहे भज्जी हो गये लाल॥
भज्जी हो गये लाल, दनादन हार गये जब।
जीना हुआ मुहाल, सन्त को मार गये तब॥
सुन सत्यार्थमित्र, ये खेल है गज़ब निराला।
भाई के हाथों भाई को पिटवा डाला॥
कोई मेरा बिटक्वाइन लेगा?
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हे! ईश्वर, तूने मुझे खूब बचाया। आगे भी बचाते रहना। जब बिटक्वाइन के रेट दिन
दूने रात चौगुने हो रहे थे, तब लालच में पड़ने में देर नहीं थी और रोज गुजरते
दिन...
2 hours ago
बहुत खूब!!
ReplyDeleteक्या बात है।
ReplyDeleteबहुत खूब.
ReplyDeleteबहुत खूब...वाह!
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